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रविवार, 25 दिसंबर 2022

लखनऊ / आमजन के नाम नागेन्द्र का खुला खत Must Read

सम्मानित मित्रों,
     मैं विगत चार महीने से केंद्रीय मंत्री श्री कौशल किशोर जी के "नशामुक्त समाज आंदोलन-अभियान कौशल का" को लेकर बीकेटी, लखनऊ में जनता के मध्य हूँ। आज की तारीख में नशामुक्त समाज आंदोलन की चर्चा पूरे देश में हो रही है। भारत के अधिकतर राज्यों में कौशल जी का अभियान हाथों-हाथ लिया जा रहा है। मुझे प्रसन्नता है कि मैं इस अभियान का हिस्सा हूँ।
   बताता चलूं कि 'नशामुक्त समाज आंदोलन-अभियान कौशल का' अक्टूबर, 2020 से चल रहा है। इसे कौशल किशोर जी ने अपने बेटे आकाश किशोर (28 वर्ष) की अकाल मौत के बाद शुरू किया था। आकाश बुरी संगत में फंस कर शराब पीने लगा था। इससे उसका लिवर नष्ट हो गया। उसे बचाया नहीं जा सका। उसकी मौत से 24 वर्ष की श्वेता विधवा हो गयी। दो साल का बाबू बिन बाप का हो गया। तभी कौशल जी ने देश करोड़ों युवाओं को नशे से बचाने का बीड़ा उठाया था। आज उनका अभियान जन-जन तक पहुंचने की सफल कोशिश कर रहा है।
     इस आंदोलन के तहत मेरी "नशामुक्ति अमृत कलश यात्रा" की चर्चा भी हो रही है। मुझे अभी 21 दिसम्बर 2022 को दूरदर्शन उत्तर प्रदेश ने विषय विशेषज्ञ के रूप अपने लोकप्रिय 'नमस्ते यूपी' कार्यक्रम में बुलाया था। करीब एक घण्टे के नशामुक्त समाज विषयक इस प्रोग्राम में नशे के दुष्प्रभाव एवं बचाव पर गहन चर्चा हुई। इसके पहले रेडियो जंक्शन ने मुझको अपने जनप्रिय कार्यक्रम "बात बाकी रात बाकी-रियल हीरोज" में आमंत्रित किया था। वहां भी हमने एक घण्टे लाइव रहकर बढ़ते नशे और बचाव पर वार्ता की थी। मैं जनवरी, 2023 से "नशामुक्त चौपाल विद दवाई-रजाई" कार्यक्रम शुरू करने जा रहा हूँ। 
      मेरी टीम जिला प्रभारी श्री अनिल अग्रवाल के मार्गदर्शन में समूचे समाज को नशे के प्रति जागरूक कर रही है। श्री अग्रवाल की अगुवाई में देश का पहला "नशामुक्त शिव पार्क" और पहला "नशामुक्त शिव चौराहा" बन चुका है। लखनऊ के खदरा इलाके में बने नशामुक्त शिव पार्क एवं चौराहे के उदघाटन मोहनलालगंज के सांसद  कौशल किशोर जी ने किया था। इसी कड़ी में आरआर परिवार ने 111 निर्धनों को नशामुक्त रजाइयाँ भेंट कीं। नशामुक्त रजाई वितरण समारोह में केंद्रीय मंत्री व बीकेटी विधायक ने भागीदारी की थी। दरअसल, टीम अग्रवाल हर तरह की समाजसेवा को नशामुक्त समाज आंदोलन से जोड़ने का कार्य कर रही है। इससे लोगों में नशे के प्रति जागरूकता बढ़ रही है। टीम अग्रवाल ने आंदोलन के लिए नया अंगवस्त्र और लालपत्र भी बनवाया है।
       जैसा कि आप सब जानते हैं कि भारत अपनी आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है। मैं इसी पावन अवसर पर यूपी की राजधानी लखनऊ में नशामुक्ति का अमृत कलश लेकर निकला हूँ। मेरी टीम अब तक 65 से अधिक प्राइमरी स्कूल, जूनियर हाईस्कूल, हाईस्कूल, इंटर कॉलेज, डिग्री कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, नर्सिंग कॉलेज, मैनेजमेंट कॉलेज सहित अन्य तमाम सार्वजनिक स्थानों, मेला स्थलों व भागवत एवं श्रीराम कथा स्थलों पर संकल्प सभाओं का आयोजन कर चुकी है। मैं और टीम अग्रवाल के अन्य सदस्य राजधानी के अलग-अलग क्षेत्रों में सक्रिय हैं।
