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मंगलवार, 12 मार्च 2024

कोलकाता / बङाबाजार लाइब्रेरी के 125वें वर्ष प्रवेश पर फगुनहटी काव्य गोष्ठी का आयोजन

● महाशिवरात्रि,वसंतोत्सव एवं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को समर्पित काव्य-गोष्ठी का बड़ाबाजार लाइब्रेरी में आयोजन

कोलकाता  10 मार्च: पूर्वोत्तर भारत की प्राचीनतम लाइब्रेरी ,बड़ाबाजार लाइब्रेरी के 125वें प्रवेश वर्ष पर लाइब्रेरी के अध्यक्ष श्री महावीर प्रसाद अग्रवाल वैद्य की अध्यक्षता में  एक काव्य गोष्ठी का आयोजन बाजार लाइब्रेरी के आचार्य विष्णुकांत शास्त्री सभागार में किया गया, जिसमें महानगर के गणमान्य कवियों ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं से साहित्य के रसिक श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर दिया। मुख्य अतिथि के रूप में दिल्ली से पधारी नारायणी संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.पुष्पा सिंह और विशिष्ट अतिथि के रूप में राष्ट्रीय कवि संगम के प्रांतीय सह महामंत्री श्री बलवंत सिंह गौतम की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा को और बढ़ा दिया। इस कार्यक्रम का संचालन सुप्रसिद्ध कवि तथा व्यंग्यकार डॉ गिरिधर राय ने किया। रामाकांत सिन्हा की सरस्वती वंदना के साथ इस कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। स्वागत भाषण लाइब्रेरी के सचिव अशोक कुमार गुप्ता ने किया। मुख्य अतिथि डॉ पुष्पा सिंह(दिल्ली) ने अपने वक्तव्य में कार्यक्रम की तारीफ करते हुए काव्य पाठ भी किया।महाशिवरात्रि , वसंतोत्सव एवं अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को समर्पित इस फगुनहटी काव्य गोष्ठी में महानगर के नामचीन साहित्यकारों ने अपनी सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतियाँ दीं उनमें हीरालाल जयसवाल, रामाकांत सिन्हा, ऊषा जैन, डॉ सुभाष चन्द्र शुक्ल, भँवरलाल गट्टानी, भारती मिश्रा,रवीन्द्र श्रीवास्तव, रामनाथ बेखबर, रणविजय श्रीवास्तव, श्रद्धा टिबड़ेवाल, सीमा शर्मा, मीतू कनोड़िया,चन्द्रिका प्रसाद अनुरागी, डॉ.मनोज मिश्र, पुनीत अग्रवाल, वंदना पाठक, प्रदीप कुमार धानुक,  मोहन चतुर्वेदी, जीवन सिंह,  डॉ शिप्रा मिश्रा, प्रणति ठाकुर, कंचन राय, नन्दलाल रौशन, बिकास कुमार ठाकुर, गौरीशंकर दास, नन्दू बिहारी,राम नारायण झा आदि की गरिमापूर्ण उपस्थिति रही। 
कार्यक्रम के सफल आयोजन में लाइब्रेरी के 
उपाध्यक्ष जयगोपाल गुप्ता,सुनील मोर, रामाकांत सिन्हा, विष्णु वर्मा एवं सी के जैन का सराहनीय योगदान रहा। श्रोताओं में  शीला अग्रवाल, कृष्णा शाह, नारायण प्रसाद शाह, आयुष कुमार राय, नितेश राय, प्रिंस शॉ, सूर्यभान, भागीरथ सारास्वत, प्रीति धानुक, सहित अन्य काव्यप्रेमियों की  तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूॅंजता रहा। धन्यवाद ज्ञापन बलवंत सिंह गौतम ने किया।

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