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शुक्रवार, 10 जनवरी 2025

राष्ट्रीय : कायस्थ समाज की पुरानी धरोहरों की रक्षा हेतु एकजुट होने का किया आह्वान

● विषय: कायस्थ समाज की पुरानी धरोहर को बचाने हेतु


कायस्थ समाज का इतिहास समृद्ध, गौरवशाली और प्रेरणादायक रहा है। हमारे समाज ने भारत के सांस्कृतिक, राजनीतिक और प्रशासनिक विकास में अहम भूमिका निभाई है। लेकिन आज, हमारी धरोहर, हमारी पहचान, और हमारी संस्कृति पर संकट मंडरा रहा है। दिल्ली में स्थित दो ऐतिहासिक धरोहरें—चित्रगुप्त मंदिर (चित्रगुप्त रोड, पहाड़गंज) और श्रीमती राधा देवी श्रीवास्तव पंचायती धर्मशाला (झंडेवालान)—अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं।


● धरोहरों पर खतरा
155 वर्षों से अधिक पुरानी श्री राधा देवी श्रीवास्तव पंचायती धर्मशाला पर बद्री भगत ट्रस्ट द्वारा रातों-रात अवैध कब्जा कर लिया गया। इस दौरान मंदिर और धर्मशाला के कार्यालय को ध्वस्त कर दिया गया। कार्यालय में सैकड़ों वर्षों पुराने ऐतिहासिक दस्तावेज, रजिस्टर, और समाज की तस्वीरें सुरक्षित रखी गई थीं।


इन दस्तावेजों और तस्वीरों में कायस्थ समाज की गौरवशाली परंपरा के कई प्रमाण मौजूद थे। समाज के वार्षिक उत्सवों की तस्वीरें, जिसमें कई प्रतिष्ठित कायस्थ हस्तियों के हस्ताक्षर और वक्तव्य दर्ज थे, खो दिए गए। इसके अतिरिक्त, शादी-विवाह में प्रयुक्त धातु के बर्तन, कुर्सियां, मेजें, और अन्य सामग्रियां भी गायब कर दी गईं।

● ऐतिहासिक धरोहरें

1. डेढ़ सौ वर्षों से अधिक पुरानी कायस्थ समाज की मीटिंगों और उत्सवों की तस्वीरें।
2. 1954 में प्रकाशित "सूर्य प्रकाशन" पुस्तक, जिसमें मुगल काल से लेकर वर्तमान तक कायस्थ समाज का इतिहास दर्ज था।
3. 1990 का "प्रताप पेपर" (उर्दू), जिसमें समाज का विस्तृत इतिहास प्रकाशित था।

● कायस्थ संगठनों और समाज से अपील

यह समय है कि हम व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को त्यागकर एकजुट हों। आज, कायस्थ समाज में संगठन तो बढ़ रहे हैं, लेकिन उनके उद्देश्य बिखरे हुए हैं। संगठन आपसी प्रतिस्पर्धा में लगे हैं, और परिणामस्वरूप, हमारी धरोहरें, हमारी पहचान, और हमारी संस्कृति खतरे में है।

हमारी सबसे बड़ी समस्या यह है कि हम संगठनों के नाम और पदों में उलझ गए हैं। व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा ने हमें विभाजित कर दिया है। कुछ लोग प्रशासन/राजनीति में रहते हुए कायस्थ समाज से दूरी बनाते हैं, तो कुछ रिटायर होने के बाद नए संगठन बनाकर मसीहा बनने का प्रयास करते हैं।

◆ क्या इस प्रकार से कायस्थ समाज का कल्याण हो सकता है?

● एकजुटता का मार्ग

1. सभी संगठनों का समन्वय:
हमें यह स्वीकार करना होगा कि हमारी ताकत एकता में है। छोटे-बड़े संगठनों को मिलाकर, सबसे पुरानी और प्रभावशाली संस्था के नेतृत्व में संगठित होना होगा।
2. धरोहर की रक्षा:
हमारी धरोहरों को संरक्षित करने के लिए कानूनी, सामाजिक और सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
3. राजनीतिक और सामाजिक सशक्तिकरण:
कायस्थ समाज को सामाजिक और राजनीतिक रूप से सशक्त बनाना होगा। इसके लिए एक संगठित और समर्पित मंच की आवश्यकता है।
4. भगवान चित्रगुप्त के आदर्शों का अनुसरण:
भगवान चित्रगुप्त, जो न्याय और ज्ञान के प्रतीक हैं, उनके आदर्शों पर चलते हुए हमें एकजुट होना होगा।

●  निवेदन :
हम सभी कायस्थ संगठनों और समाज के सदस्यों से अपील करते हैं कि वे व्यक्तिगत स्वार्थ और महत्वाकांक्षाओं को छोड़कर, कायस्थ समाज की धरोहरों और पहचान को बचाने के लिए एकजुट हों।

आइए, हम मिलकर यह प्रण लें कि हम भगवान चित्रगुप्त के नाम पर एकजुट होकर समाज की रक्षा करेंगे और अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त करेंगे।

● लेखक : चित्रांश अनूप सिंह, श्री चित्रगुप्त कायस्थ सभा (रजि0 ) लखीमपुर खीरी के महासचिव हैं।

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