● कैसे पहचाने लू के लक्षण और क्या है बचाव
● उपचार सहित उत्पन्न समस्याओं, पहचान, लक्षण और उपचार पर एडवाइजरी जारी
लखीमपुर खीरी। भीषण गर्मी के चलते आम जनमानस परेशान है और इससे हीटवेव की समस्या भी उत्पन्न हो गई है आम जनमानस को किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी असुविधा ना हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने इससे निपटने के पुख्ता इंतजाम कर लिए हैं। वहीं आम जनमानस के लिए इससे बचाव और जानकारी संबंधी एक एडवाइजरी भी जारी की है। इस मामले में सीएमओ डॉ संतोष गुप्ता और एसीएमओ डॉ अश्वनी कुमार द्वारा जिले में तैनात समस्त सीएचसी और पीएचसी अधीक्षकों को शासन द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुरूप अपने अस्पतालों में तैयारी करने के निर्देश जारी किए गए हैं।
हीट वेव/लू क्या है-
गर्मी के मौसम मुख्यतः मई, जून एवं जूलाई माह के तापमान में सामान्य से ज्यादा वृद्धि होने पर शरीर के तापमान में भी असामान्य वृद्धि होती है। जिससे हीट वेव या लू की स्थिति उत्पन्न होती है। जब तापमान 2 या 3 दिनों तक 45 डिग्री सेल्सियस से या उससे ज्यादा रहे तो हीट वेव की स्थिति उत्पन्न होती है।
हीट वेव/लू के लक्षणः-
सरदर्द, कमजोरी लगना, चक्कर आना, गर्मी से अकड़न, शरीर का तापमान सामान्य से ज्यादा बढ़ जाना, जी मिचलाना, त्वचा लाल होना, बेहोशी भ्रम की स्थिति जैसा लगे तो ये हीट वेव/लू के लक्षण है।
हीट वेव/लू द्वारा प्रभावित व्यक्ति के उपचार के लिए क्या करे-
सर्व प्रथम पीड़ित को एक छायादार पेड़ के नीचे या कोई छायादार स्थान पर ले जाए, गीले कपड़े से उसके चेहरे एवं शरीर को साफ करे, सिर पर सामान्य तापमान का पानी डालें, मुख्य बात पीड़ित के शरीर के तापमान को कम करना है, व्यक्ति को ओआरएस/नींबू सरबत या जो भी शरीर को बहाल करने के लिए उपयोगी है उसे दें, व्यक्ति को निकटतम स्वास्थ्य केन्द्र में तुरंत ले जाए। रोगी को तत्काल अस्पताल में भर्ती कराने की आवश्यकता होती है, क्योंकि गर्मी के स्ट्रोक घाटक हो सकते हैं तथा हार्ट अटैक की स्थिति भी उत्पन्न हो सकती है।
हीट वेव/लू से बचाव के लिए क्या करे, क्या न करें-
तेज धूप मे निकलने से बचे, अगर तेज धूप में निकलना जरूरी है तो निकलते वक्त छाता लगा लें या टोपी पहन ले एवं हलके रंग के सूती एवं ढीले कपड़े पहने तथा ऐसे कपड़े पहने जिससे शरीर अधिक से अधिक ढका रहे, हीट-स्ट्रोक से बचने के लिए जरूरी है कि पर्याप्त मात्रा में ओआरएस वाला पानी पीकर घर से बाहर निकला जाए एवं समय-समय पर पानी पिया जाए, निर्जलीकरण से बचने के लिए अधिक मात्रा में पानी, मौसमी फल/गन्ने का रस/कच्चे आम का रस/ नारियल पानी, ओरआरएस घोल का उपयोग किया जाए, यात्रा करते समय अपने साथ पानी रखें, संतुलित हल्का तथा नियमित भोजन करें, दृस्थानीय न्यूज चैनल एवं पेपर रेडियो से स्थानीय मौसम के पूर्वानुमान को सुने और आगामी तापमान में होने वाले परिवर्तन के प्रति सतर्क रहे, बीमार, गर्भवती महिलायें, किसान एवं कामगारों को अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है, जानवरों को छाया में बांधे और उन्हें पर्याप्त पानी पिलाये, सभी जनमानस एवं पशुओं को सीधी सूर्य की रोशनी से बचने की सलाह दें।
क्या न करें-
अधिक प्रोटीन तथा बासी एवं संक्रमित खाद्य एवं पेय पदार्थों के प्रयोग न करें, अल्कोहल, चाय, कॉफी से परहेज करे, दोपहर 12 बजे से 3 बजे के बीच सूर्य के ताप से बचने का प्रयास करें, जानवरों एवं बच्चों को कभी भी बंद वाहन में अकेला न छोड़ें, खाना पकाते समय खिड़कियों व दरवाजे खोल कर रखें तथा दोपहर के समय खाना पकाने से बचे, सूर्य के ताप से बचने के लिए जहां तक संभव हो घर की निचली मंजिला पर ही रहे, दोपहर के समय बाहर होने पर अत्यधिक श्रम वाले कार्यों से बचें, आपात स्थिति से निपटने के लिए प्राथमिक उपचार का प्रशिक्षण लें।
हीट वेव से उत्पन्न समस्याओं की पहचान व उपचार
1- सन बर्न लक्षण- त्वचा में लालीमा तथा दर्द, सूजन, फफोले, बुखार तथा सरदर्द। प्रथमोपचार- साबुन का उपयोग करते हुये शावर आदि में स्नान कराना ताकि तेल से बन्द रंध्र खुल जाए और शरीर प्राकृतिक रूप से शीत हो सके। यदि फफोले पाये जाते हैैं तो सूखे विसंक्रमिक डेसिंग का उपयोग करे तथा चिकित्सीय सलाह लें।
2- हीट क्रैम्प्स लक्षण- उदरीय मांस-पेशियों तथा हाथ, पैर की तकलीफदेह ऐंठन (स्पाज्म), ज्यादा पसीना आना।
प्रथमोपचार- पीड़ित व्यक्ति को ठण्डे तथा छायादार स्थान पर ले जाए, क्रैम्पिंग मांसपेशियों पर दबाव डाले तथा ऐंठन से आरा हेतु हल्की मालिश करें। पानी की बूंद बूंद पिलायें। यदि जी मचले तो पानी देना बन्द कर दें।
3- हीट एक्जाशन लक्षण- अत्यधिक पसीना आना, कमजोरी, त्वचा ठण्डी पीली तथा चिप-चिपी सददर्द। सामान्य तापमान संभव, बेहोशी, उल्टी।
प्रथमोपचार- ठण्डे स्थान में मरीज को लेंटायें वस्त्र को ढीला करें। ठण्डे कपडे़ का उपयोग करें, मरीज को पंखा करें या वातानुकूलित स्थान में ले जाए पानी की बूंद बूंद करके पिलायें, यदि जी मचले तो इसे देना बन्द करे दें। यदि उल्टी होती है तो 108 या 102 नम्बर की एम्बुलेन्स द्वारा चिकित्सालय में भर्ती कराएं।
4- हीट स्ट्रोक (सन स्ट्रोक) लक्षण- उच्च शारीरिक तापमान (106 डिग्री या अधिक) गर्म शुष्क त्वचा। तेज जोरदार नाड़ी (पल्स), बेहोशी आना तथा मरीज का पसीना आना बंद हो जाए।
प्रथमोपचार- हीट स्ट्रोक गंभीर चिकित्सकीय स्थिति। 108 तथा 102 नम्बर पर एम्बुलेंस को चिकित्सा सेवा हेतु तत्काल कॉल करना चाहिए, या मरीज को तुरन्त अस्पताल ले जाना चाहिए। विलम्ब प्राण घातक साबित हो सकता है। मरीज का तत्काल ठण्डे वातावरण में ले जाना चाहिए या बर्फीले पानी की स्पंजिंग करते रहना चाहिए।
जिला अस्पताल में बनाया गया हीट स्ट्रोक वार्ड
सीएमएस डॉ. आईके रामचंदानी ने बताया कि शासन व उच्चाधिकारियों द्वारा मिले निर्देशों के क्रम में जिला पुरुष चिकित्सालय मोतीपुर ओयल में हीटवेव से निपटने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस संबंध में 4 बेड का एसी वार्ड बनाया गया है। वहीं लक्षणों के अनुरूप दवाओं की व्यवस्था की गई है। इस संबंध में उन्होंने मंगलवार को हीट स्ट्रोक वार्ड का निरीक्षण भी किया और वहां तैनात पैरामेडिकल कर्मचारियों को मरीजों की देखभाल संबंधी जानकारी की।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments