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रविवार, 24 दिसंबर 2023

‘गीता’ मानव मात्र के दैनिक जीवन पद्धति व पुण्य पाप के आचरण का बखान करती है - शंकराचार्य वासुदेवानंद

प्रयागराज श्रीमज्जयोतिष्पीठ के पूर्व ब्रह्मलीन शंकराचार्यों की स्मृति में उनकी जयन्ती के उपलक्ष्य में श्री ब्रह्मनिवास, शंकराचार्य मन्दिर में पूज्य श्रीमज्जयोतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती  के सान्निध्य में प्रति वर्ष नौ दिवसीय आराधना महोत्सव का कार्यकम होता है। इसी क्रम में पूज्य शंकराचार्य मंदिर, अलोपीबाग में आज गीता जयंती और पूर्व श्रीमज्जयोतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानंद सरस्वती महाराज की जयन्ती का कार्यक्रम पूरी भव्यता के साथ सम्पन्न हुआ।उक्त कार्यक्रम में गीता एवं स्वामी विष्णुदेवानंद सरस्वती के चित्र पर पूज्य शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने माल्यार्पण करके आरती-पूजन किया। शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी आज श्रीमद्भागवत कथा में गीता का महत्त्व और वर्तमान युग में भी उसकी स्वीकार्यता बताया। उन्होंने कहा कि गीता वास्तव में मानव मात्र के दैनिक जीवन को संचालित और अनुशासित करती है। क्या गलत है, क्या सही है इसकी पूरी व्याख्या करते हुए कहा कि कर्त्तव्य को गीता में प्रमुखता दी गई है। परिणाम की असफलता व सफलता के विषय में चिन्ता नहीं करना चाहिए। लक्ष्य निर्धारित करने के बाद जो भी आवश्यक हो उसे करना चाहिए। उसके परिणाम में सफल या असफल होने की चिन्ता नहीं करना चाहिए। पावन ग्रंथ गीता आज पूरे विश्व का मार्गदर्शन कर रही है। भारतीय जीवन पद्धति में यह सत्य व असत्य तथा धर्म व अधर्म की कसौटी के रूप में स्वीकार की जाती है। क्या, कौन सा कार्य आचरण पुण्य है, कौन सा पाप है इसकी पूरी व्याख्या गीता से प्राप्त होती है। पूज्य जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने अपने से पूर्व श्रीमज्जयोतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी विष्णु देवानंद सरस्वती जी द्वारा सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार व सुरक्षा के लिए किये गये संघर्षों का भी वर्णन किया श्रीमद्भागवत कथाव्यास जगद्गुरू रामानंदाचार्य, श्री रामानंद दास जी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत ज्ञान का अथाह सागर है। क्या करें, क्या न करें इसकी शिक्षा और ज्ञान हमें श्रीमद्भागवत महापुराण से मिलती है। उत्तम आदर्श जीवन क्या है, माता-पिता, भाई-भाई, सेवक व स्वामी, राजा व प्रजा के बीच कर्त्तव्यबोध का ज्ञान हमें श्रीमद्भागवत महापुराण से होता है।श्रीमद्भागवत कथा में ब्रह्मचारी गिरीश जी पूज्य जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद जी को माल्यापर्ण एवं पूजा आरती करके आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से दंडी स्वामी विनोदानंद जी, प्रधानाचार्य  शिवार्चन उपाध्याय, आचार्य  विपिन जी, आचार्य अभिषेक मिश्रा, आचार्य मनीष जी आदि उपस्थित रहे।

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