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गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

पश्चिमी यूपी में हावी रहे लॉ, हिंदुत्व, अग्निवीर जैसे बड़े मुद्दे

लखनऊ.....पश्चिमी यूपी में लॉ, हिंदुत्व, अग्निवीर बड़े मुद्दे,यहां 26 में से 12-13 सीटों पर भाजपा आगे; 7 से 8 सीटों पर सपा को बढ़त, 5 सीटें फंसी......

● फेज-1: 8 सीटों पर 2019 जैसा ही रिजल्ट संभव, बस सीटें बदलेंगी.....

वेस्ट यूपी की पहले फेज की 8 सीटों पर मतदान हो चुका है। 2019 में इनमें से 5 सीटें भाजपा हार गई थी। इस बार मुकाबला 2019 से भी कड़ा दिख रहा है। रिजल्ट भी 2019 जैसा ही आता दिख रहा है। बस हारने और जीतने वाली सीटों के नाम बदल सकते हैं।पहले फेज में भाजपा गठबंधन (NDA) जिन सीटों पर जीत की स्थिति में दिख रही है, उनमें सिर्फ पीलीभीत और नगीना ही हैं। हालांकि टक्कर यहां भी कड़ी है। जबकि बिजनौर और मुजफ्फरनगर से कोई भी जीत सकता है। रामपुर, मुरादाबाद में सपा मजबूत है। कैराना और सहारनपुर में मुकाबला 50:50 का दिख रहा है।2019 आम चुनाव की बात करें तो भाजपा यहां सिर्फ मुजफ्फरनगर, कैराना और पीलीभीत सीट ही जीत पाई थी। सपा मुरादाबाद और रामपुर जीतने में कामयाब रही। बसपा सहारनपुर, नगीना, बिजनौर जीती थी।पहले फेज में किसानों-युवाओं की नाराजगी, अंदरूनी नाराजगी, प्रत्याशियों का गलत सिलेक्शन भाजपा पर भारी पड़ता दिखाई दे रहा है। ध्रुवीकरण भी भाजपा के लिए बहुत कारगर नहीं दिखाई दिया। इसकी तुलना में सपा और कांग्रेस का साथ आना और जातिगत समीकरण के लिहाज से प्रत्याशियों के सिलेक्शन से उसे मजबूती मिली है। बसपा सिर्फ वोट काटने की स्थिति में दिख रही है।

*फेज-2: भाजपा का गढ़, पर 2019 के मुकाबले साख कमजोर हुई......*
वेस्ट यूपी के दूसरे फेज में 26 अप्रैल को मतदान होगा। इसमें भाजपा पहले फेज की तुलना में थोड़ी मजबूत दिख रही है। भाजपा अपनी परंपरागत सीट मथुरा, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर में पहले की तरह बढ़त की स्थिति में दिखाई दे रही है। हालांकि गाजियाबाद सीट पर भाजपा प्रत्याशी अतुल गर्ग का विरोध नजर आ रहा है। मथुरा में भाजपा, रालोद के साथ आने से मजबूत हुई है।बागपत और मेरठ की बात करें तो भाजपा यहां 2019 के मुकाबले कमजोर दिख रही है। ये दोनों सीटें भाजपा पिछले चुनाव में जीतने में कामयाब रही थी। बात मेरठ की करें तो अरुण गोविल यहां पार्टी की अंदरूनी कलह और जातीय समीकरण में फंसते नजर आ रहे हैं। भाजपा नेता यहां अरुण का साथ देते तो दिखाई देंगे, लेकिन असल में उनके मन कुछ और चल रहा है।मेरठ में सपा प्रत्याशी सुनीता वर्मा को दलित होने का फायदा मिलता दिख रहा है। वहीं, बसपा प्रत्याशी देवव्रत त्यागी भाजपा का वोट काटते नजर आ रहे हैं। 2019 में भी भाजपा यहां काफी नजदीकी मुकाबले में तकरीबन 4 हजार वोट से जीती थी। बागपत की बात करें तो यहां भाजपा को जितना रालोद से हाथ मिलाने का फायदा हुआ है, उतना अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं-नेताओं के विरोध से नुकसान भी हो रहा है। सपा ने यहां अपना प्रत्याशी बदलकर ट्रंप कार्ड चला है।बागपत में सपा के पंडित अमरपाल शर्मा, रालोद के डॉ. राजकुमार सांगवान को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। अमरोहा सीट पर पिछली बार बसपा के दानिश अली जीते थे। इस बार वह कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। उनके लिए राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने रैली भी की है। वहीं भाजपा के कंवर सिंह तंवर काफी मजबूती के साथ लड़ रहे हैं। उनके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रैली की है। इस सीट पर कुल मिलाकर काफी रोमांचक मुकाबला है।अलीगढ़ में भाजपा के सतीश गौतम प्रत्याशी हैं। यहां प्रधानमंत्री मोदी रैली भी कर चुके हैं। लेकिन सतीश गौतम को लगातार इलाके में विरोध का सामना करना पड़ा है। भाजपा यहां ध्रुवीकरण के भरोसे है। जबकि इंडी गठबंधन के प्रत्याशी विजेंद्र सिंह एंटीइनकंबेंसी के भरोसे हैं। बुलंदशहर में भाजपा से भोला सिंह प्रत्याशी हैं। जबकि सपा से श्रीराम वाल्मीकि प्रत्याशी हैं। भोला सिंह यहां आगे नजर आ रहे हैं।2019 में भाजपा दूसरे फेज की 8 में से 7 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। सिर्फ एक सीट अमरोहा बसपा से हारी थी। इस बार भाजपा 5 सीटों पर आगे और 3 पर पीछे दिख रही है। इस बार यहां भाजपा किसानों-युवाओं की नाराजगी, प्रत्याशियों के विरोध और अंदरूनी कलह से जूझती दिख रही है। लेकिन योगी सरकार में कानून-व्यवस्था की बेहतरी उसके पक्ष में जाता दिखाई दे रहा है।

