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शनिवार, 9 मार्च 2024

सेवा सुरक्षा न होने से चयन बोर्ड से चयनित अध्यापकों एवं अध्यापिकाओं का उत्पीडन होना तय

प्रयागराज। अशासकी सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत ऐसे शिक्षक जो चयन बोर्ड से चयनित हैं  कोई राजकीय कर्मचारी नहीं हैं  ऐसे में  अध्यापन कार्य कर रहे  अध्यापक व अध्यापिकाओं की  सेवा सुरक्षा की  शर्तें इण्टमीडिए शिक्षा अधिनिय - 1921, वेतन वितरण अधिनियम - 1971 व चयन बोर्ड अधिनियम-1982 के प्रावधानों से शासित होती रही हैं अगस्त 2023 में सरकार ने एक नया अधिनियम( उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग अधिनियम - 2023) पारित किया , इस अधिनियम के द्वारा चयन बोर्ड अधिनियम - 1982 को निरसित( रद्द) कर दिया गया । अगस्त 2023 से पूर्व हमारी सेवा शर्तों में चयन बोर्ड अधिनियम की धारा - 21 एक बड़ा कवच थी । धारा - 21 में यह प्रावधान था कि कोई भी प्रबन्ध किसी भी शिक्षक के वेतन, परिलब्धि, सुविधाओं में कटौती एवं सेवा समाप्ति तब तक नहीं कर सकता जबतक कि चयन बोर्ड से पूर्व अनुमति न ले लिया गया है ।किन्तु चयन बोर्ड अधिनियम - 1982 रद्द होने के बाद इसकी धारा - 21 की सुरक्षा भी समाप्त हो गयी है । नये अधिनियम में या उसके विनिमय में भी इस धारा को शामिल नहीं किया गया है अर्थात अब अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में  पूरी तरह से प्रबन्धक और जिला विद्यालय निरीक्षक की  चलेगी । जिस दिन दोनों एक हो जाएं उस दिन आपकी सेवा समाप्त होते देर नहीं लगेगी । इसके अलावा चयन बोर्ड अधिनियम की धारा - 12 पदोन्नति का प्रावधान करती थी वो भी समाप्त है तथा धारा -18 जो कार्यवाहक प्रधानाचार्य को तदर्थ प्रधानाचार्य मानते हुए प्रधानाचार्य ग्रेड देने का प्रावधान करती थी वह भी समाप्त ।_
इतना ही नहीं अध्यापिकाओं के लिए और भी समस्या बढेगी प्रबंधकों द्वारा एक अर्शे से शोषण किया जाता रहा है  जिसके सम्बन्ध आए दिन खबरें सुनने को मिलती रहती हैं ऐसे में सेवा सुरक्षा को लेकर सरकार को विचार कर सेवा सुरक्षा सुनिश्चित करे या फिर अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों को राजकीय कृत कर दिया जाए ।

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