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शुक्रवार, 7 जुलाई 2023

काव्यकलिका / सावन ऋतु पावन आई ... राम मोहन गुप्त

                   कवि : राम मोहन गुप्त

मन हर्षित तन झूम रहा
सावन ऋतु पावन आई
कूके कोयल मोर पपीहा
चहुंओर घोर मस्ती छाई

प्रियतम राह निहारत गोरी
अठखेलियां करती सखियां
इत उत देखत नेहा बरसत 
सुन आहट हर्षत अखियां

उमड़े बादल हरी भरी धरती 
कजरी के बोल, बागों के झूले
भक्तन जोश बोल बम उदघोष
शिव दर्शन छवि मन को छू ले

रिमझिम वर्षा खेतों का पानी
नवजीवन की छवि है दर्शाए
जलातिरेक काले बदरा देख
हो सशंकित हर मन घबराए

बच्चों की टोली करे ठिठोली
निज कागज़ की नाव चलाए
आया रे सावन झूम के देखो
हर वय उल्लासित झूमे गाए

✍️रामG
राम मोहन गुप्त 'अमर'
लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश

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