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शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

उतराव पुलिस ने पकड़ा प्रतिबंधित थाई मांगुर मछली, लैब में टेस्ट के लिए भेजी जा रहीं मछलियां

प्रयागराज कोलकाता से करनाल प्रतिबंधित मछलियां लेकर जा रहे ट्रक को उतराव पुलिस ने धंसीपुर गांव में पकड़ा है। सूचना पर मौके पर पहुंची मत्स्य विकास आधिकारी शीला सिंह ने मछलियों को टेस्ट के लिए लैब भिजवा दिया है।कानौर करनाल पटियाला निवासी गोविंद पुत्र शिवराम अपने साथी शिन्दर पुत्र राज यादव के साथ कोलकाता से थाई मांगुर मछली लेकर पटियाला जा रहा था। शक होने पर उतराव पुलिस के प्रभारी एसओ अरविन्द सिंह ने कोखराज हंडिया राजमार्ग पर धंसीपुर गांव के सामने रोक लिया। सूचना मत्स्य विभाग को दी गई। शाम पांच बजे पहुंची जिला मत्स्य आधिकारी शीला सिंह ने मछलियों को टेस्ट के लिए लैब भिजवा दिया है। बताया कि बिना टेस्ट के नही बताया जा सकता है कि यह मांगुर है या थाई मांगुर। टेस्ट के बाद ही कुछ बताया जा सकता है।थाई मांगुर मछली बहुत तेजी से विकसित होने मछलियों में से एक है। मांगुर मछली को लोग बड़े चाव से खाते भी है।अधिकांश लोगो को मालूम नहीं है कि यह मछली भारत में प्रतिबंधित है। लेकिन गलत तरीको से भारत में थाई मांगुर के बीज पहुँच रहे है।भारत सरकार ने वर्ष 2000 में ही विदेशी थाई मांगुर पर प्रतिबन्ध लगा दिया था।फिर भी लोग अवैध तरीका से इसका कारोबार कर रहे है। विदेशी मांगुर को देसी मांगुर बताकर बाजारों में बेचा जाता है। लोग भी बड़े शोक से इस मछली को अपने आहार में शामिल कर रहे है।वैज्ञानिको का दावा है कि थाई मांगुर के खाने से कैंसर जैसे गंभीर रोग हो सकते है।यह मछली गला सडा माँस खाने में सक्षम है।जिसके चलते इस मछली का शरीर बहुत तेजी से बढ़ता है। इस मछली में आयरन और लेड बहुत अधिक मात्र में पाया जाता है जो 80 प्रतिशत तक होता है। थाई मांगुर मनुष्य व पर्यावरण दोनों के लिए खतरा है। यह जिस तालाब या दलदल में रहती वहां दूसरी प्रजाति के एक भी मछली या कीड़े मकोड़े व दुसरी मछलियो को भी अपना शिकार बनाती है।थाई मांगुर एशिया महादेश के ही स्थाई निवासी है। इसे थाईलैंड ने विकसित किया गया है। मांगुर मछली को वाकिंग कैटफिश के नाम से भी जाना जाता है। कारण यह मछली जमीन पर भी साँप के जैसा थोडा दूर तक चल सकती है। तालाब का पानी सुखने पर यह एक जगह से  दूसरी जगह चलकर जाने में सक्षम है।
देसी मांगुर मीठे जल की मछली है व साफ पानी में रहती है। देसी प्राकृतिक मांगुर अधिकांश ग्रामीण इलाका खेत खलिहान या तालाब में अधिक मिलता है।देसी मांगुर में प्रोटीन, फास्फोरस, कैल्शियम, आयरन जैसे विटामिन प्रचुर मात्र में मिलता है। जिसको खाने से स्वास्थ और शारीर दोनों बेहतर रहता है।

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