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गुरुवार, 1 अगस्त 2024

बांकेगंज ( खीरी )/ बरामदे से बाघ उठा ले गया बकरा, ग्रामीणों की बढ़ी चिन्ता

  संवाददाता, बांकेगंज। बीती रात गोला पश्चिमी बीट के बल्दीपुर गांव से विनोद कुमार के बरामदे में बंधा बकरा बाघ उठा ले गया। सुबह गांव से करीब 50 मीटर दूरी पर बकरे का अधखाया शव मिला। वनकर्मियों ने ग्रामीण से बकरे का पोस्टमार्टम करा कर रिपोर्ट देने की बात कही। 

   बल्दीपुर निवासी विनोद कुमार ने बताया कि गांव में एक नया घर बनवाया गया है जिसके बरामदे में करीब आधा दर्जन बकरा और बकरियां बंधी थी। पिताजी वहां सो रहे थे रात में न जाने कब बाघ बरामदे में घुसकर बकरे को उठा ले गया। सुबह जब देखा गया तो सबसे बड़ा बकरा वहां नहीं था। इधर-उधर देखने पर बाघ के पगचिह्न दिखाई दिए तथा घसीटने के चिन्ह भी दिखाई दिये। इससे किसी वन्य जीव के नजदीक होने की आशंका से वन कर्मियों को फोन करके जानकारी दी गई।  जानकारी मिलने पर फॉरेस्टर अफजल खान अपने सहयोगियों बालिस्टर यादव तथा विपिन सिंह के साथ बल्दीपुर गांव में पहुंचे। गन्ने में बाघ की आहट देखकर उन्होंने पटाखे मंगवा कर दगवाया जिससे बाघ दूसरे खेत में चला गया। अंदर जाकर देखा गया तो बकरे का  अधखाया शव गन्ने में पड़ा हुआ था। उसे बाहर निकलवा कर लाया गया तथा मुझसे कहा गया कि बकरे का पोस्टमार्टम करा कर प्रधान से हस्ताक्षर करवा के कल हमें रिपोर्ट दे देना। 
      बकरा मालिक विनोद कुमार ने बताया कि चिकित्सक को बुलवाकर पोस्टमार्टम करवा चुका हूं तथा प्रधान से हस्ताक्षर भी करवा चुका हूं कल वन विभाग के अधिकारियों को रिपोर्ट सौंप दूँगा। ग्रामीणों ने दावा किया कि बाघ की मौजूदगी गांव के नजदीक गन्ने के खेतों में दिनभर बनी रही है।
   बरामदे से बकरे को उठा ले जाने की घटना के बाद ग्रामीणों में दहशत का माहौल है उनका कहना है कि बच्चे गोला से लेकर बांकेगंज के कई विद्यालयों में पढ़ने जाते हैं। चारों ओर गन्ने के खेत है। ऐसे में कभी भी कोई घटना हो सकती है। 
   फॉरेस्टर अफजल खान ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि बकरे पर हमला बाघ ने ही किया है। वन्यजीवों द्वारा पशुओं पर हमले के मामले में पशु मालिक को पशु का पोस्टमार्टम स्वयं करना पड़ता है। यह नियम है।
 * बाघ के जीवन पर भी मंडरा रहा खतरा
 बल्दीपुर गांव जंगल की सीमा से लगभग पाँच किलोमीटर दूर रेलवे लाइन और नहर के बीच है। नहर में पानी भरा हुआ है। रेल लाइन पर भी ट्रेनों का आवागमन चलता रहता है। ऐसे में संभावना है कि बाघ बल्दीपुर गांव के आसपास कई दिनों तक ठहर सकता है। मौजूदा समय में खेतों में भी विभिन्न प्रकार के कीटनाशक रसायनों से लेकर खाद डाली जा रही है। ऐसे में बाघ का जीवन भी प्रभावित हो सकता है।

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