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शनिवार, 7 अक्तूबर 2023

धार्मिक / शारदीय नवरात्रि 9 दिन ही क्यों मनाई जाती है जानें नौ रातों का महत्व और इतिहास

  अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तक शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिन शक्ति की साधना के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं। यह त्योहार लोगों को आध्यात्मिक रूप से जागृत करने और उन्हें देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 से शुरू हो जाएगी. आइए जानते हैं नवरात्रि में घटस्थापना मुहूर्त, महत्व और नौ दिन तक क्यों मनाई जाती है शारदीय नवरात्रि।शारदीय नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है और आखिरी दिन विजयादशमी (दशहरा) के रूप में मनाया जाता है, जिसमें भगवान राम ने लंकापति रावण को और देवी दुर्गा ने महिषासुर को मारकर विजय प्राप्त की थी। एक कथा के अनुसार, माता भगवती देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर के साथ नौ दिन तक युद्ध किया उसके बाद नवमी की रात्रि को उसका वध किया। उस समय से देवी को ‘महिषासुरमर्दिनी’ के नाम से जाना जाता है। तभी से मां दुर्गा की शक्ति को समर्पित नवरात्रि का व्रत करते हुए इनके 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है।नव का शाब्दिक अर्थ है नौ और नया. शारदीय नवरात्रि से प्रकृति सर्दी की चाहर में सिकुड़ने लगती है। ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। यही वजह है कि नवरात्रि की अवधि में उपासक संतुलित और सात्विक भोजन कर अपना ध्यान चिंतन और मनन में लगाते हैं और स्वंय को भीतर से शक्तिशाली बनाते हैं। इससे ऋतु परिवर्तन का बुरा असर उसकी सेहत पर नहीं पड़ता। इसके साथ ही मां दुर्गा की पूजा पूर्ण शुद्धि के साथ संपन्न कर पाते हैं।नवरात्रि की 9 रातें बहुत खास मानी जाती है। कहते हैं इसमें व्यक्ति व्रत, पूजा, मंत्र जाप, संयम, नियम, यज्ञ, तंत्र, त्राटक, योग कर नौ अलौकिक सिद्धियां प्राप्त कर सकता है। पुराणों के अनुसार रात्रि में कई तरह के अवरोध खत्म हो जाते हैं। रात्रि का समय शांत रहता है, इसमें ईश्वर से संपर्क साधना दिन की बजाय ज्यादा प्रभावशाली है। रात्रि के समय देवी दुर्गा की पूजा से शरीर, मन और आत्मा. भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक सुख प्राप्त होता है।
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूप पूजे जाते हैं, जिन्हें नवदुर्गा के रूप में जाना जाता है। शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री।

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