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बुधवार, 12 मार्च 2025

आलेख : धन, समय और स्वय का संतुलन ही सुख का स्रोत

जीवन को सही दिशा में आगे बढ़ाने के लिए हमें तीन महत्वपूर्ण संबंधों—धन, समय और स्वयं—का गहरा बोध होना चाहिए। धन हमारे जीवन को सुविधाजनक बनाता है, लेकिन उसका दास बनना विनाशकारी हो सकता है। समय सबसे मूल्यवान संपदा है, जिसे यदि सही तरीके से उपयोग किया जाए तो सफलता सुनिश्चित होती है। वहीं, स्वयं को समझना और आत्मबोध प्राप्त करना आंतरिक शांति और सच्चे सुख का मार्ग है। यदि इन तीनों में संतुलन बना रहे, तो जीवन समृद्ध, सफल और आनंदमय बन सकता है।

*धन, समय, निज स्वय का, जो जाने आधार।*
*सुख शांति संग जीवता, जीवन हो उदार॥*

*1. "धन" के साथ हमारा संबंध*

धन केवल एक साधन है, न कि अंतिम लक्ष्य। यह हमारे जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है, लेकिन इसके पीछे भागते-भागते यदि हम रिश्तों, सेहत, और आत्मिक संतोष को भूल जाएँ, तो यह साधन ही हमारा स्वामी बन जाता है। धन का संतुलित उपयोग जीवन को सुगम और सुरक्षित बनाता है, लेकिन लालच इसे बोझ बना सकता है।

*धन साधन है जीव का, बंधन बने न भार।*
*संतोषी मन पाय जो, सुख उसका अपार॥*

*2. "समय" के साथ हमारा संबंध*

समय सबसे मूल्यवान संपत्ति है, जो एक बार बीतने पर लौटती नहीं। इसे सही दिशा में लगाना ही जीवन का सार है। जो समय का आदर करता है, वह अपने लक्ष्य तक पहुँचने में सफल होता है, और जो इसे व्यर्थ गँवाता है, वह पछतावे के सिवाय कुछ नहीं पाता।

*काल चक्र चलता रहे, थमता नहीं प्रवाह।*
*जो समय को मान दे, पाए सुख की छाँह॥*

*3. "स्वय" के साथ हमारा संबंध*

स्वयं से हमारा संबंध सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि हम स्वयं को जितना जानेंगे और समझेंगे, उतना ही संतुलित और खुशहाल जीवन जी सकेंगे। आत्मबोध, आत्मस्वीकृति, और आत्मसाक्षात्कार ही आंतरिक शांति का आधार हैं।

*अपने मन को जान ले, समझ सके जो आप।*
*सुख-दुख सबके पार है, भीतर ही है ताप॥*

*निष्कर्ष*
हमारा जीवन तीन प्रमुख संबंधों—धन, समय और स्वयं—से गहराई से प्रभावित होता है। यदि हम धन को साधन समझें, समय को सही दिशा में लगाएँ और स्वयं को समझकर जीवन जियें, तो हमारा जीवन संतुलित और सुखमय हो सकता है। इन तीनों में संतुलन न होने पर हम भटक सकते हैं—धन का लालच हमें असंतोषी बना सकता है, समय की बर्बादी हमें पछतावे में डाल सकती है, और स्वयं की अनदेखी हमें मानसिक अशांति दे सकती है।

*शिक्षा*
1. धन आवश्यक है, लेकिन उसका सही उपयोग ही वास्तविक संपत्ति है। लालच से बचें और संतोष को अपनाएँ।
2. समय सीमित है, इसलिए इसे व्यर्थ न करें। सही समय पर सही कार्य करना ही सफलता की कुंजी है।
3. स्वयं को समझना सबसे जरूरी है। आत्मबोध के बिना कोई भी बाहरी उपलब्धि वास्तविक सुख नहीं दे सकती।

*संतुलन ही सुख का स्रोत है।*

*लेखक एवं रचनाकार: *अनूप सिंह, संरक्षक दैनिक जनजागरण न्यूज़, एवं जीवनशैली सलाहकार*

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