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बुधवार, 20 दिसंबर 2023

प्रयागराज शहर में कैरल सिंगिंग हुई शुरू, सैंटा क्लाज़ नें दिया क्रिसमस की अग्रिम बधाइयाँ।

प्रयागराज। जहाँ एक ओर क्रिसमस पर्व को लेकर शहरों के प्रतिष्ठान सज़ चुके हैं वहीं अब कैरल सिंगिंग की धूम भी घरों में शुरू हो चुकी है। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी क्रिसमस की ख़ुशी में युवा, बच्चे और बुज़ुर्ग इकट्ठा हुए और टोलियाँ बना कर मसीही परिवारों के घरों में जा कर प्रभु येशु के जन्म की ख़ुशियाँ मनाई। “झूमो नाचो ख़ुशी से आज…..यीशु पैदा हुआ। वो एक बालक है फिर भी लेकिन अजीब हस्ती बना हुआ है, आया मसीह चरनी में तू पापियों को बचाने को….जैसे गीत घर-घर जा कर गाने और नृत्य का सिलसिला देर रात तक चलता रहा। गिटार और ढोलक की धुन पर गाये गए इन गीतों से माहौल ख़ुशनुमा हो गया और हर कोई नाचने को आतुर हो गया । इस दौरान कैरल गायन मंडली के युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था । सैंटा क्लॉज के साथ डांस और मस्ती करने के लिए बच्चों में भी काफ़ी उत्सुकता देखी गई। क़ैरल सिंगिंग के दौरान ईसाई समुदाय के लोगों ने एक दूसरे को गुझिया, डोनट एवं अन्य पारंपरिक पकवान खिला कर क्रिसमस एवं नव वर्ष की अग्रिम बधाइयाँ भी दिया। डायोसिस ऑफ लखनऊ के बिशप मोरिस एडगर दान ने बताया कि प्रभु यीशु के जन्मदिन को पूरी दुनिया में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। उन्होंने बताया शहर के लगभग सभी चर्चों में कैरल सिंगिंग का दौर शुरू हो चुका है जो लगभग 22 दिसंबर तक चलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि कैरल सिंगिंग ना सिर्फ़ यीशु के जन्म बल्कि सामाजिक दृष्टिकोण से आपसी मेल मिलाप और सौहार्द का भी संदेश देता है। पवित्र शास्त्र बाइबिल में वर्णित अध्याय मत्ती 22:39 के सुसमाचार के अनुसार यीशु ने सबसे बड़ी आज्ञा बताने के बाद, उससे जुड़ी एक दूसरी आज्ञा के बारे में बताया। उसने कहा, “तू अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख।” वहीं म्योराबाद सैंट पीटर्स चर्च के पादरी रेव० प्रवीन मैसी बताते हैं कि कैरल गीत प्रभु यीशु के जन्म के समय से भी पहले पारंपरिक तौर गाए जाते थे। उन्होंने बताया कि जब प्रभु येशु का जन्म होना था तो स्वर्गदूत ने जंगल में गड़रियों को लकड़ी जलाकर आग तापते हुए देखा और उनके पास आए और बताया कि “प्रभु का जन्म होने वाला है।” उसके बाद देवदूत मंगल गीत गाने लगे। उन्हें गीत गाता देख गड़रियों ने भी गीत गाना शुरू का दिया और जब आधी रात को प्रभु यीशु का जन्म हुआ उससे पहले तक ये गीत गाए गए। पास्टर ने बताया कि चूकि प्रभु यीशु का जन्म बेथलेहम में हुआ था वहां पर इन गीतों को कैरल कहा जाता है। तभी से कैरल गीत हर क्रिसमस के मौके पर गाए जाते हैं। इसी क्रम में क्रिसमस त्योहार पर शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए डायोसिस ऑफ लखनऊ के सचिव मनीष गुंजन ज़ैदी ने प्रसाशन से सभी चर्चों की सुरक्षा व्यवस्था हेतु ज्ञापन सौंपा है, साथ ही लखनऊ डायोसिस के मीडिया प्रभारी सुनील कुमार वर्मा ने नगर आयुक्त को पत्र भेज कर ईसाई बाहुल्य बस्तियों में साफ़ सफ़ाई, चुने तथा पानी का छिड़काव किए जाने की माँग किया है।

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