       मैं लोगों को विस्तृत ढंग से नशे के दुष्परिणाम बताता हूँ। उनसे नशे से होने वाली जनहानि, धनहानि एवं मानहानि की चर्चा करता हूँ। उनको नशे से होने वाली घरेलू हिंसा, आपसी गाली-गलौच एवं मारपीट, कत्ल, सड़क दुर्घटना में अंग-भंग एवं मौत और कैंसर मरीजों की बढ़ती संख्या बताता हूँ। मैं आम लोगों से अपील करता हूँ कि वह यदि कोई नशा करते हैं तो उसको छोड़ दें। इसके साथ ही वह अपने परिवार, अपने प्रतिष्ठान, अपने समाज, अपने देश को को नशामुक्त बनाने में सम्पूर्ण योगदान दें।
      इसी तरह मैं स्कूल व कॉलेज में बच्चों को नशे के दुष्प्रभाव बताता हूँ। उनको बताता हूँ कि कैसे यकायक नशे की लत लगती है। कैसे पहली बार नशा मुफ्त में मिलता है। कैसे पहली बार अपना ही कोई दोस्त मुझको नशा करवाता है। उन्हें बताता हूँ कि तुम्हारी मित्र-मंडली में ही 'नशे का रावण' रहता है। तुम जीवन भर अपनी दोस्ती को नशामुक्त रखना। अगर तुम्हारी दोस्ती नशामुक्त रही तो तुमको कोई नशेड़ी नहीं बना सकेगा। 
  मैं बच्चों से कहता हूं कि तुम जीवन में कभी भी तम्बाकू-गुटखे की पहली चुटकी, बीड़ी-सिगरेट की पहली फूंक और बीयर-शराब पहली घूंट मत लेना। इसी पहली चुटकी, पहली फूंक और पहली घूंट से नशे की लत शुरू होती है। इससे जीवन पर्यंत सावधान रहना। किसी पार्टी/जश्न में कभी भी कोई नशा मत करना। तुम हमेशा नशेड़ी दोस्त से दूर रहना। नशे वाली पार्टियों में कतई मत जाना। तुम खूब खाओ, खेलो, पढ़ो और आगे बढ़ो।
       आप यकीन करिये। मुझे विगत चार महीनों में बहुत अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। हर तरफ से सुखद सूचनाएं मिल रही हैं। किसी हद तक लोग अपना कोई न कोई नशा छोड़ रहे हैं। वहीं, बख़्शी का तालाब, लखनऊ के बच्चे, किशोर एवं युवा आजीवन नशामुक्त रहने का संकल्प ले रहे हैं। यदि यही स्थिति देश के हर ब्लॉक और हर जिले में बनती रही तो एक दिन समग्र भारत नशामुक्त दिखाई देगा। हालांकि, यह लड़ाई बड़ी लम्बी चलने वाली है। हमें "अंग्रेजों भारत छोड़ो" की तर्ज पर "हिन्दुस्तानियों नशा छोड़ो" का नारा बुलंद करना होगा।
       मेरे इस अभियान को जहां सफलता मिलती दिखाई दे रही है। वहीं, मुझको कुछ नकारात्मक बातें भी सुनाई पड़ती हैं। कुछ लोग तो मेरा हौसला तोड़ने की फिराक में रहते हैं। नशे से पीड़ित कुछ लोग मेरा निर्रथक विरोध करने पर उतारू रहते हैं। मेरे व्यक्तिगत एवं परिवारिक जीवन पर कीचड़ उछालने की नाकाम कोशिश कर रहे हैं। पिछले दिनों कुछ अज्ञात लोगों ने उस समय मेरी कार क्षतिग्रस्त कर दी, जब मैं एक नर्सिंग कॉलेज में नशामुक्त संकल्प सभा कर रहा था। 
