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मंगलवार, 22 अगस्त 2023

फूलपुर / गांव की पैदावार सब्जी गांव वाले ही खरीदने से कतरा रहे।

फूलपुर। किसाने की मेहनत और लगन से सब्जियां खेतों में तैयार होती है और मंडियों तक पहुंचती है। फिर वही किसान उसे खरीदने से कतराता है। जिस फसल को वह मंडियों तक कौड़ी के भाव भेजता है। वही उपज उसके पास महंगे दामों में वापस आती है। टमाटर ने तो अपना इतिहास बनाया था, लहसुन इतिहास बना चुका है, अब प्याज भी आंसू निकालने लगा है। दिन प्रतिदिन प्याज की कीमत दो चार रुपए बढ़ती है। आज का बाजार भाव कल नहीं रहता खुदरा भाव में तीस रुपए किलो प्याज पहुंच चुकी है हालांकि सरकार ने नेपाल से टमाटर मंगवा कर बाजार की उछाल कम करने की कोशिश की परंतु वह किसी एकाघ शहर या मंडी तक सीमित रहा। अब सरकार प्याज का आयात करके बाजार पर नियंत्रण करना चाहती है परंतु ऊंट के मुंह में जीरा जैसा ही रहेगा। किसान मंडियों में अपना माल औने पौने दाम में पहुंचना है वहीं जब बाजार में फुटकर दुकानों पर आता है तो उसकी कीमत कुछ और होती है। चुनावी बेला में यदि उपभोक्ताओं को नियंत्रित कीमत पर बाजार में सामान ना मिल पाया तो चुनाव बाद तो सब कुछ मनमाना रहेगा।

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