लखनऊ। अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर वृंदावन कॉलोनी लखनऊ स्थित जूनियर डीपीएस के नौनिहाल बच्चों ने 'बाघ है तो जंगल हैं' विषय पर अपनी रचनात्मकता एवं प्रकृति-प्रेम का बोध कराया। इस अवसर पर नौनिहालों ने जंगल व बाघों को बचाने का संकल्प लिया तथा उनके महत्व को समझते हुए भविष्य में अपने पर्यावरण के प्रति कर्तव्यों को जानाऔर समझा।
इस अवसर पर वन्यजीव विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र शुक्ल की उपस्थिति में इन बच्चों को प्रकृति के प्रति मनुष्य के कर्तव्यों का बोध कराया गया। डॉ. शुक्ल ने कहा कि अगर जंगल में बाघ है तो खाद्य श्रृंखला सुचारू रूप से चलती रहेगी, क्योंकि बाघ न सिर्फ स्वयं के अस्तित्व के लिए बल्कि जंगल में पाए जाने वाली समस्त वन्य प्रजातियों के लिए भी आवश्यक है। भारत में आज बाघों की संख्या बढ़कर 3167 हो गई है, जो कि उनके सुनियोजित संरक्षण और संवर्धन का संकेत है। डॉ. शुक्ल ने कहा कि बाघों की सुरक्षा करना हम सभी का कर्तव्य है। इस अवसर पर शिक्षिकाओं और प्रकृतिप्रेमियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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