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मंगलवार, 12 मार्च 2024

एसपी साहिबा! कहीं आप भी तो बदल न जाओगी औरो की तरह?

बहराइच। विषम परिस्थितियों को सहजता से साधने अकूत क्षमता की धनी एसपी वृंदा शुक्ला जिस अंदाज से लोकहित कार्यों को आगाज किया उससे जनपद की जनता गदगद है। अपराधियों में भगदड़ है। कभी कप्तानों की कृपा से जनता जर्नादन का भया दोहन करने वाले थानेदारों का अब सावन भी पतझड़ है। इसके उपकृत के लिए जनता योगी जी की कृतज्ञ है। जिन्होंने वृन्दा शुक्ला जैसे वाचा, मनसा, कर्मणा से ईमानदार एसपी को बहराइच की बागडोर सौंपी। मुख्यमंत्री योगी की तरह वृंदा शुक्ला का बेहतर माननीय मूल्यों की चेतना एक लोक लगावन अति अभेद एक भिन्न धरातल लिए है। इनके प्रभुत्वशाली समृद्ध पृष्ठिभूमि का भरपूर संधान किया। इनके अंर्तमन की प्रभुत्वकारी अवधारणा सामाजिक उत्थान के अर्न्तदृष्टि का परिपक्य परिचायक है। जो जनहित कार्य को दृश्य ओझल नहीं करता। इनमें लोकहित सोपान सृजनता का समूचा अर्थात जटिल यर्थात का संधान करती है। वृंदा शुक्ला ने अपने वेवाक टिप्पणी कथनी-करनी की खाई को पाटा उससे जनमानस के छवि पटल के बीच जो राह बनाई उससे इनके पहुंच और स्वीकारता में चार चांद लगे। एसपी वृंदा शुक्ला की अनूठी हृदयातिरेक की ऐसी कार्यशैली है जहां बंद रास्तों के पार भी किसी पहल की प्रतीक्षा होती है। मैडम एस.पी.मेम ने लोकार्षण में जो केन्द्रियता प्रदान की वह उनके जन उत्थान परक सोंच व सामाजिक प्रतिवद्धता व समृद्ध परिदृश्य का परिचायक है। इनके उत्कृष्ठ मनोभावों के प्रार्दुभाव का सिलसिला जिस आवाध गति से जारी है जोे किसी भी सर्वेक्षण की पूर्णिता से वंचित नहीं रख सकेगा।एसपी वृंदा शुक्ला को योगी सरकार ने भयमुक्त समाज देने के लिए 7 जनवरी को बहराइच का बागडोरी सौंपी थी। अपराधिक प्रवृत्ति, समाज विरोधी क्रिया कलापों में रत तथा कतिपय वर्दी विभागीय मुलाजिमों को भान नहीं रहा होगा कि वृंदा शुक्ला कोई सामान्य नहीं अपितु आयरन लेडी अफसर होगी। विभाग में किसी को सहज कल्पना नहीं रही होगी कि एसपी साहिबा के पहली बैटिग में ही लापरवाह, निष्क्रिय, वास्तविक कर्तव्यबोधता से परे सिपाही, दीवान, दारोगा और कोतवाल रन आउट व बोल्ड होकर पुलिस लाइन पहुंच जायेगे। एसपी साहिबा की धुआधार कार्रवाई से जहां कतिपय  मुलाजिमों पर बज्रपात हुआ तो वहीं जन मानस भाव विभोर व गदगद हो उठा। समूचे समाज में सीधा-सीधा संदेश गया कि न्याय की आस अब उनके पास है। एसपी साहिबा ने अपने अति लघु कार्यकाल में योगी सरकार के मंसूबों को जनपद में शिखर आरोही बनाया बल्कि वे जन-जन की सुधा नायक बन गई। इनके जन मंजुल समन्यवय का लोकार्षण कौतूहल का केन्द्र बिन्दु सेतु बना। वृंदा शुक्ला से अभिभूत जन-मन के मस्तिष्क में अनुन्तरित सवालों के सैलाब उमड़ रहे है कि ’’एसपी साहिबा आप भी तो बदल न जाओगी औरों की तरह’’!एसपी वृदा शुक्ला उन छात्राओं के लिए सुरक्षा कवच सरीखी है जिनके स्वप्निल भविष्य के साकार में संसार है। छात्राएं कोचिंग, कालेज के लिए घर से निकलते ही एक भय की शंका सताती थी कि रास्तें में कोई लफंगा कोई लफडा न कर दे। अभिभावक की भी यही चिन्ता का सबब था कि बिटिया सकुशल कालेज, स्कूल, कोचिंग से घर लौटे। वृंदा शुक्ला ने इन लाडली बहनों के सुरक्षा व्यवस्था का पूरा और पक्का इंतजाम किया। स्कूल, कालेजों और कोचिंग सेंटरों की निगेहबानी करा रही है। उन्होंने बार-बार कई बार उचित मंचो पर कहा कि हम अध्यनरत छात्राओं की सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर है। हम ऐसे शैक्षणिक संस्थानों की निगेहबानी करा रहे है। इनकी सुरक्षा के लिए सरकार, शासन भी प्रतिबद्ध है। यदि किसी छात्रा की अथवा हाट बाजार जा रही अकेली महिलाओं कोई कोई मनचलों, अराजक तत्वों की आशंका लगे वे तुरन्त पुलिस हेल्प लाइन के साथ-साथ उन्हें भी फोन करें। एसपी ने अपने मातहतों को भी कड़ा संदेश दिया है कि यदि छात्राओं तथा महिलाओं के साथ रास्तें में अभद्रता की घटना सामने आई तो उसके सीधे जिम्मेदार होगे। उनके विरूद्ध कठोर कार्रवाई की जायेगी। देर हो अबेर पथ गमन में कोई बाधा नहीं। ऐसी छात्राएं जो कालेज, कोचिंग जाकर अपने स्वप्निल सपने साकार करने का संसार संजो रखा है। वह सुरक्षित महसूस करके वृंदा शुक्ला को धन्यवाद दे रही है।