     लेकिन, मैं इन सब बातों से विचलित नहीं हो सकता हूँ। क्योंकि, मैं बहुत बड़ा लक्ष्य लेकर घर से निकला हूँ। मैं समाज और राष्ट्र हित में नशे के खिलाफ लड़ाई जारी रखूंगा। आप सब भी इस जंग में शामिल हो जाइए। आप जहां हैं, वहीं पर शुरुआत कर दीजिए। आप अपने आप से, अपने घर से इस लड़ाई का आगाज करिये।
    दोस्तों, पिछले कुछ दिनों से मेरे कान यह सुनते-सुनते पक गए कि सरकार अपनी कमाई के चक्कर में नशा बेचवाती है। सरकार को सिर्फ टैक्स की चिंता है। सरकार को नशे से मर रहे लाखों लोगों की कोई फिक्र नहीं है। लोग मुझे फोन करके, मैसेज करके कुतर्क देते हैं कि सरकार यदि नशे की दुकान बंद करवा दे तो भारत अपने आप नशामुक्त हो जाएगा। नशामुक्ति का कोई आंदोलन चलाने की जरूरत ही नहीं है। न केंद्र सरकार चाहती है कि लोग नशामुक्त हों और न राज्य सरकारें। इसीलिए शराब, सिगरेट और गुटखे का प्रचलन बढ़ता जा रहा है।
     मैं ऐसे लोगों को बताना चाहता हूं कि बिहार राज्य में तकरीबन 6 साल से सरकार की तरफ से शराब बनना और बिकना जुर्म घोषित है। शराब की फैक्टरियों और शराब की देशी-विदेशी दुकानों पर ताले लगे हैं। इसी तरह गुजरात राज्य में भी सरकारी शराबबन्दी है। शराब का बनना और बिकना अपराध है। बिहार की तरह यहां शराब के ठेके बन्द पड़े हैं। परन्तु, दोनों जगह लोग जहरीली दारू पी पीकर मर रहे हैं। बिहार में तो आये दिन लोग कच्ची दारू पीकर मरते हैं।
     ये दो ही राज्य क्यों, याद करिये...सन 1977 से 1980 के मध्य जब जनता पार्टी सरकार ने पूरे भारत में शराबबंदी लागू की थी। जब पूरे हिन्दुस्तान में शराब की फैक्ट्रियां और ठेके बन्द थे। तब क्या हो रहा था? कैसे कच्ची दारू बनाने का कुटीर उद्योग गाँव-गाँव, कस्बे-कस्बे, शहर-शहर चलने लगा था? कैसे लोग जहरीली शराब पी-पीकर मर रहे थे?
    इसीलिए शराब को लेकर या फिर अन्य नशे को लेकर बहानेबाजी मत करिए। यह सब सरकार पर मत छोड़िए। सरकारी शराबबंदी या नशाबन्दी से कुछ नहीं होगा। केवल और केवल हम लोगों को खुद को नशामुक्त बनाना होगा। हमें खुद दृढ़ संकल्पी होकर अपना नशा छोड़ना होगा। 
     वह चाहे खैनी, गुटखा, तम्बाकू, पान हो या बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, चिलम, गांजा, चरम हो या फिर बीयर, शराब, भाँग, अफीम, कोकीन अथवा अन्य ड्रग्स हों। हमें स्वयं मन मजबूत करके अपना नशा त्यागना होगा। हमें खुद को, अपने परिवार को, अपने प्रतिष्ठान को नशामुक्त बनाना होगा।
      साथ ही, हमें अपने बच्चों को हर प्रकार के नशे से दूर रखना होगा। उन्हें नशे को दुष्प्रभाव बताना होगा। बच्चों को आजीवन नशामुक्त रहने का दृढ़ संकल्प करवाना होगा। तभी भारत नशामुक्त देश बनेगा। तभी भारत विश्वगुरु बनेगा। तभी हिन्दुस्तान विकसित और शक्तिशाली देश बनेगा। तभी कौशल किशोर जैसे महानुभावों का सपना साकार होगा। तभी आकाश किशोर जैसे लाखों नवयुवकों को असमय मरने से बचाया जा सकेगा।
निवेदक:
नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान 
ब्लॉक प्रभारी
नशामुक्त समाज आंदोलन-अभियान कौशल का 
बख़्शी का तालाब, लखनऊ
9580297464
7800001525

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