प्रयागराज। कश्मीर की घाटियों में जब निर्दोष जीवन रौंदे गए, तब केवल कश्मीर नहीं रोया—पूरा भारत सिसक पड़ा। पहलगाम की धरती पर 26 मासूमों की शहादत ने उस पीड़ा को जन्म दिया, जिसे शब्दों में नहीं, केवल मौन और अश्रुओं में ही व्यक्त किया जा सकता है। यही मौन, यही वेदना प्रयागराज की पुण्यभूमि पर दीप बनकर जली एक श्रद्धांजलि, एक संकल्प।
‘भारत भाग्य विधाता’ संस्था और शहीदवॉल के तत्वावधान में संगठित श्रद्धांजलि सभा में हज़ारों मनों ने एक होकर न केवल मृतकों के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की, बल्कि आतंक के विरुद्ध राष्ट्र की एकजुटता की भी घोषणा की।
सभा को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री एवं शहर पश्चिमी विधायक सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, "ये हत्याएं केवल मनुष्यों की नहीं, मानवता की हत्या है। पाक परस्त आतंकवादी धर्म पूछकर गोली चला रहे हैं—यह केवल आतंक नहीं, यह अधर्म है। लेकिन भारत अब मौन नहीं, प्रतिशोध के स्वर में जाग्रत है। केंद्र सरकार ऐसे हर प्रयास को चूर-चूर कर देगी।"
उनके शब्दों में आक्रोश था, लेकिन उससे कहीं अधिक था विश्वास “अब कश्मीर का मुसलमान भी आतंक के छल को पहचान चुका है, और एक-एक दोषी कानून के साथ-साथ न्याय के दरबार में भी लाया जाएगा।”
शहर उत्तरी विधायक हर्षवर्धन बाजपेई ने इसे पाकिस्तान की साज़िश बताते हुए कहा "यह उस पड़ोसी की चाल है, जो अपने घर की आग भारत में फैलाना चाहता है। मगर भारत अब लोहे-सा सजग है, और जो हाथ बढ़ेगा, वो राख होगा।"
वीरेंद्र पाठक, ‘शहीदवॉल’ के संस्थापक, ने सभा का विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि "हर शहीद के लिए एक दीप, हर बिछुड़े चेहरे के लिए एक संकल्प... यही आज का मंत्र है।"
सभा का संचालन डॉ. प्रमोद शुक्ला ने किया, जिनकी शांत और भावनात्मक वाणी ने वातावरण को मानो मौन कर दिया।
दो मिनट का मौन, वो क्षण था जब हज़ारों दिलों ने एक साथ धड़कना छोड़ा, केवल महसूस किया… पीड़ा, गर्व और प्रतिज्ञा।
सभा में हिन्दू-मुस्लिम, युवा-वृद्ध, सैनिक और शिक्षक—हर वर्ग की उपस्थिति ने स्पष्ट कर दिया कि यह देश अब धर्म, भाषा या जाति से नहीं, अपने ‘शहीदों की स्मृति’ से एक है।
पूर्व सैनिक बाबा मिश्र, डॉ. श्रवण कुमार मिश्र, अनवर खान, सलमान भाई, गगन सिंह, राजेंद्र पांडेय जैसे कई जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित रहे, जिन्होंने दीप प्रज्वलन कर अपने-अपने तरीके से श्रद्धांजलि दी।
यह कोई आम सभा नहीं थी, यह वह क्षण था जब एक शहर ने पूरे देश की पीड़ा को अपनी आत्मा में उतार लियाऔर फिर संकल्प लिया, कि जब तक आतंक की कोई परछाईं भी इस भूमि पर रहेगी, दीप जलते रहेंगे… और दीप से क्रांति होगी।
इस अवसर पर पूर्व सैनिक बाबा मिश्र डा श्रवण कुमार मिश्र, सोनू पाठक अभिषेक मिश्र, आशीष धवन आमिर, जगत नारायण तिवारी रघुनाथ द्विवेदी, सलमान भाई, इमरान युसुफी विक्रम मालवीय,राजेन्द्र पाण्डेय अनिल मिश्र मृत्युंजय तिवारी, अमरेन्द्र पाण्डेय आलोक, द्विवेदी उत्तम कुमार बनर्जी अनवर खान, गगन सिंह, प्रमुख थे।
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