योगी सरकार हो अथवा न्यायालयों सबके निर्देश है कि अवैध खनन न होने पाये। उक्त के आलोक में एसपी वृंदा शुक्ला बहुत सख्त रूख अख्तियार से अवैध खनन पर पूर्ण विराम लगा है। जनपद में पहाड़ी नदियों के संजाल से सफेद बालू तथा मिट्टी का अवैध खनन सबाब पर हुआ करता था। रात की लाइन लेकर पूरी रात खनन और विक्री अर्पित डम्पिंग का निर्वाध रूप से कारोबार चलता है। पुलिस एक-एक खनन माफिया से लाखों का वारा न्यारा होता था। अब जब वे वृंदा शुक्ला जनपद में पदापर्ण किया है। रात विरात औचक निरीक्षण के लिए निकल पड़ती है। उनका रास्ता किधर कितने वक्त वे वक्त हो और बालू अवैध बालू मिट्टी लदा टैªक्टर-ट्राली उनसे रूबरू हो जाय सो सब बन्द। जिले के दूरस्थ्य क्षेत्रों में धंधा चल रहा हो तो दीगर बात है। लेकिन पहले जैसा बात नहीं। एसपी ने भी अपने थानेदारों को चेता रखा है खनन माफिया की जपे तो निश्चित नपे।रात की रवानगी और मौजूदगी में विरोधाभाषी स्थितियों में अंजाम एसपी साहिबा ने अक्ष्म्य घोषित कर दिया है। दरअसल पुलिस विभाग में अरसो पूर्व से स्वस्थ्य परम्परा यही थी कि थानाध्यक्ष, दारोगा सिपाही रात क्षेत्र में रवानगी दिखाकर अपने आवासों में रात्रि पूर्ण विश्राम करते थे। लेकिन एसपी साहिबा ने अब तो सब उलट पुलट कर रख दिया है। आधी-आधी रात औचक थाने पहुंच जाती है। उन्हें उनके प्राथमिक निरीक्षणों में तो पहरे से संतरी, डियूटी से दारोगा गायब मिला। खामी से नाराज एसपी की रौद्ररूपता में सब व्यवस्था को पटरी पर ला दिया। अब रात में पीड़ित को दारोगा, मंुशी की प्रतीक्षा नहंी करनी। रात्रि में सायरन की गर्णभेदी आवाज लाल नीले पुलिस गाड़ियों के चकाचौध चुधियाने वाले प्रकाश से जन मानस को आराम ही आराम। पुलिस की रात्रि आवाजाही गश्त से अपराधी, चोर को चुप्पी साधने में ही उन्हें भलाई दिखी। एसपी साहिबा का सीधा संदेश ’’यदि सोना है तो खोना है’’ भवार्थ रात्रि डियूटी में सोये तो सुबह पुलिस लाइन के दरवाजे खुले है।मादक पदार्थ कारोबार के लिए जनपद का कुछ क्षेत्र सदैव से बदनाम रहा है। यह मादक पदार्थों के सौदागर अपने कलुषित व्यवसाय से हंसी खुशियों के पता नहीं कितने परिवारों की जिन्दगी तबाह कर देते है। नशे के लत में बहुतों ने अपने सुहाग को खोकर भरी जवानी में विधवा हो गई। अनगिनत देश के भावी भविष्य के नौनिहालों के कुछ कर गुजरने की तमन्ना नशे के गर्त में समा गई। मां ने पुत्र को खोया। बाप बेटे के वात्सल्य तो बेटा पिता के दुलार से वंचित हो गया। नशे की लत ने जीवन के सारे सुनहरे सपनो की कल्पना को असमय ग्रास कर लिया। ऐसा नहीं कि नशे का निर्वाध व्यवसाय ऐसे ही स्वछंद स्वतंत्र फलता फूलता था। इसके पीछे पुलिस की सरपरसती भी थी उन सपनों के सौदागरों के साथ। शहर और नेपाल इलाकों में अफीम, चरस, ब्राउन शुगर का व्यापक व्यापार क्षितिज पर था। जो निर्वाध गति से गतिमान था और खाकी का उन यमराजों को चंद सिक्कों के एवज में खुला संरक्षण। एसपी वृंदा शुक्ला ने इस कलुषित धंधेबाजों पर अपनी वक्रदृष्टिपात किया तो परिणाम सार्थक निकले। भारी मात्रा मंें मादक पदार्थों के साथ धंधारतों को जेल में जगह दिलायी। एसपी साहिबा को भले ही सही आंकड़ा का ज्ञात न हो कि उनके इस अभियान का परिणाम कितना और किस हद तक सार्थक निकला। परन्तु तो सच यह है कि उनके इस मेक अभियान से पता नहीं कितने घरों में पुनः खुशियों का दीपोत्सव से जिन्दगी जगमगा उठी है। असमय दीवाली सरीखे दीपोत्सव के प्रकाश पंुज से घर, आंगन पुनः चहक उठे है। एसपी साहिबा भी अब इस धंधे के पीछे अपने उन मुलाजिमों की तलाश कर रही होगी जो भरे पूरे परिवार के दुर्दान्त जीवन देने के लिए जिम्मेदार थे या है

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