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गुरुवार, 3 अक्टूबर 2024

वैश्विक भाषा, कला एवं संस्कृति संगठन के शुभारंभ पर नीदरलैंड में हुआ प्रथम यूरोपीय काव्य संध्या का आयोजन

● वैश्विक भाषा, कला एवं संस्कृति संगठन के शुभारंभ पर 

● प्रथम यूरोपीय काव्य संध्या का डेनहाग, नीदरलैंड में हुआ आयोजन

विशिष्ठ अतिथि थे राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ.अशोक कुमार बत्रा, बेल्जियम से कपिल कुमार, जर्मनी से डॉ शिप्रा सक्सेना एवं नीदरलैंड से विश्वास दुबे ने किया संयोजन

वैश्विक भाषा, कला एवं संस्कृति संगठन के भव्य शुभारंभ के अवसर पर  प्रथम यूरोपीय काव्य संध्या का आयोजन डेनहेग, नीदरलैंड में संस्था के संस्थापक कपिल कुमार, बेल्जियम, विश्वास दुबे, नीदरलैंड एवं डॉ. शिप्रा शिल्पी सक्सेना, जर्मनी के संयोजन एवं संचालन में किया गया।

इस अवसर पर संस्था के संरक्षको प्रसिद्ध कथाकार एवं साहित्यकार तेजेंद्र शर्मा ने ब्रिटेन से तथा नीदरलैंड की सुविख्यात साहित्यकार एवं कवयित्री प्रो. पुष्पिता अवस्थी ने कार्यकम में स्वयं उपस्थित होकर अपनी मंगलकामनाएं प्रेषित की।

डॉ. शिप्रा सक्सेना ने प्रेस को बताया कि वैश्विक भाषा, कला एवं संस्कृति संगठन ( Global language Art and Culture Organisation - GLAC) संस्था के शुभारंभ के अवसर पर यूरोप के अनेक देशों के साहित्यकार, कवि, पत्रकार एवं विचारकों के साथ भारत एवं मॉरीशस के गणमान्य अतिथि भी कार्यक्रम में शामिल हुए। साधना टी. वी. Ishedan TV और Satmola कवियों की चौपाल की के संस्थापक प्रवीण आर्य जी और हिंदी ख़बर टीवी चैनल के अतुल कुमार जी ने भी कार्यक्रम की सफलता की बधाई दी।

कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वास दुबे ने सभी का स्वागत कर  के किया।  साथ ही कार्यक्रम की रूपरेखा से भी अवगत कराया। डॉ शिप्रा सक्सेना ने मधुर कंठ से शुभारम्भ गान किया 


संगठन के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कपिल कुमार ने कहा अभी तक यूरोप के अलग अलग देशों में भाषा, कला एवं संस्कृति की दिशा में अच्छा कार्य किया जा रहा था। GLAC पहला ऐसा यूरोपीय संगठन है जो सम्पूर्ण विश्व को एक साथ एक वृहद वैश्विक मंच प्रदान करेगा।

विश्वास दुबे के शानदार संचालन में  जहां एक ओर राकेश पै की रचना “ कोरी किताब के कैनवास पर कोई रंग भरते है” ने भावों के रंग बरसाए, वही इंद्रेश कुमार की रचना “आम सभी को खाना है पर पेड़ नही लगाना है” ने वृक्षारोपण के महत्व को बताया।
सुशांत जैन की ग़ज़ल “कलम की धार तीखी कर तू, दुष्यंत का चेला है”, डॉ सोनी वर्मा के मधुर  प्रकृति गीत “रूम झूम रूम झूम बादल बरसे , बिजुरी चमके” ने मौसम बदल दिया।
आलोक शर्मा की की जोशपूर्ण प्रस्तुति “बरसाने होली खेलने आयो कन्हाई, पर राधा न मिल पाई “ ने जहां एक ओर दर्शको को झूमने पर मजबूर कर दिया, वही शिवम जोशी की शानदार ग़ज़ल “इश्क में कौन छोटा कौन बड़ा”, मनीष पांडेय की हास्य का पुट लिए गजल “घर में आते ही सूंघ लेती है, भांप लेती है, बीवी वो मीटर है जो अच्छे अच्छों को नाप लेती है,” महेश वल्लभ पांडेय की ग़ज़ल “इशारे मैं समझ जाता, नजारे तू समझ जाता, तो तेरे साथ मेरी उम्र , मेरा वक्त गुजर जाता”, अश्विनी केगांवकर की  खूबसूरत रचना “जिंदगी तू है ख्वाबगाह” एवं “हौसलों की उड़ान तुमसे है”, डॉ ऋतु शर्मा ननन पांडे की जिंदगी से सवाल करती सार्थक कविता “एक दिन जिंदगी से सवाल किया मैने” ने दर्शकों की भावनाओं को उद्वेलित भी किया और हर्षित भी। 

