लखीमपुर, 10 नवंबर 22। बच्चों को 12 जानलेवा और घातक बीमारियों से बचाने के लिए चलाए जा रहे नियमित टीकाकरण अभियान को और बेहतर व प्रभावी बनाने के लिए यूनिसेफ की ओर से बुधवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय स्थित कंट्रोल रूम सभागार में एक बैठक की गई। बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला प्रतिरक्षण अधिकारी, एसीएमओ डॉ अनिल गुप्ता ने कहा कि बच्चों को 12 जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमित टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। जिसके तहत बच्चों को 5 साल की उम्र तक 7 बार में 10 टीके लगाए जाते हैं। टीकाकरण को लेकर स्वास्थ्य विभाग की टीमें बराबर अभियान चलाती हैं और समय-समय पर बच्चों को टीके लगाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि कई दफा कुछ लोग जागरूकता के अभाव में बच्चों को टीका लगवाने से परहेज करते हैं। इसी को लेकर इस बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में धर्मगुरु और प्रतिनिधियों को बुलाया गया। उन्हें बताया गया है कि 5 साल तक की उम्र के बच्चों को नियमित टीका लगवाना बेहद जरूरी है। इस टीकाकरण से बच्चों को कई जानलेवा और घातक बीमारियों से बचाया जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि धार्मिक स्कूलों जैसे मदरसों, गुरुकुल और गुरुद्वारों द्वारा संचालित किए जा रहे स्कूलों के शिक्षकों और वहां पढ़ने वाले छात्रों को भी इस बारे में जागरूक किया जा रहा है।
बैठक में मौजूद यूनिसेफ के जिला कोऑर्डिनेटर मुकेश चौहान ने कहा कि बैठक में आने वाले सभी धर्मों के प्रतिनिधियों और धर्मगुरुओं को नियमित टीकाकरण चक्र कार्ड भी बांटा गया है। जिसके जरिए यह बताया गया है कि बच्चों को किस उम्र में कौन से टीके लगने हैं। उन्होंने धर्मगुरुओं से अपील की, कि वह नियमित टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए सहयोग प्रदान करें और अपने संबंधित समुदाय के लोगों को टीकाकरण कराने के लिए जागरूक करें।
बैठक को संबोधित करते हुए वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के कोऑर्डिनेटर विकास सिंह ने कहा कि टीकाकरण अभियान के दौरान यह देखने को मिला है कि कुछ लोग अन्भिज्ञता व जागरूकता के अभाव में बच्चों को टीका लगवाने से कतराते हैं या मना कर देते हैं। इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए सभी समुदाय के धर्मगरुओं और प्रतिनिधियों को बुलाया गया है, ताकि यह लोग अपने समुदाय में जाकर लोगों को जागरूक करें।
बैठक में चाई संस्था के शैलेंद्र तिवारी ने कहा कि टीकाकरण के बाद कुछ बच्चों को बुखार की शिकायत हो जाती है। बुखार आने पर घबराने की कोई जरूरत नहीं है। यदि टीकाकरण के बाद बुखार आता है तो वह कुछ समय बाद ही ठीक हो जाता है। बुखार आने पर बच्चों के अभिभावकों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। बैठक में यूनिसेफ के घनश्याम, राम जानकी मंदिर के पुजारी दिलीप अवस्थी, मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के जिला प्रभारी व मौलाना अशफाक कादरी, गुरुद्वारे के हरजिंदर सिंह सहित सभी समुदायों के बुद्धिजीवी उपस्थित रहे। बैठक में आए इन लोगों को नियमित टीकाकरण का चक्र कार्ड भी बांटा गया है।
जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ अनिल गुप्ता ने बताया कि जन्म के बाद सबसे पहले बच्चे को 3 टीके पोलियो, बीसीजी व हेपेटाइटिस बी लगता है। इसके बाद डेढ़ माह के बच्चे को पोलियो, रोटा, एफआइपीवी, पीसीवी व पेंटावेलेंट, ढाई माह की उम्र में पोलियो, रोटा, पेंटावेलेंट -दो, साडे 3 माह की उम्र में पोलियो -3, रोटा- 3, एफआइपीवी दो, पीसीबी-2, पेंटावेलेंट -3, नौ माह की उम्र में एमआर- 1, पीसीवी बूस्टर, जेई-1 का टीका लगाया जाता है।
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