1500 वर्षों का चिर-प्रतीक्षित स्वप्न 1000 दिनों में साकार...
बर्बर आक्रान्ताओं एवं मज़हबी उन्मादियों द्वारा तक्षशिला शिक्षण संस्थान के ध्वंस की दु:खद गाथा से आज अधिकतर लोग शायद परिचित न हों परंतु काल के कपाल पर अंकित इस महान संस्थान के पराभव की कहानी भारतीय इतिहास की सबसे दु:खद त्रासदियों में से एक रही है। प्रमुखतः 5वीं शताब्दी में हूणों द्वारा तक्षशिला को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया गया जिसके उपरान्त सामूहिक प्रयासों ने उसे एक बार फिर से आंशिक रूप से खड़ा कर दिया परंतु उसके बाद पुनः 11वीं शताब्दी में महमूद गज़नवी के द्वारा फिर से इसे पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया गया जो फिर कभी भी अपने मूल स्वरूप में वापसी न कर सका और एक इतिहास बनकर रह गया। उसके बाद गत एक सहस्त्राब्दी से भी अधिक समय से तक्षशिला की आत्मा भारत के जनमानस से यह प्रश्न कर रही थी कि आख़िर उसकी वह कौन सी त्रुटि थी कि जिसके कारण उसके पुनर्स्थापन के प्रयास करना तो दूर, उसके विषय में सोचना भी आवश्यक न समझा गया और उसे धीरे-धीरे स्मृतियों से भुला दिया गया।
आख़िर एक समूह विशेष ने इस महान संस्थान को दोबारा से स्थापित करने का निश्चय किया और वर्ष 2020 में हिंगलाज मानव सेवा संस्थान न्यास की स्थापना के साथ ही इस महान संस्थान के लिए आधार तलाशना प्रारंभ कर दिया। दिनांक 24 जून, 2022 को एड० राहुल तिवारी के आमंत्रण पर हिंगलाज मानव सेवा संस्थान की न्यास परिषद ने आचार्य श्रीवृत्त को आगामी 1000 दिनों के अंदर इस संस्थान को उसके समस्त आवश्यक नैसर्गिक अवयवों के साथ खड़ा करने का एक कठिन लक्ष्य प्रदान किया। इस पहल को ‘तक्षशिला परियोजना’ (प्रोजेक्ट तक्षशिला) नाम दिया गया जिसने बहुत ही अल्प समय में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक बेहद मज़बूत कार्यकारिणी का गठन कर डाला।
उसके बाद वह हुआ जो कि एक इतिहास बन गया। इंजी० रवि सिंह एवं आर्किटेक्ट आशुतोष सिंह ने त्वरितता से अपने समस्त संसाधनों को प्रोजेक्ट तक्षशिला के लिए समर्पित कर रिकॉर्ड 69 दिनों के अंदर तक्षशिला विश्वविद्यापीठ के प्राथमिक भवन के ढांचे को खड़ा कर दिया। इस तरह विचार के धरातल पर कदम रखने के 1000 दिनों के अंदर तक्षशिला का प्रथम आधुनिक भौतिक स्वरूप सामने आया और गत 19 मार्च, 2025 को विजय मुहूर्त में टीम तक्षशिला ने इसे पुनर्स्थापित कर भारतीय समाज को समर्पित कर दिया।
ज्ञात हो कि हिंगलाज मानव सेवा संस्थान न्यास की तक्षशिला परियोजना के अंर्तगत संचालित किए जाने वाले उपरोक्त पुनर्स्थापित गुरुकुल में समाज के सभी वर्गों के योग्य छात्रों को निःशुल्क आधुनिक आवासीय शिक्षा प्रदान की जाएगी। इसके अलावा गुरुकुल अपने यहां अध्यनरत छात्रों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित होने वाली विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं की पूर्व-तैयारी भी करवाएगा एवं उनकी आत्मिक एवं आध्यात्मिक चेतना के उन्नयन व विकास के लिए योग एवं वैदिक शिक्षा पर आधारित विभिन्न पाठ्यक्रम एवं सत्र भी संचालित करेगा। न्यास द्वारा संचालित की जा रही इस तक्षशिला परियोजना के अंतर्गत 4 वर्ष से लेकर 7 वर्ष तक की आयु के बालक प्रवेश प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे बालक जिनके माता अथवा पिता में से कोई एक अथवा दोनों नहीं हैं अथवा जो आर्थिक रूप से अक्षम परिवारों से संबंध रखते हैं, तक्षशिला गुरुकुल उन्हें अपने यहां प्राथमिकता से प्रवेश प्रदान करेगा.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments