● बच्चों के कान बहने की प्रमुख समस्या का कारण है मां के द्वारा लेट कर दूध पिलाना- सीएमओ
● कान की बीमारियां पूरे शरीर पर डालती हैं अपना प्रभाव- सीएमओ
● घुमंतू लोगों से कान साफ कराना पड़ सकता है लोगों को भारी
लखीमपुर खीरी। विश्व श्रवण दिवस के अवसर पर एनसीडी सेल द्वारा जिला पुरुष चिकित्सालय ओयल एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता ने शिरकत की। इस दौरान मुख्य रूप से सीएमएस एमसीएच डॉ. एसी श्रीवास्तव, एसीएमओ डॉ अनिल कुमार गुप्ता, ईएनटी सर्जन डॉ राम किशन, वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ आरएस मधौरिया व वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ. आईके राम चंदानी सहित मनोचिकित्सक डॉ. अखिलेश शुक्ला व् जिरियाट्रिक फिजिशियन डॉ. शिखर बाजपेई उपस्थित रहे। इनके द्वारा गोष्ठी में उपस्थित लोगों को कान में होने वाली बीमारियां व उससे बचाव और उपचार के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई।
गोष्ठी को संबोधित करते हुए सीएमओ डॉ. संतोष गुप्ता ने कहा कि शरीर के अन्य अंगों की तरह ही कान भी एक महत्वपूर्ण शरीर का अंग है। इसमें इंफेक्शन या बीमारी होने से उसका प्रभाव पूरे शरीर पर दिखाई देता है। जैसे कि अगर कान के अंदरूनी भाग में अगर किसी भी तरह का इन्फेक्शन पहुंच जाता है तो उस व्यक्ति को अपने शरीर को बैलेंस करने में भी परेशानी होती है, चक्कर आते हैं और यह किसी भी समय आ सकते हैं। इसके कारण उस व्यक्ति को चोट भी लग सकती है। ऐसे में जरूरी है कि किसी भी तरह की परेशानी होने पर प्रशिक्षित चिकित्सक से ही इलाज करवाएं। उन्होंने कहा कि बच्चों में कान बहने की प्रमुख समस्या का कारण मां के द्वारा लिटा कर दूध पिलाया जाना है। माताओं को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें बच्चे को कभी भी लिटा कर दूध नहीं पिलाना है, क्योंकि बचपन से कानों में होने वाली समस्या धीरे-धीरे बड़ी समस्या बन सकती है। उन्होंने कहा कि विश्व श्रवण दिवस पर आयोजित इस जागरूकता कार्यक्रम का उद्देश्य आम जनमानस तक कान में होने वाली समस्याओं व उनके उपचार के बारे में बताना है और उन्होंने सभी उपस्थित लोगों से अपील की कि वह यहां पर सीखी हुई बातों को अन्य लोगों तक भी पहुंचाएं।
सीएमएस एमसीएच विंग डॉ एसी श्रीवास्तव ने कहा कि कान, नाक और गला एक दूसरे को जोड़ते हैं और प्रभावित भी करते हैं। कई बार कान की परेशानियां नाक और गले को भी प्रभावित करती हैं। ऐसे में जरूरी है कि इन तीनों अंगों में किसी भी तरह की परेशानी होने पर स्वयं घरेलू नुस्खों से इलाज ना कर प्रशिक्षित चिकित्सक से ही इलाज करवाएं। कई बार झोलाछाप या किसी अन्य के चक्कर में पढ़कर लोग इन अंगों की परेशानियों को काफी बढ़ा लेते हैं। जिससे बाद में उसका इलाज बेहद महंगा हो जाता है।
इस दौरान ईएनटी सर्जन डॉ. रामकिशन ने कहां की यह जरूरी है कि आपके कान साफ हो, उसमें किसी भी तरह की गंदगी ना हो, परंतु गलत तरीके से और किसी भी नुकीली चीज से कानों को कभी साफ नहीं करना चाहिए। वहीं उन्होंने घुमंतू कान साफ करने वालों से भी कान की सफाई ना कराने की बात कही। उन्होंने कहा कि इनके द्वारा जो भी उपकरण कान की सफाई में इस्तेमाल किए जाते हैं। वह इनफेक्टेड हो सकते हैं। ऐसे में आपके कानों में भी इंफेक्शन हो सकता है। साथ ही कहा कि अगर किसी भी दशा में नाक या कान से खून निकलने लगे तो उसे स्वयं अनावश्यक रूप से रोकने का प्रयास नहीं करना चाहिए। तत्काल चिकित्सक के पास जाना चाहिए। हां अगर नाक से अधिक खून आ रहा है तो नाक के ऊपरी भाग को दाब कर मुंह से सांस लेने पर इसमें काफी आराम मिलता है।
इस दौरान वरिष्ठ परामर्शदाता डॉ आरएस मधौरिया ने कहा कि तमाम लोगों में कान की छोटी-छोटी समस्या होने पर उनकी अनदेखी की जाती है और सही चिकित्सक इलाज नहीं करवाया जाता है। कई बार घरेलू नुस्खे भी लोग इस्तेमाल करते हैं, जो बाद में बहरेपन की समस्या तक पहुंच जाते हैं। ऐसे में स्वयं इलाज से उन लोगों को बचना चाहिए। इसी के साथ अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अनिल कुमार गुप्ता द्वारा बताया गया कि एनसीडी कार्यक्रम के अंतर्गत एनपीपीसीडी कार्यक्रम संचालित है। जिसके अंतर्गत जिला चिकित्सालय में कान की जांच कराने के लिए उपकरण वह मशीनें उपलब्ध है और बहरेपन की समस्या के लिए भी उपयुक्त संसाधन मौजूद हैं। जिसका लोगों को फायदा मिल रहा है। पिछले वर्ष करीब 181 मरीजों को इसका लाभ मिला है। इसके बाद मनोचिकित्सक डॉ. अखिलेश शुक्ला, जिरियाट्रिक फिजिशियन डॉ शिखर बाजपेई, मैट्रन रजनी मसीह ने भी अपने विचार रखे। इस दौरान एनसीडी सेल से फाइनेंस लॉजिस्टिक विजय वर्मा सहित जिला चिकित्सालय से काउंसलर देवनंदन श्रीवास्तव, ऑडियोमेट्रिक असिस्टेंट बसंत गुप्ता, साइकेट्रिक सोशल वर्कर अतुल पांडे, मो. सईद, विवेक तिवारी, सरिता कुमारी, नीरज कुमार, सुरेंद्र कुमार गुप्ता, पंकज शुक्ला, शिवेंद्र श्रीवास्तव, सुनील कुमार, रितेश कुमार सहित अन्य अधिकारी कर्मचारी उपस्थित रहे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments