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बुधवार, 5 अप्रैल 2023

गोवंश की संरक्षण की जमीनी हकीकत जानने खीरी पहुंचे नोडल अफसर

अफसरों संग की बैठक, आश्रय स्थलों का किया निरीक्षण, परखी व्यवस्थाएं

लखीमपुर खीरी 05 अप्रैल। निराश्रित गोवंश संरक्षण, भरण-पोषण, भूसा संग्रहण के संबंध में जनपद में किए कार्यों के प्रभावी क्रियान्वयन, अनुश्रवण करने के लिए बुधवार को शासन से जनपद के नामित नोडल अधिकारी अपर मुख्य कार्यपालक अधिकारी (वरिष्ठ आईएएस) श्रीश चंद्र वर्मा, सह नोडल अधिकारी अपर निदेशक (पशुपालन) डॉ पी एन सिंह खीरी के साथ पहुंचे, उनके जनपद आगमन पर प्रभारी डीएम अनिल कुमार सिंह ने स्वागत किया।

नोडल अफसर ने ली समीक्षा बैठक, दिए निर्देश :

बुधवार को कलेक्ट्रेट सभागार में नोडल अधिकारी श्रीश चंद्र वर्मा ने एडी पशुपालन की मौजूदगी गौ संरक्षण से जुड़े अफसरों के साथ बैठक की, संबंधित को जरूरी दिशा निर्देश दिए।

नोडल अधिकारी ने मौजूद अफसरों का परिचय, गौ संरक्षण में उनकी भूमिका जानी। गौ संरक्षण की प्रगति, अनूठे, अभिनव प्रयासो पर प्रस्तुत पीपीटी प्रजेंटेशन का अवलोकन किया। नोडल ने कहा कि निराश्रित गोवंश के संरक्षण, भरण-पोषण, भूसा संग्रहण कार्यों के प्रभावी क्रियान्वयन, अनुश्रवण के लिए वह शासन के निर्देश पर खीरी आए हैं। भ्रमण के दौरान कई गो आश्रय स्थलों की व्यवस्थाओं को स्वयं परखा, व्यवस्थाएं संतोषजनक, मुकम्मल मिली। इन व्यवस्थाओं को आगे भी कायम रखा जाए। गोवंश संरक्षण, भरण पोषण, आश्रय स्थलों का प्रभावी प्रबंधन की व्यवस्थाओं को और बेहतर बनाया जाए, यह शासन की शीर्ष प्राथमिकताओं में है। उन्होंने आश्रय स्थलों, उनमें संरक्षित गोवंशो की संख्या, सुपुर्दगी योजना के क्रियान्वयन की प्रगति जानते हुए विभिन्न बिंदुओं पर गहन समीक्षा की, संबंधित को जरूरी निर्देश दिए।

प्रभारी डीएम अनिल कुमार सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री गोवंश सहभागिता योजना के तहत अबतक 6437 गोवंश की सुपुर्दगी दी गई। वही 101 गो आश्रय स्थलों में अबतक 22921 गोवंशो का संरक्षण किया जा चुका है। जीएएस पोर्टल पर संरक्षण संबंधी समस्त डाटा अनुरक्षित है। उन्होंने भूसादान की प्रगति एवं किए जाने वाले प्रयास भी बताएं।

सीवीओ ने भूसादान की लक्षित कार्ययोजना, तहसीलवार भूसा भंडारण एवं गौशाला में संरक्षित गोवंश के भरण-पोषण के लिए ग्राम पंचायतों से हस्तांतरित धनराशि की प्रगति बताई। बृहद गो आश्रय स्थल बसेगापुर को नंदीशाला के रूप में विकसित किया, जिसमें संरक्षित गोवंश के अलावा 491 नंदी भी संरक्षित है। वहीं एक अन्य गो आश्रय स्थल को भी नंदीशाला के रूप में विकसित किए जाने की योजना है। गो आश्रय स्थल निकटवर्ती चारागाह स्थलों से टैग है, जहा हरेचारे का उत्पादन किया जा रहा। नवीन, अवशेष गो आश्रय स्थलों को भी चारागाह से टैग करने पर काम जारी है। सहभागिता योजना के तहत माह मार्च तक समस्त संरक्षित गोवंशो का सत्यापनोपरांत अनुमन्य धनराशि का अंतरण कर दिया गया है।

नोडल अफसर के पूछने पर डीपीआरओ सौम्यसील सिंह ने ग्राम पंचायतों की गोवंश संरक्षण में भूमिका बताई। बैठक में डीडीओ अरविंद कुमार, डीपीआरओ सौम्यसील सिंह, बीडीओ पीयूष सिंह, सभी पशु चिकित्सा अधिकारी मौजूद रहे।

● नोडल ने पांच आश्रय स्थलों का किया औचक निरीक्षण, मुकम्मल मिली व्यवस्थाएं

● बबोना आश्रय स्थल में मिली गंदगी, लगाई फटकार

बुधवार को नोडल अधिकारी ने एडी पशुपालन, प्रभारी डीएम अनिल कुमार सिंह के साथ क्रमश ब्लाक बेहजम के ओयल देहात व सुंसी, ब्लाक मितौली के बबोना व लोहन्ना, ब्लाक पसगवां के बाईकुआं गो आश्रय स्थलो का औचक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की पड़ताल की। उन्होंने गोवंश की वास्तविक संख्या एवं सुपुर्दगी में दिये गये गोवंश की संख्या का अभिलेखों से मिलान करते हुए सत्यापन किया। प्रत्येक गौशाला में पानी, चारे एवं समुचित पशु चिकित्सीय सुविधाओं की स्थिति देखी, जो संतोषजनक मिली। निरीक्षण के दौरान सभी को आश्रय स्थलों में चाक-चौबंद एवं मुकम्मल पाई गई।

निरीक्षण के दौरान मितौली के बबोना गो आश्रय स्थल में गंदगी मिलने पर नोडल ने नाराजगी जताते हुए गोबर का ढेर इकट्ठा रहने पर डिस्पोजल करने का निर्देश दिया। इस दौरान उन्होने संरक्षित गोवंशो की संख्या, गोवंशों के लिए पशु आहार, भूसा, पानी, प्रकाश तथा जल निकासी आदि व्यवस्थाओं का निरीक्षण किया और संबंधित अधिकारियों से टीकाकरण, दवाओं व ईयर टैगिंग तथा गोवंशों को गो आश्रय स्थलों में संरक्षित करने के संबंध में विस्तृत जानकारी ली तथा सभी व्यवस्थाओं को और चुस्त-दुरूस्त रखने का निर्देश दिया। उन्होने कहा कि गोवंशों को कोई दिक्कत न होने पाये, इसका विशेष ध्यान रखा जाए, समय से पशुओं का टीकाकरण होता रहे और पशुओं की चिकित्सकों द्वारा समय-समय पर स्वास्थ्य जाँच भी कराना सुनिश्चित किया जाए। कहा कि सुपुर्दगी किए गए पशुपालकों का प्रति माह भुगतान समय से किया जाय। कहा कि सड़कों पर अगर कोई निराश्रित गोवंश विचरण करता मिले तो उसे तत्काल गौ-आश्रय में सुरक्षित पहुंचाया जाय।

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