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गुरुवार, 15 मई 2025

साहिबाबाद मंडी से उठी राष्ट्रभक्ति की आवाज पाकिस्तान के मददगार का बहिष्कार "बॉयकॉट तुर्की सेब"

गाज़ियाबाद | देशप्रेम जब बाजार की चौखट लांघता है, तब व्यापार केवल लाभ नहीं, कर्तव्य बन जाता है। गाज़ियाबाद के साहिबाबाद फल मंडी में बुधवार को व्यापारियों ने एक ऐसा ऐतिहासिक निर्णय लिया जिसने यह सिद्ध कर दिया कि देशहित ही सर्वाधिक फलदायी है।
तुर्किये द्वारा पाकिस्तान के समर्थन में खुलकर खड़े होने के बाद, साहिबाबाद मंडी के फल व्यापारियों ने एक राष्‍ट्रीय भावना से ओतप्रोत निर्णय लेते हुए तुर्की से सेब का आयात पूरी तरह बंद करने की घोषणा की। यह कदम केवल आर्थिक न होकर, भारत की सेना, संप्रभुता और जनभावनाओं के साथ खड़े होने का प्रतीक बन गया है। इतना ही नही देश के कई हिस्सों से यह खबरें आ रही हैं। जो भी देश पाकिस्तान का समर्थन करेगा, हम उससे व्यापार नहीं करेंगे, यह उद्घोष अब केवल एक बयान नहीं, बल्कि एक व्यापारिक सत्याग्रह है, जिसने साहिबाबाद मंडी को राष्ट्रभक्ति का केंद्र बना दिया है।
प्रत्येक वर्ष 1,000 से 1,200 करोड़ रुपये के सेब तुर्की से भारत आते हैं, परंतु अब इन सेबों की जगह घरेलू और मित्र राष्ट्रों से आयातित फल बाजार में उतर चुके हैं। मंडी की गलियों से तुर्की के सेब पूरी तरह नदारद हैं, और नागरिकों का समर्थन इस फैसले को जन-आंदोलन की शक्ल दे रहा है। यह निर्णय ऐसे समय में आया जब भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की, और तुर्की द्वारा बनाए गए ड्रोनों का प्रयोग भारत विरोधी गतिविधियों में किया गया। इसके बाद, देशभर में तुर्की के बहिष्कार की लहर उठी और साहिबाबाद मंडी ने उसका नेतृत्व किया।
यह निर्णय दर्शाता है कि देश का व्यापारी वर्ग भी मुनाफे की नहीं, मूल्य की भाषा समझता है। जब बात भारतीय सेना और संप्रभुता की हो, तो यहां के व्यापारी सेब नहीं, सम्मान बेचते हैं।
इस फैसले ने बता दिया यहां लाभ नहीं, ललकार की सुनवाई होती है।
सेब नहीं, स्वाभिमान का सौदा होता है।
स्थानीय नागरिकों ने भी इस निर्णय का हृदय से स्वागत किया है। ऑनलाइन ट्रैवल साइट्स जैसे ईज़माईट्रिप और इक्सिगो ने भी ग्राहकों से तुर्की यात्रा टालने की सलाह दी है। यह एक सामूहिक जनचेतना का संकेत है, जो बाजार से मन तक और व्यापार से नीति तक प्रवाहित हो रही है।
साहिबाबाद मंडी ने नारा नहीं दिया, एक मौन प्रतिरोध खड़ा किया है जो यह याद दिलाता है कि :
हम फल खाएंगे, पर वो नहीं जो हमारे वीरों के लहू से सना हो।
हम व्यापार करेंगे, पर वह नहीं जो भारत की पीठ में छुरा भोंके।
देश पहले, व्यापार बाद में  यह अब साहिबाबाद मंडी की नई परिभाषा है।

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