प्रयागराज। बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन और प्रदेश सरकार के सहयोग से वाराणसी के राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में चल रहा इंस्टीट्यूट ऑफ अप्लाइड डर्मेटलॉजी (आईएडी) केरल का फ़ाइलेरिया ट्रीटमेंट सेंटर, फाइलेरिया मरीजों के लिए वरदान साबित हुआ है। जहाँ एलोपैथी, आयुर्वेद और योगा पद्धति से फाइलेरिया (हाथीपांव) ग्रसित गंभीर रोगियों का निःशुल्क उपचार किया जा रहा है।जनपद में नैनी क्षेत्र के निवासी फाइलेरिया मरीज बैजनाथ कुशवाहा (उम्र 47 वर्ष) 23 साल से फाइलेरिया के रोग से ग्रसित हैं। वह अपनी दैनिक क्रियाएं और रोजमर्रा के काम के लिए दूसरों पर निर्भर थे इन्हें आईएडी सेंटर ने एक नया जीवन दिया है। 215 किलो के बैजनाथ जिनके एक पांव का वजन 92 किलो व दूसरे पांव का वजन 54 किलो था। उनका बिना किसी सर्जिकल प्रक्रिया के निःशुल्क उपचार से शरीर का 102 किलो वजन कम हुआ है।बैजनाथ ने बातचीत में बताया कि “फाइलेरिया के कारण मेरा दोनों पैर हाथी कि तरह मोटा हो गया था। अपने ही शरीर का बोझ मुझे तकलीफ देने लगा, जिसके कारण मैं निराश होकर अपंग कि तरह जीवन जी रहा था। एक दिन जिला मलेरिया अधिकारी डॉ आनंद सिंह मेरे घर आए और उन्होंने मुझे आईएडी सेंटर के विषय में बताया और उसी हफ्ते पाथ संस्था के डॉ. शाश्वत त्रिपाठी व आनंद सिंह ने अपने निजी प्रयास से वाहन (ट्रैक) का प्रबंध कर मुझे वाराणसी भेजा। क्योंकि मेरी स्थिति बहुत जटिल थी इस कारण मेरा तीन माह तक निःशुल्क उपचार चला। सेंटर पर हुए उपचार से अब मेरा पैर 60 फीसदी से ज्यादा ठीक हो चुका है। मेरे पैर का वजन इतना ज्यादा कम हो गया है की अब मैं बिना किसी के सहारे चल-फिर लेता हूँ। मेरी स्थिति में हुए इस अविश्वसनीय सुधार से मैं और मेरे परिवार वाले काफी खुश हैं।“ जिला मलेरिया अधिकारी आनंद सिंह ने बताया कि “फाइलेरिया दुनिया में दूसरे नंबर की ऐसी बीमारी है जो बड़े पैमाने पर लोगों को विकलांग बना रही है। यह जान तो नहीं लेती है, लेकिन जिंदा आदमी को मृत के समान बना देती है। फाइलेरिया एक बार हो जाए तो उसका पूर्ण इलाज अभी उपलब्ध नहीं है पर फाइलेरिया मुक्त भारत की दिशा में कार्य कर रही “फाइलेरिया एकीकृत उपचार केंद्र” आईएडी सेंटर फाइलेरिया मरीजों के लिए वरदान साबित हो रहा है। यह सेंटर वाराणसी के चौकाघाट पर स्थित है। जहां फाइलेरिया के ग्रेड थ्री व उससे ऊपर ग्रेड (स्तर) के फाइलेरिया रोगी अपना निःशुल्क उपचार करा सकते हैं। यहां मौजूद आयुर्वेद और योगा पद्धति, हाथीपांव ग्रसित गंभीर रोगियों के सम्पूर्ण प्रबधन कर उसके उपचार में मददगार साबित हो रही है और उन्हें सामान्य जीवन की ओर भी ले जा रही है।“उपचार प्रक्रिया की जानकारी देते हुए राजकीय आयुर्वेद कॉलेज में स्थित आईएडी सेंटर के निदेशक डॉ.एसआर नरहरी ने बताया कि “यहाँ गंभीर (ग्रेड थ्री या उससे ऊपर) फाइलेरिया रोगियों कि मेजरमेंट, साफ-सफाई, आयुर्वेदिक थेरेपी फांटा सोकिंग (घोल प्रक्रिया), योगा, कंप्रेशन और अंत में पुनः योगा व मसाज के माध्यम से मरीज का उपचार किया जाता है।डॉ.एसआर नरहरी ने बताया कि “यहां सामान्य तौर पर 14 दिनों तक मरीज का निःशुल्क उपचार किया जाता है। गर मरीज को लेवल 3 के ऊपर का फाइलेरिया है तो उसे और अधिक दिन भी भर्ती रखा जा सकता है। यहाँ भर्ती मरीजों के ठहरने और खाने की व्यवस्था है। 14 दिन का उपचार पूरा होने के बाद रोगी का तीन माह तक फॉलोअप किया जाता है। अब तक 185 से ज्यादा रोगियों का उपचार पूरा हो चुका है जबकि 10 रोगियों का उपचार चल रहा है। केंद्र पर रोगियों के उपचार के लिए चिकित्सक सहित 10 स्वास्थ्यकर्मियों का स्टाफ नियुक्त है। इसमें एक आयुर्वेद चिकित्सक, दो एलोपैथी नर्स, एक योगा थेरेपिस्ट, पांच मल्टीपर्पस पैरामेडिकल स्टाफ, और एक तकनीकी समन्वयक शामिल हैं। मरीज या मरीज़ का परिवार उपचार केंद्र के हेल्पलाइन नंबर +919567283334 पर प्रत्येक दिन सुबह नौ से सायं पाँच बजे तक संपर्क कर सकता है।“
रविवार, 17 मार्च 2024
राजकीय आयुर्वेद कॉलेज के आईएडी सेंटर में फाइलेरिया मरीजों का हो रहा मुफ्त उपचार

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