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शुक्रवार, 17 मार्च 2023

अतीक अहमद का सरकारी गनर एहतेशाम लापता, गैंग में शामिल होने के लिए छोड़ दी थी पुलिस की नौकरी कायम करना चाहता था अपनी बादशाहत

कौशांबी।पूर्व सांसद माफिया अतीक अहमद की सुरक्षा के दौरान उसके रुतबे से सिपाही एहतेशाम उर्फ करीम बाबा काफी प्रभावित था।सांसद रहे अतीक की सुरक्षा के दौरान करीम बाबा को ऐशो आराम की जिंदगी जीने का आदत पड़ गयी थी।तनख्वाह तो करीम बाबा पुलिस की लेता था,लेकिन काम अतीक के इशारे पर करता था।बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में अतीक के जेल जाने के बाद करीम बाबा ने पुलिस की नौकरी छोड़कर अतीक के शूटर अब्दुल कवि के गठजोड़ कर कौशाम्बी सहित कई जिलों में खुद की बादशाहत कायम करने के लिए निकल पड़ा।मिली जानकारी के अनुसार सरायअकिल कोतवाली के पुरखास गांव का एहतेशाम उर्फ करीम बाबा तीन भाई हैं।एक मुंबई में नौकरी करता है।दूसरे की फकीराबाद में चश्मे की दुकान है।करीम बाबा पुलिस में था।साल 2004 में करीम बाबा फूलपुर से सांसद चुने गए माफिया अतीक की सुरक्षा में लगाया गया।करीम बाबा की मुलाकात वहीं आईएस-227 के गैंग (इंटर स्टेट-227) के सदस्यों से हुई।करीम बाबा ने यहीं से जरायम की दुनिया में अपना पहला कदम रखा। राजू पाल हत्याकांड में जब अतीक अहमद जेल गया तो करीम बाबा ने पुलिस की नौकरी छोड़ दी।पूर्व तैनाती स्थल पर अपनी आमद भी नहीं कराई।पुलिस विभाग ने भी करीम बाबा की खोजबीन का प्रयास नहीं किया। पुलिस की नौकरी छ़ोड़ने के बाद करीम बाबा ने राजू पाल हत्याकांड में प्रकाश में आए शूटर अब्दुल कवि से नजदीकी बढ़ाई।कवि भी भखंदा गांव का रहने वाला था। हालांकि पुलिस के रिकॉर्ड में अब्दुल कवि के खिलाफ तो राजू पाल हत्याकांड के गवाह ओम प्रकाश पाल पर कातिलाना हमला का मुकदमा दर्ज हुआ, लेकिन करीम बाबा के खिलाफ किसी तरह के मुकदमे की जानकारी पुलिस के पास नहीं है।यह गैंग माफिया माफिया अतीक अहमद चलाता था। इस गैंग में 34 शूटर जुड़े हुए थे।ये शूटर प्रदेश की गैंग में नामजद भी हैं।पुरखास स्थित पैतृक घर में रहने वाले एहतेशाम उर्फ करीम बाबा के परिवार के लोग पुलिस और एसटीएफ की कार्रवाई से सहमे हुए हैं। परिवार के सदस्यों में पिता और बड़ा भाई घर में रहते हैं। उनका कहना है कि पिछले सात साल से एहतेशाम घर नहीं आया। उसका कोई अता-पता भी नहीं है। शनिवार को पुलिस आई थी और पूछताछ की। जितनी जानकारी थी, बता दिया गया।अब्दुल कवि और एहतेशाम उर्फ करीम बाबा मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करते हैं। सोशल प्लेटफार्म पर भी ये लोग नहीं हैं।पुलिस विभाग के सूत्रों की मानें तो जिस तरह जौनपुर पैसेंजर में दो सिपाहियों की हत्या कर फरार हुआ प्रतापगढ़ का भानू दुबे बिना मोबाइल इस्तेमाल किए दूसरे के फोन से मदद लेकर रंगदारी वसूल करता था, माना जा रहा है कि वैसे ही अब्दुल कवि और करीम बाबा किसी अजनबी का फोन लेकर अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे होंगे। इसी वजह से पुलिस को अब तक उनकी लोकेशन तक नहीं मिल सकी।17 वर्ष की उम्र में माफिया अतीक अहमद के खिलाफ साल 1979 में प्रयागराज में मो. गुलाम की हत्या का पहला मुकदमा खुल्दाबाद कोतवाली में दर्ज हुआ था।इसके बाद तो अतीक के खिलाफ मुकदमों की झड़ लग गई।प्रदेश स्तर अतीक का गैंग चार्ट बनाया गया। जिसका नाम आईएस 227 रखा गया। गैंग में कौशाम्बी के नसीम उर्फ नस्सन पुत्र कल्लन, अंसार अहमद पुत्र मो. इलियास, रईस अहमद पुत्र अब्दुल हनीफ व एजाज अख्तर पुत्र हाजी कुद्दूस भी शामिल थे। राजूपाल हत्याकांड के बाद गैंग में भखंदा के अब्दुल कवि नाम भी सामने आया। अब्दुल कवि को माफिया अतीक का शूटर बताया गया है।

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