*फेज-3: भाजपा 10 में से 6 सीटों पर आगे, सपा 4 पर, बसपा सिर्फ वोट काटने की भूमिका में......*
तीसरे फेज में 7 मई को मतदान होना है। इसमें 10 सीटें हैं। भाजपा यहां पहले दोनों फेज से ज्यादा मजबूत नजर आती है। इस पूरे इलाके में ध्रुवीकरण, कानून-व्यवस्था, राम मंदिर, किसान, जातीय समीकरण और प्रत्याशियों का विरोध बड़ा मुद्दा नजर आ रहा है।तीसरे फेज में भाजपा आगरा, फतेहपुर सीकरी, एटा और आंवला सीट पर मजबूत दिख रही है। बरेली, हाथरस, फिरोजाबाद में सपा गठबंधन से भाजपा को कड़ी टक्कर मिल रही है। वहीं, संभल, मैनपुरी, बदायूं में सपा आगे दिखाई दे रही है।2019 में संभल और मैनपुरी सीट को सपा जीतने में कामयाब रही थी, जबकि बाकी 8 पर भाजपा जीती थी। इस बार दोनों के बीच मुकाबला 50-50 का नजर आ रहा है। संभल में भाजपा के परमेश्वरलाल सैनी और सपा के जियाउर्रहमान बर्क मैदान में हैं। बर्क आगे दिखाई दे रहे हैं। वो शफीकुर्रहमान बर्क के पोता हैं, जिनका हाल ही में निधन हो गया था। इससे जिया को यहां सहानुभूति वाला वोट भी मिलता दिख रहा है।बात बदायूं की करें, तो शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव पहली बार मैदान में हैं। उनके लिए यहां शिवपाल खुद मोर्चा संभाले हैं। यह सीट पिछड़ा बहुल है। इसलिए आदित्य भाजपा प्रत्याशी दुरविजय सिंह से आगे नजर आ रहे हैं। मैनपुरी सीट पर डिंपल यादव के खिलाफ भाजपा ने कैबिनेट मंत्री जयवीर सिंह को प्रत्याशी बनाया है। यहां तकरीबन 50% वोटर यादव हैं। ऐसे में डिंपल की ये सीट पक्की मानी जा रही है।बरेली में भाजपा इस बार पार्टी अंदरूनी कलह में उलझकर रह गई है। यहां से पार्टी ने 9 बार से लगातार जीत रहे संतोष गंगवार का काट दिया है। छत्रपाल गंगवार काे टिकट दिया है। आंवला और एटा सीट पर भाजपा सेफ दिख रही है। एटा में कल्याण सिंह बेटे राजवीर सिंह मैदान में हैं।आगरा में भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल मजबूत दिख रहे हैं। फतेहपुर सीकरी में भाजपा का मुकाबला कांग्रेस से है। यहां भाजपा से राजकुमार चहर मजबूत दिख रहे हैं। जबकि हाथरस सीट पर दलित वोटर निर्णायक भूमिका में हैं। यहां भाजपा, सपा और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिखाई दे रहा है।फिरोजाबाद में सपा से रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय प्रताप यादव चुनावी मैदान में हैं। भाजपा ने विश्वदीप सिंह को उतारा है। पीडीए वोटबैंक यहां निर्णायक भूमिका में है, इसलिए ये सीट फंसी दिख रही है।इस फेज में अभी तक के माहौल के मुताबिक भाजपा 10 में से 6 सीटों पर मजबूत नजर आ रही है। 4 सीटों पर सपा से उसे कड़ी टक्कर मिल रही है। बसपा महज एक से 2 सीटों पर थोड़ा-बहुत मुकाबले में है।

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