- जय श्री राम के जयकारों से गूंजा पांडाल
लखीमपुर खीरी। अखिल भारतीय श्री राम नाम जागरण मंच के तत्वावधान व श्री राम मित्र मंडली के सहयोग से चल रहे श्रीराम कथा अमृत महोत्सव ने शुक्रवार को ग्यारहवें दिन भगवान श्रीराम के भव्य राजतिलक के साथ विश्राम लिया।
कथा की शुरुआत पंडित निर्मल शास्त्री के द्वारा हनुमान चालीसा से की गई। जिसके बाद कथा व्यास पंडित शशि शेखर जी महाराज ने कथा को आगे बढ़ाते हुए बताया कि रावण वध और श्रीराम के राजतिलक की कथा रामायण का एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक अध्याय है। यह कथा भगवान श्रीराम के धर्म, सत्य, और मर्यादा की विजय को दर्शाती है। लंका के राजा रावण ने माता सीता का हरण किया था, जिससे धर्म की रक्षा के लिए भगवान श्रीराम ने उसे पराजित करने का प्रण लिया। श्रीराम ने वानर सेना और भक्त हनुमान की सहायता से समुद्र पर पुल बनाकर लंका पहुंचकर रावण की सेना के साथ युद्ध किया। युद्ध के दौरान रावण के पुत्र मेघनाद और विशालकाय भाई कुंभकर्ण का वध श्रीराम और उनकी सेना ने किया। जिसके बाद लंकापति रावण और श्रीराम युद्ध भूमि पर आपने सामने आए। रावण अत्यंत बलशाली और विद्वान था। उसने अपने तप से ब्रह्माजी से अमरता का वरदान मांगा था, लेकिन उसकी मृत्यु का रहस्य मनुष्य के हाथों तय हुआ था। युद्ध के दौरान, विभीषण ने श्रीराम को बताया कि रावण की शक्ति उसके हृदय में स्थित अमृतकुंभ से है। श्रीराम ने अपने दिव्य बाण से रावण का वध कर दिया, जिससे धर्म की विजय हुई। रावण वध की कथा के दौरान पूरा पंडाल राम नाम के जयकारों से गूंज उठा।
रावण वध के पश्चात, श्रीराम ने माता सीता को मुक्त कराया और वानर सेना को धन्यवाद दिया। विभीषण को लंका का राजा बनाया गया। इसके बाद श्रीराम, माता सीता, और भाई लक्ष्मण अयोध्या लौटे। अयोध्या में भगवान राम के आगमन पर लोगों ने दीपावली का पर्व मनाया।
श्रीराम के लौटने पर पूरी अयोध्या नगरी को दीपों से सजाया गया। श्रीराम का राजतिलक किया गया। भरत ने श्रीराम को राज्य सौंपा और उनके चरणों में समर्पण भाव से अपना कर्तव्य निभाया। श्रीराम ने धर्म, न्याय, और प्रजा के कल्याण के लिए रामराज्य की स्थापना की, जो आदर्श शासन का प्रतीक बन गया।
कथा व्यास ने कहा कि यह कथा हमें सिखाती है कि धर्म, सत्य, और सदाचार की हमेशा विजय होती है। श्रीराम का जीवन मर्यादा और आदर्शों का प्रतीक है, और उनका राजतिलक धर्म के शाश्वत सिद्धांतों की विजय का प्रतीक है।
कथा के बाद आरती और भोजन भंडारा आयोजित किया गया, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
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