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बुधवार, 3 जुलाई 2024

पीएम मोदी ने हाथरस मौत मामलें में जताया शोक

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए दुखद हादसे को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की। यूपी सरकार सभी पीड़ितों की हरसंभव सहायता में जुटी हुई है। मेरी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं, जिन्होंने इसमें अपने प्रियजनों को खोया है। इसके साथ ही मैं सभी घायलों के जल्द से जल्द स्वस्थ होने की कामना करता हूं। यूपी के हाथरस में भोले बाबा के सत्संग के दौरान भगदड़ मच गई। इसमें 122 लोगों की मौत हो गई। 150 से अधिक घायल हैं। कई लोगों की हालत गंभीर है। मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। हादसा हाथरस जिले से 47 किमी दूर फुलरई गांव में हुआ है। हादसे के बाद हालात भयावह है। अस्पताल के बाहर शव जमीन पर बिखरे पड़े हैं। हाथरस के सिकंदराराऊ CHC में लाशों को गिना। यहां 95 लाशें बिखरी पड़ी हैं। वहीं, एटा के सीएमओ उमेश त्रिपाठी ने बताया- हाथरस से अब तक 27 शव एटा लाए गए। इनमें 25 महिलाएं और 2 पुरुष हैं। सत्संग में 20 हजार से अधिक लोगों की भीड़ थी। हादसे के बाद जैसे-तैसे घायलों और मृतकों को बस-टैंपो में लादकर अस्पताल ले जाया गया। मुख्यमंत्री योगी ने मुख्य सचिव मनोज सिंह और डीजीपी प्रशांत कुमार को घटनास्थल के लिए रवाना कर दिया। घटना की जांच के लिए ADG आगरा और अलीगढ़ कमिश्नर की टीम बनाई है। सीएम योगी ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख और घायलों को 50-50 हजार की आर्थिक सहायता देने के निर्देश दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चलते सदन के बीच हाथरस घटना का जिक्र किया। मोदी ने संसद में कहा- यूपी के हाथरस में जो भगदड़ हुई उनमें अनेक लोगों की मौत की दुखद जानकारी मिली। हादसे में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। घायलों के जल्द से जल्द ठीक होने की कामना करता हूं। राज्य सरकार की देखरेख में प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा है। केंद्र के वरिष्ठ अधिकारी राज्य सरकार के संपर्क में हैं। मैं सदन के माध्यम से सभी को यह भरोसा देता हूं कि पीड़ितों की हर संभव मदद की जाएगी। सिकंदराराऊ सीएचसी के बाहर एक पिता अपनी बेटी को तलाश करता पहुंचा हुआ। वहां बेटी की लाश देखी तो वह बिलखकर रो पड़ा। रोते-रोते चिल्ला रहा था कि यह क्या हो गया। सिकंदराऊ सीएचसी के बाहर चारों तरफ लाशें बिखरी हुई हैं। बीच में रोते-बिलखते परिजन हैं। हालात इतने भयावह थे किसी को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। लाशों को चादर तक ओढ़ाने की व्यवस्था नहीं थी। परिजन पहले लाशों के बीच अपनों को खोजते रहे, जब नहीं मिले तो वहीं बैठकर रोने लगे।

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