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गुरुवार, 23 जनवरी 2025

महाकुम्भ मे अपने असल कार्यों से दूर होती नजर आ रही है मीडिया, बोले 3 बार केंद्र सरकार से गोल्ड मेडल प्राप्त महामंडलेश्वर

संस्कृत भाषा के वेदान्त विषय में 3 बार केंद्र सरकार से गोल्ड मेडल प्राप्त महामंडेलेश्वर श्री ऋषि भारतीजी ने मीडिया से की बात, बताया मीडिया महाकुम्भ मे अपने असल कार्यों से दूर होती नजर आ रही.

प्रयागराज संस्कृत भाषा के वेदान्त विषय में 3 बार केंद्र सरकार से गोल्ड मेडल प्राप्त महामंडेलेश्वर श्री ऋषि भारतीजी ने मीडिया से की बात, बताया मीडिया महाकुम्भ मे अपने असल कार्यों से दूर होती नजर आ रही। उन्होंने बताया की मीडिया समाज का चौथा स्तम्भ है और मीडिया का कार्य है महाकुम्भ के महत्व को दुनिया को बताना लेकिन आज की मीडिया किसी लड़की की आँखों की खूबसूरती दिखा रही तो कही किसी महिला संत के आगे पीछे घूम रही जबकि मीडिया को और आये संत महात्माओ को तवज्जो देना चाहिए।
महामंडलेश्वर ऋषि भारतीजी महाराज ने 2008 में पूरे भारत में प्रथम क्रमांक के साथ वेदान्त विषय का अभ्यास पूर्ण करके “वेदान्ताचार्य “की उपाधि प्राप्त हुई है।

जब वेदान्त का अभ्यास पूर्ण हुआ तब अपने वि‌द्यागुरु को दक्षिणा देने गये तब वि‌द्यागुरु ने कहा- ‘बेटा आपने जो वि‌द्याभ्यास किया है वो सनातनधर्म और राष्ट्र की सेवा में समर्पित करना यही मेरी गुरुदक्षिणा है।

आज 42 वर्ष की आयु में 2008 से लगातार निष्कामभाव से अपने गुरुनूर्तिओ के आशीर्वाद से यु.के. सिंगापुर, दुबई, मस्कत, मोरेशियस नेपाल सहित विदेश में और भारत के कई राज्यों में परिभ्रमण करके सनातनधर्म का प्रचार प्रसार कर रहे हैं।

जब उनसे पूछा गया कि उनकी पसंदीदा विचारधारा क्या है तो उन्होंने कहा कि देश से संप्रदायवाद, जातिवाद और प्रांत भेद दूर होना चाहिए, तभी ‘एक स द्विप्रः बहुधा वदन्ति’ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ और ‘वसुदेवम कुटुम्बकम्’ की भावना सिद्ध हो सकती है। 

भारत देश ने जितना स्थान शंकराचार्य को दिया है उतना ही स्थान डॉ. भीमराव अंबेडकर साहब को भी दिया है। इसलिए सांप्रत काल में जो मनुवाद और अम्बेडकरवाद के बीच जो विरोधाभास चल रहा है उसे दूर करके मनुष्य की योग्यता के अनुसार हर व्यक्ति को सम्मान मिलना चाहिए। चाहे जनरल, ओबीसी, एससी, एसटी समाज के हर व्यक्ति को योग्यता के अनुसार पद प्रतिष्ठा सम्मान मिलना चाहिए हकीकत तो यह है कि ‘धर्महिंसा तथैव च’ और ‘शठं प्रति शाठ्यं समाचरेत्’ की नीति कहती है कि शत्रु को उसी भाषा में समझाना चाहिए जो वह समझता हो। जिन गुरुओं ने ‘ब्रह्म सत्यम जगत मिथ्या’ की बात कही, जिससे देश में निष्क्रियता फैल गई, भारतीयों ने पलायनवाद का सहारा लिया, लेकिन आज निश्चित रूप से देश योगी आदित्यनाथ कर्म योगी संत महापुरुषों को पसंद करता है, ताकि देश प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सके।

उन्होंने बताया की आज देश में जो पाँच प्रश्न है वह जनभागीदारी के माध्यम से माननीय वड़ाप्रधान नरेंद्रभाई मोदी और उप के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जल्द ही दूर कर सकते है जैसे (1) प्रकृति की सुरक्षा और संवर्धन (2) आतंकवाद (3) गरीबी (4) गुलामी और (5) बंधारण में मानवतावादी सुधारणा।

उन्होंने बताया कि 2025 का महाकुंभ मेला जो गंगा यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम में लगा वो सिर्फ तीन नदियों का ही संगम नहीं है अपितु ये संगम स्वच्छता सुरक्षा और सुंदर व्यवस्था का भी त्रिवेणी संगम है, ये भव्यता दिव्यता और डिजिटल का भी त्रिवेणी संगम है ये समानता आजीविका और सांस्कृतिक धरोहर का भी त्रिवेणी संगम है। ये जानयोग भक्तियोग और निष्काम कर्मयोग का भी त्रिवेणी संगम है ये सुरता सेवा और समर्पण का त्रिवेणी संगम है ये भजन भोजन और साधना का भी त्रिवेणी संगम है ये धर्मसत्ता राजसत्ता और लोकसत्ता का भी त्रिवेणी संगम है और ये महाकुंभ आध्यात्मिक प्रयोग भी है।

अंत में उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि विश्व को अगर मैनेजमेंट का पाठ सीखना है तो यहाँ आकर देखना चाहिए यहाँ इवेंट मैनेजमेंट, क्राउड मैनेजमेंट और सिक्योरिटी मैनेजमेंट कैसे किया जाता है उनका ये प्रयोगात्मक उदाहरण है।

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