विश्व में श्री गौरीशंकर बैकुंठनाथ मंदिर बैकठपुर का खास धार्मिक महत्व है। इस मंदिर की सबसे खास बात है कि यहां शिवलिंग के रूप में शिव भगवान के साथ मां पार्वती भी विराजमान हैं। साथ ही पूरे शिवलिंग पर छोटे-छोटे 108 शिवलिंग भी बने हुए हैं। माना जाता है कि बैकठपुर जैसा शिवलिंग पूरी दुनिया में कहीं नहीं है। गंगा के तट पर बसे मंदिर और आसपास क्षेत्र को प्राचीनकाल में बैकुंठ वन के नाम से जाना जाता था। बैकुंठा के रूप में इस गांव की चर्चा आनंद रामायण में भी हुई है। कहा जाता है कि लंका विजय करने के बाद राम जी को जो ब्राह्मण हत्या का पाप लगा था उस से मुक्ति से लिए भगवान इसी मंदिर में आए थे और शिव भगवान की पूजा की थी। उस दौरान काफी ऋषि-मुनि भी मंदिर के आसपास जंगल में तप करते थे।मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि श्रीराम ने यहां आने के लिए गंगा नदी के दूसरी तरफ एक गांव में विश्राम किया था जिस वजह से गांव का नाम राघवपुर पड़ा जो वर्तमान में राज्य के वैशाली जिले में राघोपुर के नाम से जाना जाता है। जो भी सच्चे मन से यहां शंकर भगवान की पूजा करता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। हमेशा लाखों की संख्या में लोग जल अभिषेक करते हैं। बताया जाता है कि काशी में विश्वनाथ और देवधर में बैद्यनाथ धाम के बाद इस मंदिर को बिहार का बाबाधाम कहा जाता है।
सोमवार, 5 दिसंबर 2022
विश्व में श्री गौरीशंकर बैकुंठनाथ मंदिर बैकठपुर बिहार के अलौकिक दर्शन

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