हमारा भारतवर्ष शौर्य और वीरता से ओतप्रोत जनमानस की पावन वसुंधरा है। स्वाधीनता दिवस कोई आजादी के दिनों का लेखा-जोखा करने का दिन नहीं है। बल्कि यह स्वातंत्र्य–यज्ञ में आहुति देने वाले क्रांतिवीरों के बलिदान के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करने के साथ ही स्वयं और भावी पीढ़ी में राष्ट्र के प्रति इस पावन भाव को दोबारा जगाने का दिन है। स्वाधीनता के सुख के मध्य कहीं देशप्रेम में कमी ना आ जाए, ऐसी व्यवस्थाओं के बारे में और भारत कैसे वैभवशाली बने, शक्तिशाली बनें, कल्याण कारी बने, इस बारे में सोचने और विचारने का दिन है।
आज अपना भारतवर्ष पुरानी सोच, पुराने ढर्रे, और पुरानी लीक को छोड़कर, लक्ष्यों को तय करते हुए लक्ष्यों को प्राप्त करने की दृष्टि से सतत अग्रगामी है। हम भारतवासियों के कर्त्तव्य और सरोकारों की कसौटी यह है कि वृहद् कार्य उद्देश्यों के लिए दूर की सोचें, सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय का भाव रखते हुए लोकहिताय के कार्यों में निरत रहें। वस्तुतः यही हमारी कार्यशैली है।
विगत कालखंड में आजादी के आंदोलन और उसके बाद हमारे समाज की जो उपलब्धियाँ रही हैं, उसे सँजोते हुए जीवंत बनाये रखने की परम आवश्यकता है, ताकि आगे आने वाली पीढ़ी अतीत से सीखकर भविष्य निर्माण में अपना योगदान देते हुए देश को समृद्ध और सुखमय बनाए। राष्ट्र का शक्तिशाली होना भारत के लिए नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए जरूरी है।
बेहतर सोच और प्रभावी प्रयासों का प्रतिफल है कि हमारी सीमाएँ पहले से अधिक सुरक्षित हैं। बम धमाकों और आतंकी हमलों में कमी आई है; फिर भी हमे सचेत रहने की जरूरत है, क्योंकि हमारा देश शक्तिशाली भी रहा है और ज्ञानशाली भी। आर्थिक दृष्टि से मजबूत रहते हुए जिस भारत को सोने की चिड़िया कहते थे, वह 200 सालों तक गुलामी की जंजीरों में बँधा रहा। हमारा देश, हमारा राष्ट्रीय चरित्र ओजस्वी हो, तेजस्वी हो, पुरुषार्थी हो, पराक्रमी हो, प्रखर हो, यह हम सब का सामूहिक दायित्त्व बनता है।
हम जिस भी क्षेत्र में हों, हमारा आने वाला कल कैसे बेहतर हो, हमें इसके लिए प्रयासरत होना होगा। स्वाधीनता दिवस के अवसर पर स्वाधीनता संघर्ष के वीर बलिदानियों को, क्रान्तिकारियों को, स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों को, उन देशवासियों को याद करने का दिन है, जिन्होंने अपने-अपने तरीके से देश आजाद कराने में अपना योगदान दिया है, उन सभी को हम सब याद करते हुए स्वातंत्र्य-चेतना के प्रतीक राष्ट्र-ध्वज को असीम श्रद्धाभाव से नमन करते हैं।
–195, सेक्टर-डी, शांतिपुरम,
गद्दोपुर, फाफामऊ, प्रयागराज-211013 (उत्तर प्रदेश)
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