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गुरुवार, 1 फ़रवरी 2024

धार्मिक / श्रीराम लला की अलौकिक अद्भुत आभा जो भी देखे देखता रह जाए ...

●  राम नाम संजीवनी राम ही सुख के सार, 
करे स्मरण जो हृदय से हो भव बाधा से पार

कहते हैं कि जब कोई कार्य मन से और पूरी लगन से किया जाए तो ईश्वर भी साथ देते हैं कुछ ऐसा ही आभास नगर के दो राम भक्तों को भी हुआ।

विगत बाईस जनवरी से अयोध्या धाम में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा दिवस से ही करोड़ों भक्तों की भांति मन में दर्शन अर्चन की अभिलाष लिए नगर के दो समाजसेवी राम मोहन गुप्त और आशीष कुमार गुप्त कफारा वाले प्रभु से पूरे श्रद्धा भाव से प्रार्थना कर रहे थे कि दर्शन दें प्रभु श्रीराम और यकायक अयोध्या धाम जाने का सपरिवार कार्यक्रम बना, विभिन्न अभीष्ट जनों के सहयोग और शुभेच्छा से प्रभु के अलौकिक अभिराम दर्शन करने का सौभाग्य मिल गया। श्रीराम लला की मोहक छवि, अति सुंदर स्वरूप और हृदय को असीम आनंद देने वाली अलौकिक आभा को देख कर सभी ज्यों सुध-बुध खो बैठे और अपलक अटल प्रभु को भाव विभोर हो निहारते रह गए और ऐसा केवल इन्हीं भक्तों के साथ नहीं बल्कि सभी के साथ हो रहा था ऐसा कहना है साहित्य हृदयी राम मोहन गुप्त का।

अपने अनुभवों को बताते हुए श्री गुप्त आगे कहते हैं कि श्रीराम लला, कनक भवन, हनुमान गढ़ी के दर्शन पूजन के साथ पावन सरयू की दिव्य संध्या आरती, भव्य लेजर शो, अद्भुत अयोध्या धाम की पावन रज क्या मिली मानो लता मंगेशकर चौक के सभी तार बज उठे। प्रभु के दिव्य दर्शन और प्रभु के विभिन्न सेवकों, सुरक्षा कर्मियों की अति स्नेहिल सहयोगी कार्यवृत्ति, जगह जगह के भंडारे, प्रसाद और पेय जल, अयोध्या की स्वच्छतम सड़के, एक रूप रंगे सजे घर और प्रतिष्ठान आदि ने मानो नयनों के प्यास और हृदय की आस पूरी कर दी। इन सबसे बढ़कर लाखों भक्तों को बगैर किसी असुविधा के दिव्य दर्शन और वह भी जी भर के करने का अवसर, जिसके चलते सभी के मुख से बरबस ही निकलता है एक ही नाम जय श्रीराम। 

अर्चना, लीना, तन्मय, आशीष और राम मोहन प्रभु श्रीराम, मोदी जी और योगी जी का आभार देते नहीं थकते और अपने भाग्य पर इतराते हुए राम आशीष सपरिजन ईश्वर, निज देश की न्याय प्रणाली और वर्तमान शासन प्रशासन को आभार देते नहीं थकते शायद इसी लिए ही कहते हैं कि...
राम नाम संजीवनी राम ही सुख के सार,
करे स्मरण जो हृदय से हो भव बाधा से पार।

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