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रविवार, 30 जून 2024

काव्य कलिका : अपना लखीमपुर ...... रचना - शोभित यादव

लखीमपुर में जन्म मिला,
ये बात सौभाग्य से कम नहीं ।
क्यूंकि जननी जन्मभूमि से बढ़कर,
है स्वर्ग का वैभव नहीं।।

कोई नगर मशहूर गेंहू,
तो कोई चावल के लिए। 
अपना लखीमपुर है प्रसिद्ध,
गन्ने के उत्पादन के लिए।।

हैं कई महानगर प्रदेश में,
पर इससे अधिक क्षेत्रफल किसी का नहीं।

यहां होता है चीनी का उत्पादन अत्यंत प्रेम से,
इसलिए इसको जानते हैं चीनी का कटोरा नेम से।

हैं कई नगरों में चिड़ियाघर,
जहां कैद हैं जीव जंतु लोहे के जाल में।
यहां है देश का सुप्रसिद्ध दुधवा नेशनल पार्क,
जहां घूमते हैं सभी जंतु आजादी व सम्मान से।।

लखीमपुर की धरती है रहस्यों से भरी पड़ी,
बाबा लिलौटीनाथ धाम के रहस्य सुलझे नहीं कभी।

हैं अनेक प्राचीन पौराणिक मंदिर यहां की धरा पर,
छोटी काशी, मां संकटा के मंदिर भी हैं यहीं पर।

यदि बात की जाए प्राचीनता की,
और जिक्र न हो मेढक मन्दिर का।
यह थोड़ा अन्यायपूर्वक लगता है,
क्योंकि विश्व में नही कोई मेढक मन्दिर दूसरा।।

हैं यहां कई पिकनिक स्पॉट,
परंतु लोकप्रिय है सबसे कर्तनिया घाट।

शिक्षा के क्षेत्र में भी लखीमपुर पीछे नहीं,
क्योंकि तराई का ऑक्सफोर्ड भी उपस्थित यहीं।

लखीमपुर का सर्वस्व वर्णन कर पाना संभव नहीं,
क्योंकि यहां का इतिहास व गौरव कोई कम नहीं।

श्री कृष्ण कृपा से जिले के सूक्ष्म वर्णन का प्रयास,
यदि कोई त्रुटि हो तो कीजिएगा माफ।

              

            ~शोभित यादव

1 टिप्पणी:

  1. छोटी उम्र सुन्दर वर्णन जो किया हैं आपने , अपनें उस सुन्दर क्षेत्र की जो जानकारी दिया हैं आपने , धन्यवाद के पात्र हैं आप, आने वाले समय के कवि श्रेष्ठ हैं आप!!

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