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शनिवार, 19 अप्रैल 2025

जहाँ उम्मीदों को मिलती है आवाज़, वहाँ जन्म लेती है संवेदनशील प्रशासन की तस्वीर

🔘 सम्पूर्ण समाधान दिवस बना राहत और मुस्कान की कहानी

🔘 दिव्यांग बच्चों को मिला सहारा, जब डीएम-एसपी ने थामी उनकी नन्हीं उंगलियाँ

लखीमपुर खीरी, 19 अप्रैल | विशेष संवाददाता:
सप्ताह का यह दिन कुछ खास था। मितौली तहसील का सभागार आम दिनों से कुछ अलग था—न सिर्फ चेहरों की भीड़ थी वहाँ, बल्कि उन चेहरों पर आस थी, उम्मीद थी और थी उस व्यवस्था में फिर से विश्वास जगने की कोशिश।

सम्पूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर जब जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल और पुलिस अधीक्षक संकल्प शर्मा सभागार में पहुँचे, तो ऐसा लगा जैसे शासन नहीं, संवेदना चलकर आई हो। उन्होंने न केवल समस्याएँ सुनीं, बल्कि हर पीड़ा को महसूस किया, हर शिकायत को अपनापन दिया। उनकी आँखों में प्रशासन की शक्ति नहीं, ममता का सा मेल था, और आवाज़ में आदेश नहीं, आश्वासन की गरिमा थी।
जिन्हें वर्षों से सुना नहीं गया, वे सुने गए। जिनकी शिकायतों पर अब तक धूल जम गई थी, उन्हें झाड़कर सामने लाया गया। डीएम ने हर फरियादी को यह विश्वास दिलाया—"आप अकेले नहीं हैं, शासन आपके साथ है।"
शिकायतों की नहीं, उम्मीदों की गिनती हुई...
इस दिन कुल 46 शिकायतें दर्ज की गईं—पर ये सिर्फ अंक नहीं थे। ये उन कहानियों के अध्याय थे, जो आज हल्की सी राहत के साथ आगे बढ़ पाए। किसी की भूमि विवाद में फंसी पुश्तैनी ज़मीन को लेकर न्याय की आस थी, तो किसी के घर की बिजली अंधेरे में डूबी बैठी थी। 5 शिकायतें तो मौके पर ही हल कर दी गईं, और बाकी भी उत्तरदायी हाथों को सौंप दी गईं।
और फिर… आई वह घड़ी, जब नन्हे होंठों पर मुस्कान उग आई
इस समाधान दिवस की सबसे मार्मिक और आत्मा को छू जाने वाली झलक तब देखने को मिली, जब मंच पर खड़े डीएम और एसपी ने अपने हाथों से 15 दिव्यांग बच्चों को एमआर किट प्रदान की। ये नन्हे वो थे, जिनकी दुनिया अक्सर खामोश होती है, जिनकी आँखों में सवाल कम और सपने ज़्यादा होते हैं।
जब इन बच्चों के कोमल हाथों में जीवन को आसान बनाने वाली किट पहुँची, तो उनकी आँखों में एक चमक थी—जैसे अंधेरे कमरे में किसी ने खिड़की खोल दी हो। अभिभावकों की आँखें भीगी थीं, पर उसमें दर्द नहीं था, गर्व था... कृतज्ञता थी।
संवेदनशीलता, जब शासन की परिभाषा बन जाए...
इस पूरे आयोजन ने यह जता दिया कि शासन सिर्फ व्यवस्था का नाम नहीं है, वह तब सबसे सुंदर होता है, जब उसके पास सुनने का हृदय हो, महसूस करने की दृष्टि हो और मदद करने के लिए हाथ हों।
डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल और एसपी संकल्प शर्मा ने न केवल समस्याएँ सुलझाईं, बल्कि यह भी दिखाया कि "प्रशासन अगर चाहे तो वह लोगों के जीवन में उजाला भर सकता है।"
इस अवसर पर एसडीएम रेणु मिश्र, तहसीलदार भीमसेन, पीडी एस.एन. चौरसिया और जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी अभय कुमार सागर जैसे अधिकारी भी संवेदना की इस श्रृंखला में सहभागी बने। आज समाधान दिवस नहीं था, आज विश्वास का उत्सव था। जहाँ फरियादी नहीं, नागरिक था। जहाँ अधिकारी नहीं, सहायक थे। और जहाँ शासन नहीं, सेवा भाव था।

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