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मंगलवार, 2 जुलाई 2024

विरासत में सिर्फ संपत्ति नहीं, संस्कार भी जरूरी डॉक्टर्स डे के मौके पर गर्भ संस्कार कार्यशाला का आयोजन

विरासत में सिर्फ संपत्ति नहीं, संस्कार भी जरूरी डॉक्टर्स डे के मौके पर गर्भ संस्कार कार्यशाला का आयोजन, डॉ कीर्तिका अग्रवाल ने दिए टिप्स

प्रयागराज  गर्भ संस्कार बच्चे के विकास के लिए शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह से एक आदर्श वातावरण बनाने के महत्व पर जोर देता है। गर्भ संस्कार के पीछे की मान्यता है कि  मां की मानसिक और भावनात्मक स्थित बच्चे की बुद्धि, व्यक्तित्व और शारीरिक स्वास्थ्य सहित उसके पूरे विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। इसलिए विरासत में सिर्फ संपत्ति नहीं बल्कि संस्कार भी जरूरी होता है।यह बातें वात्सल्य सभागार में सोमवार को आयोजित गर्भ संस्कार कार्यशाला में महिलाओं को संबोधित करते हुए डॉ. कीर्तिका अग्रवाल ने कही। 
डॉ. कीर्तिका ने कहा कि बच्चे के मस्तिष्क का 80% विकास गर्भ में ही हो जाता है। इसलिए एक मां के पास अपार शक्ति होती है जो ईश्वर के बाद दूसरे स्थान र है जो मानव मस्तिष्क की डिजाइन कर सकती है। यहां महिलाओं ने सेहत से जुड़े कुछ सवाल भी किए जिसका जवाब डॉ. कीर्तिका ने दिया। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहीं प्रिंसिपल डॉ. सुष्मिता कानूनगो ने कहा कि मां ही अपने बच्चे की पहली टीचर होती है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान से ही मां को ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जिसका सीधा असर बच्चे पर पड़े। कार्यशाला में योग टीचर शशिकला ने गर्भवती महिलाओं को बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को किस तरह से योग के जरिए अपनी सेहत का ख्याल रखना है। डायटिशियन पुष्पांजलि मिश्रा ने खान-पान के बारे में समझाया। मेडिटेशन एक्सपर्ट जया ने कहा कि ध्यान के बारे में बताया। डॉ. कीर्तिका अग्रवाल ने बताया कि “मां को चाहिए कि गर्भावस्था के दिनों में वह ऐसा करे ताकि उसका बच्चा बिल्कुल स्वस्थ हो और तेज हो। गर्भ संस्कार का मतलब है गर्भावस्था में खुद को भावनात्मक, मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक तौर पर अच्छी स्थिति में रखना ताकि गर्भ में पल रहे शिशु पर अच्छा प्रभाव पड़े। गर्भावस्था में संगीत सुनना, सेहतमंद भोजन करना, योग करना, ध्यान और प्रार्थना करना, सकारात्मक सोच रखना और तनाव मुक्त रहना चाहिए।”

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