इस अवसर पर साझा संसार के संस्थापक रामा तक्षक ने अपनी सुप्रसिद्ध कविता संस्कृति के राजदूत “ मैं राजदूत हूं भारत का, मैं पत्थर इसी इमारत का” सुनाकर कार्यक्रम के भव्य आयोजन की शुभकामनाएं दी।  साथ ही ब्रिटेन की डॉ विद्या सिंह ने अपनी मधु मिश्रित वाणी में “हो गई पगडंडियां सूनी हमारे गांव की, हो गई बेरौनकी गालियां हमारे गांव की“ गाकर सभी को भावुक कर दिया। 

कार्यक्रम को अलग रंग देते हुए श्याम पाणिग्रही ने तथा अक्षिता पाणिग्रही ने अपनी कविताओं से सभी के मन को जीत लिया।

विश्वास दुबे जी ने राधा कृष्ण के अनूठे प्रेम को समर्पित अपनी रचना “ क्या राधा ने और श्याम ने एक दूसरे को खुलकर बताया होगा, सुनो प्यार करने लगे है तुमसे,  क्या ऐसे बोलकर जताया होगा”  सुनाकर दर्शको को मोह लिया।
कार्यक्रम के दूसरे भाग का संचालन कर रही डॉ शिप्रा सक्सेना ने मोहक अंदाज में अपने सुप्रसिद्ध गीत “आबे जम जम_” इस काया में क्या रखा है सबने ही मिट्टी माना है, मिट्टी से निर्मित काया को मिट्टी में ही मिल जाना है “ सुनाकर अपनी शानदार प्रस्तुति से दर्शको का भरपूर प्यार बटोरा ।

कार्यक्रम -संचालक कपिल कुमार ने अपनी ग़ज़ल में कहा “माना कि झूठ का  पर्वत है  ऊँचा ,मगर सच मे  भी गहराई बहुत है "! हर शेर पर उन्होंने दर्शकों की वाह वाही लूटी।

संस्था की संरक्षक  प्रो. पुष्पिता अवस्थी ने  कहा -- कवि किसी का नुकसान नही करता, यही उसके चरित्र की सच्चाई है। इस अवसर पर उन्होंने अनुरोध किया आज विश्व में  युद्ध हो रहे है, हिंसा भी। कवियों को अपनी लेखनी को धार देकर इस विषय पर लिखना होगा। अंत में उन्होंने अपनी कविता आंखों की हिचकियां सुनाई।
विशिष्ट अतिथि मॉरीशस से वरिष्ठ पत्रकार एवं मीडिया कर्मी आशुतोष देशमुख ने कहा -- हिंसा हमारे चारों ओर फैल रही है, ग्लोबल हिंसा के अतिरिक्त रिश्तों में भी हिंसा बढ़ रही है। सुनाने वाले ज्यादा है एवं सुनने वाले बहुत कम रह गए है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि भारत (गुरुग्राम )से राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ.अशोक कुमार बत्रा ने कपिल कुमार, डॉ शिप्रा सक्सेना, विश्वास दुबे की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए कहा विदेशी भूमि पर अपनी भाषा, कला एवं संस्कृति के प्रति यह समर्पण विरले ही देखने को मिलता है।  जहाँ उन्होंने अपनी हास्य  कविताओं से दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया,  वहीं महावीर क्यों महावीर हुए और ,” वो बैठा है आँख गढ़ाए, तुम हो ऑंखें चार किए। वो आँखों में धूल झोंकता , तुम आँखों में प्यार लिए”  जैसी अपनी शानदार, भावपूर्ण सार्थक रचनाओं के पाठ से काव्य संध्या को चरम पर पहुँचा दिया।

कार्यक्रम में डॉ शिप्रा शिल्पी,  प्रो. पुष्पिता अवस्थी,  रामा तक्षक जी, अश्विनी केगांवकर जी की नयी पुस्तकों का विमोचन किया गया ।
GLAC द्वारा सभी विशिष्ट अतिथियों को फूल, शाल एवं प्रशस्ति पत्र द्वारा सम्मानित किया गया।
रात्रि भोज पर साहित्यिक चर्चा के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।
स्रोत 
GLAC Europe

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