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गुरुवार, 16 नवंबर 2023

भगवान चित्रगुप्त स्तुति एवं कलम दवात की पूजा कर कलमकारों ने किया लेखनी का श्रीगणेश

दैनिक जनजागरण न्यूज। समूचे देश में लेखनी के देवता भगवान चित्रगुप्त की आस्था को समर्पित कलम दवात पूजन का धार्मिक आयोजन पूरे उल्लास से मनाया गया। उत्तर भारत के विभिन्न प्रांतों में कलम दवात पूजन की भव्यता व दिव्यता देखते ही बनी।

पंजाब व हरियाणा के विभिन्न क्षेत्रों में कलम के पुजारियों ने भगवान चित्रगुप्त की पूजा कर लेखनी का शुभारंभ किया। इसी क्रम में चंडीगढ़ कायस्थ सभा ने कलम दवात पूजा कर लेखनी की शुरुआत की। 

उधर दिल्ली/एनसीआर में ग्रेटर नोएडा के सिटी पार्क के निकट स्थित चित्रगुप्त मन्दिर, नोएडा के सेक्टर 55 स्थित चित्रगुप्त मन्दिर में भगवान चित्रगुप्त की आराधना धूमधाम से कर कलम दवात की पूजा की गई। नोएडा एक्सटेंशन के गौड़ सिटी के रक्षा अडेला, छोटी मिलक स्थित चित्रगुप्त मन्दिर, चेरी काउंट के शिव मंदिर, सुपर टेक इको विलेज 1, सुपर टेक इको विलेज 2 ( 14 नवम्बर), पंचशील ग्रीन 1, पंचशील हाईनीश, ग्रेटर नोएडा की पैरामाउंट गोल्फ फारेस्ट, 

गाजियाबाद की क्रासिंग रिपब्लिक ( वां वर्ष), शिप्रा रिवेरा ( 20 वां वर्ष), गाजियाबाद के प्रताप विहार सेक्टर11 स्थित चित्रगुप्त मन्दिर, नोएडा एक्सटेंशन की ग्रीन आर्च, निराला एस्पायर छपरौला के चित्रांश कृष्ण कुंज, गिरधर पुर, दादरी के बसंत फार्म हाउस, गुलशन बलेना आदि जगहों पर भगवान चित्रगुप्त की आराधना कर कलम दवात पूजनोपरांत लेखनी का शुभारंभ किया गया।

कलम दवात की पूजा उत्तर प्रदेश और बिहार में पूरे विधि विधान से संपन्न की गई। जहां एक तरफ चित्रगुप्त वंशियो ने घर घर अपने परिवार के साथ कलम पूजा कर लेखनी का शुभारंभ किया वहीं दूसरी तरफ चित्रगुप्त आस्था केंद्रों पर सामूहिक पूजा कर कलमकारों ने लेखनी विश्राम का व्रत तोड़ा। उत्तर प्रदेश के उत्तर में लखीमपुर श्री दुर्गे चित्रगुप्त मन्दिर पर क्षेत्रीय कायस्थों ने भगवान चित्रगुप्त की महाआरती की। यमद्वितीया के दिन शाम 4 बजे कायस्थों ने सामूहिक कलम दवात पूजा की। इसी प्रकार सीतापुर स्थित चित्रगुप्त मन्दिर पर एकत्र होकर क्षेत्रीय कायस्थों ने कलम दवात पूजन कर भगवान चित्रगुप्त की आराधना की। लखनऊ, बाराबंकी, हरदोई, उन्नाव सहित प्रदेश के लगभग सभी जिलों में श्री चित्रगुप्त आस्था केंद्रों पर एकत्र होकर कायस्थों ने कलम दवात पूजा काआयोजन सम्पन्न किया। 

बिहार के पटना, औरंगाबाद, आरा, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, बिहटा, मधुबनी, सीतामढ़ी आदि क्षेत्रों सहित लगभग पूरे प्रदेश में जगह जगह चित्रगुप्त आस्था केंद्रो पर सामूहिक रूप से कलम दवात पूजा सम्पन्न की गयी। इसके अलावा बंगाल, उड़ीसा आदि राज्यो में भी कलमकारों ने बढ़ चढ़ कर चित्रगुप्त पूजा मे हिस्सा लिया। कलम दवात पूजा के संदर्भ में किवदंती है कि लंका पर विजय के उपरांत 14 वर्ष वनवास पूरा कर जब भगवान राम, माता जानकी और भगवान लक्ष्मण अयोध्या लौटे तो उनके स्वागत में पूरी अयोध्या दुल्हन की तरह सजाई गईं। सभी देवी देवता स्वागत उत्सव में निमंत्रित किये गए। यह उत्सव दीपावली था। इस दौरान समस्त जीवधारियों के कर्मो का लेखा जोखा रखने वाले न्याय व लेखनी के देवता भगवान चित्रगुप्त का निमंत्रण छूट गया और वह कुपित हो गए। भगवान चित्रगुप्त ने इसे अपना अपमान समझ कर अपनी कलम रख दी।

 उधर उत्सव धूमधाम से मनाया जाने लगा। भगवान राम को खुशी के उत्सव में कुछ खटक सा रहा था। पता करने पर पता चला कि भगवान चित्रगुप्त कहीं दिखाई नही दे रहे। यहां बात सभा मे पता चली तो गुरु वशिष्ठ जिन्हें निमंत्रण का कार्य सौंपा गया था उन्होंने पता किया तो उनके शिष्यों द्वारा भूलवश भगवान चित्रगुप्त के निमंत्रण छूट जाने की बात सामने आई। बताते चलें भगवान राम और माता जानकी के विवाहोपरांत भगवान राम और माता सीता ने प्रथम आराधना भगवान चित्रगुप्त की की थी। वह सतयुगकालीन धर्महरि चित्रगुप्त मन्दिर आज भी अयोध्या में आस्था की छटा बिखेर रहा है। निमंत्रण छूट जाने की भूल का अहसास होते ही भगवान राम, गुरु वशिष्ठ समेत सभी देवी देवता भगवान चित्रगुप्त के समक्ष पहुंचे और अपनी भूल की बात बताई। यह सुन सरल ह्र्दयी भगवान चित्रगुप्त की नाराजगी दूर हो गयी और उन्होंने यमद्वितीया तिथि को अपनी कलम दवात की पूजा कर लेखनी के शुभारंभ का भरोसा दिया। तभी से दीपावली की रात से 24 घण्टे यानी परेवाकाल के जमघटो के दौरान लेखनीमुक्त कॉल खण्ड की तमाम रीतियां, कुरीतियां लेखनी मुक्त रहती हैं और सभी लोग सिर्फ इंजॉय करते हैं वह घटनाएं कहीं दर्ज नही होती। माना जाता है यह कालखण्ड लेखनी मुक्त होता है। इस दौरान कलमकार लेखनी का प्रयोग नही करते। यमद्वितीया की तिथि पर कलमकार अपनी कलम-दवात की पूजा कर भगवान चित्रगुप्त की स्तुति आराधना के साथ लेखनी का शुभारंभ करते हैं और वापस अपने अपने कार्यो का शुभारंभ करते हैं। धारणा है भगवान चित्रगुप्त की आराधना से पुजी कलम सदैव फलदायी होती है।

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