Breaking

शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

बाल कहानी ( स्वरचित) : " कोडवर्ड " .... लेखक - अन्नपूर्णा गुप्ता ' सरगम '

                   अन्नपूर्णा गुप्ता ' सरगम '

विद्यालय के दरवाजे पर ही चौकीदार चाचा ने दीपा की सुंदर फ्रॉक की तारीफ करते हुए पूछा, क्या बात है बेटा आज तुम्हारा जन्मदिन है क्या? दीपा ने चहकते हुए जवाब दिया, हां, चौकीदार चाचा,आज मेरा जन्मदिन है। शाम को घर पर पार्टी भी है। ये लो आप भी चॉकलेट खाओ, ये कहते हुए दीपा अपने हाथ में लिए हुए बड़े से चॉकलेट के डब्बे को खोलती है और एक चॉकलेट निकाल कर चौकीदार चाचा के हाथ पर रख देती है। चौकीदार चाचा मुस्कुराते हुए चॉकलेट ले लेते है और दीपा को अन्दर जाने के लिए कह विद्यालय का दरवाजा बंद कर देते है। 
विद्यालय के प्रार्थना गृह में दीपा और उसके साथ तीन और बच्चो का जन्मदिवस मनाया जाता है। आज दीपा बहुत ही खुश थी। वो पूरे आठ साल की हो गई थी। उसे पता था आज उसके जन्मदिन पर गांव से दादा - दादी आने वाले थे। वो सोच रही थी की कब विद्यालय का अवकाश हो और कब वह दौड़ कर घर पहुंच जाए। जब भी गांव से दादा और दादी आते थे तो दीपा की चांदी हो जाती थी। उसे कोई डांट नही पाता था। वो दादा की सबसे लाडली थी और दादी से रोज रात को कहानियां सुनने को मिलती थी। दीपा ने अपने सहेली को बताया कि उसके दादी के पास कहानियों का खजाना रहता है। यह सुनकर उसकी सहेली ने कहा कि उसे भी कहानियां सुननी है तो दीपा ने उसे रविवार को अपने घर आने का न्योता भी दे दिया। फिर आखिर विद्यालय की अवकाश की घंटी बज उठी और दीपा अपना बस्ता ले कर बाहर की ओर दौड़ी। 
विद्यालय के दरवाजे पर सभी माता पिता अपने अपने बच्चों को ले कर जा रहे थे। पर दीपा को पापा कही दिखाई नही दे रहे थे। वैसे तो दीपा को रोज लेने मम्मी आती थी पर आज पापा आने वाले थे। 
काफी समय निकल गया। अब दीपा खड़े खड़े थकने लगी थी की अचानक एक अंकल आए और दीपा को कहा, तुम दीपा बेटी हो ना। चलो आज मैं तुम्हें लेने आया हूं। दीपा खुश हो गई चलो देर से ही सही उसे कोई लेने तो आया पर अचानक उसे मम्मी की बातें याद आई की किसी अनजान व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए। दीपा ने तपाक से पूछा - पर अंकल आप है कौन। मैं तो आपको नही जानती। तो अंकल ने बोला अरे मैं तो तुम्हारे पापा का दोस्त हूं।
तुम मुझे नही पहचान रही हो? आज तुम्हारा जन्मदिन है ना। इसलिए मम्मी पापा व्यस्त है तो मुझे बोला दीपा बेटी को विद्यालय से लेते आओ,  तो मैं आ गया। देखो मैं नई गाड़ी लाया हूं, बाहर खड़ी है। तुम्हारे पापा ने कहा तुम नई गाड़ी से आज आओगी। चलो जल्दी करो नही तो देर हो जाएगी। उस व्यक्ति ने दीपा का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींचा पर दीपा को कुछ ठीक नही लगा। उसने कहा अच्छा अंकल आपको मम्मी पापा ने भेजा है तो कोडवर्ड बताइए। 
दीपा के इतना कहते ही अंकल थोड़े घबराए और बोले - बेटा बहुत देर हो रही है। चलो जल्दी करो घर चल कर बात करेंगे। दीपा ने कहा पर कोडवर्ड तो बताइए। जब आपको मम्मी पापा ने मुझे लेने के लिए भेजा है तो कोडवर्ड भी बताया होगा।
इतना सुनते ही उस आदमी ने दीपा से कहा - बताया तो नही अभी फोन कर के पूछ लेता हूं। इतने में दीपा दौड़ कर चौकीदार अंकल के पास पहुंच गई और बोली अंकल मैं इनको नही जानती। चौकिदार अंकल विद्यालय के कुछ अन्य लोगो को बुलाने लगे यह देख कर वो आदमी वहां से भाग गया। 
इतने में दीपा के पापा भी आ गए। भीड़ देखकर उन्होंने पूछा तो सारा माजरा समझ में आ गया। सभी ने दीपा की बहुत तारीफ की। फिर उसकी अध्यापिका ने पूछा पर ये पासवर्ड क्या है? तो दीपा ने बताया कि मम्मी पापा और उसके बीच एक कोडवर्ड है। जो केवल उन तीनो को हो पता है। और मम्मी  ने कहा जब कोई अंजान आदमी तुमसे कहे की उसे मम्मी पापा ने भेजा है तुम्हें लाने या ले जाने को तो तुम उससे कोडवर्ड पूछना। अगर उसने सही कोडवर्ड बताया तो तुम उसका कहना मान सकती हो। नही तो शोर मचाना और आज ये तरकीब काम आ गई।
उसकी अध्यापिका ने उसके समझदारी की बड़ी तारीफ की। आखिर उनके विद्यालय से एक बच्ची का अपरहण होने से बच गया। विद्यालय की सुरक्षा व्यवस्था को इसकी खबर दी गई। ताकि आगे से ऐसी कोई घटना न हो। इसके बाद दीपा अपने पापा के साथ खुशी खुशी घर आ गई।
                                     ( स्वरचित )
                             अन्नपूर्णा गुप्ता ' सरगम '
                             उल्हासनगर, महाराष्ट्र

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Post Comments