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बुधवार, 15 जनवरी 2025

मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं, जानिए इसका महत्व और इतिहास क्या है


सूर्य देव जब धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। सूर्य देव अमूमन 14 या 15 जनवरी को मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जा रही है। हिंदू धर्म ग्रंथों अनुसार इस त्योहार को मनाने के पीछे कई कारण है। मकर संक्रांति त्यौहार से जुड़ी एक कथा बताती है कि जब पृथ्वी पर असुरों का आतंक काफी बढ़ गया था तब मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने असुरों का संहार किया और सभी को उनके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। कहते हैं भगवान विष्णु ने असुरों के सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। मान्यता है कि, तभी से इस पर्व को नकारात्मकता को समाप्त करने वाले दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।कहते हैं मकर संक्रांति के दिन ही गंगा जी भगीरथ के पीछे-पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होती हुई सागर में जा मिली थी। इसकी कारण मकर संक्रांति के पवित्र दिन पर गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। इसके अलावा ये पर्व मौसम में बदलाव का भी प्रतीक भी माना जाता है। इसके बाद से ही ठंड कम होने लगती है। इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि महाभारत काल में भीष्म पितामह ने अपने शरीर का त्याग करने के लिए मकर संक्रांति का दिन ही चुना था।

वैदिक पंडित राहुल कृष्णम पाण्डेय

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