नई दिल्ली, आत्मा राम सनातन धर्म महाविद्यालय (दिल्ली-विश्वविद्यालय) की नाट्य समिति ‘रंगायन’ द्वारा अपनी यात्रा के बीसवें वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर इस वर्ष पाँच दिवसीय नाट्य उत्सव का आयोजन किया गया. इस क्रम में तीसरे दिन 31 जनवरी को मन्नू भंडारी लिखित सुमन कुमार निर्देशित नाटक ‘महाभोज’ का मंचन कॉलेज के छात्रों द्वारा श्रीराम सेंटर में किया गया। ‘रंगायन’ की बीस वर्षों की गतिविधियों पर आधारित ‘स्मारिका’ का प्रकाशन भी किया गया है जिसमें अपने शुभकामना संदेश में दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा है कि “नई शिक्षा नीति में व्यवहार मूलक बहु आयामी शिक्षण पर अत्यधिक ध्यान दिया गया है ताकि राष्ट्रनिर्माण से युवा-वर्ग जुड़ सके।आशा है ‘रंगायन’ नाट्य-समिति अपने सुनहरे सफ़र को उसी के अनुरूप जारी रखते हुए दृश्य और श्रव्य माध्यमों में अपने छात्रों के लिए नई कीर्तिमान स्थापित करेगी।“
मन्नू भंडारी का ‘महाभोज’ नाटक सबसे पहले उपन्यास के रूप में 1979 में प्रकाशित हुआ था। इसी उपन्यास को नाटक के रूप में 1983 में प्रकाशित किया गया। इसका पहला मंचन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय दिल्ली के रंग-मंडल द्वारा मार्च 1982 में हुआ था। यह राजनिति पर आधारित यथार्थपरक नाटक है। महाभोज नाटक समाज की दुर्दशा और विभाजन को उजागर करने का कार्य करता है। इसके केंद्र में भूख, लालच,और बौद्धिक असमानता है, जो एक समृद्धि से पूर्ण समाज में भी उसकी वीभत्स प्रवृत्तियों को बयान करती है। यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि मन्नू भंडारी का ‘महाभोज’ नाटक अपने नाम को पूरी तरह से सार्थकता प्रदान करता है। स्वयं मन्नू भंडारी के शब्दों में- महाभोज की तकलीफ एवं संधर्ष सुपरिचित स्थिति से दिल दहला देने वाला, लेकिन मात्र एक कलात्मक साक्षात्कार भर है, जबकि देश की संघर्षरत जनता के लिए साहस और प्रति रोध का हथियार भी”
निर्देशक सुमन कुमार ने अस्सी की दशक की राजनितिक-सामाजिक पृष्ठभूमि पर लिखे इस नाटक की मूल स्वर को इस प्रस्तुति में यथावत कायम रखा है।अभिनय की बात करें तो आमोद सिंह, हर्ष वर्मा, मोहम्मद शोएब, विशाल कुशवाहा,कीर्तिका मिश्र,लक्ष्य आनंद आदि ने अपने अभिनय से जमकर तालियाँ बटोरी।
प्रस्तुति के उपरांत अपनी टिप्पणी में मुख्य अतिथि विश्व व्यापार संगठन में उप-महानिदेशक रहे डॉ. हर्ष वर्धन सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों ने अपने अभिनय से बांधे रखा जो उसके पेशेवर प्रतिबद्धता को दर्शाता है. महाविद्यालय के प्रिंसिपल प्रो. ज्ञानतोष कुमार झा ने कहा कि रंगायन की इस बीस वर्षीय यात्रा में कलाकारों ने अखिल भारतीय स्तर पर विभिन्न रंगमंचीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और अनेक पुरस्कार प्राप्त कर हमारे महाविद्यालय का नाम रौशन किया। ‘रंगायन’ से जुड़े अनेक छात्र-छात्राएँ देश की नामचीन संस्थाओं से जुड़े और अपनी मंजिल तक पहुंचे। इस पथ के राही अब कारवाँ बनने को आतुर हैं।
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