(( दिल्ली N. C. R.))
⛅ दिनांक - ५ नवम्बर २०२२
⛅ दिन - शनिवार
⛅ विक्रम संवत् - २०७९ (गुजरात २०७८)
⛅ शक संवत् - १९४४
⛅ अयन - दक्षिणायने (दक्षिणगोले)
⛅ ऋतु - हेमन्त ॠतु
⛅ मास - कार्तिक मास
⛅ पक्ष - शुक्ल पक्ष
⛅ तिथि - द्वादशी १७/६ तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅ नक्षत्र - उत्तरभाद्रपद २३/५५ तक तत्पश्चात रेवती
⛅ योग - हर्षण २५/२१ तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहुकाल - ९/०० से १०/३० तक
⛅ सूर्योदय - ०६/४०
⛅ सूर्यास्त - १७/४०
👉 चन्द्रमा मीन, श्री खाटूश्याम जयन्ती, विशालमेला (राजस्थान) प्रदोषव्रत, श्री कालीदास जयन्ती, रवियोग
⛅ दिशा शूल - पूर्व दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण -* शनिप्रदोष व्रत, तुलसी विवाह प्रारम्भ
⛅ विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) एवं त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है ।
*(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः २७.२९-३४)*
🌷 कार्तिक मास के अन्तिम ३ दिन दिलाएं महा पुण्य पुंज - ६--७ एवं ८ नवम्बर २०२२
🌷 कार्तिक मास में सभी दिन अगर कोई स्नान ना कर पाए तो त्रयोदशी, चौदस और पूनम ये तीन दिन सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेने से पूरे कार्तिक मास के स्नान के पुण्यो की प्राप्ति होती है l
🌷 इन तीन दिन विष्णु सहस्र नाम पाठ और गीता का पाठ भी अत्यन्त प्रभाव शाली और पुण्यदायी है l
🌷 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग
🌷 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए *ॐ नमः शिवाय* मन्त्र का १०८ बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शान्त हो जाता है ।
(ब्रह्म पुराण)
🌷 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।
(पद्म पुराण)
आर्थिक कष्ट निवारण हेतु
🌷 एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा *ॐ नमो भगवते वासुदेवाय* मन्त्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।
🌷 सर्दियों में बल व पुष्टिवर्धक प्रयोग
🌷 हितकर आहार-विहार के साथ निम्नलिखित रसायन प्रयोगों का सेवन करने से शरीर पुष्ट व बलवान होता है ।
१-- आँवले के १५ से २० मि.ली. रस में २ ग्राम अश्वगन्धा चूर्ण मिला कर सुबह लेने से वीर्य पुष्ट होता है ।
२-- काले तिल व गुड़ का लड्डू खूब चबा चबाकर खाने से दाँत, बाल, हड्डियाँ मजबूत बनती हैं तथा रक्त की वृद्धि होती है ।
🌷 आयुर्वेद के श्रेष्ठ आचार्य श्री वाग्भट्टजी द्वारा वर्णित कुछ प्रयोग
१--मुलेठी का २ ग्राम चूर्ण गाय के दूध में मिलाकर प्रतिदिन पियें । इससे मस्तिष्क की धारणाशक्ति बढ़ती है ।
२-- २ ग्राम सोंठ में पानी मिला कर रात को लोहे की कड़ाही के अन्दर लेप करें। प्रातः काल वह सोंठ दूध में मिलाकर पीने से दीर्घायुष्य की प्राप्ति होती है ।
३-- हितकर आहार का सेवन करते हुए आँवले का रस, गाय का घी, शहद व मिश्री समभाग मिलाकर पाचनशक्ति के अनुसार प्रतिदिन प्रातः सेवन करने से वार्धक्यजन्य विकार नष्ट हो जाते हैं ।
४--१० से १५ ग्राम काले तिलों को भलीभाँति चबाकर शीतल (सामान्य) जल पीने से शरीर पुष्ट होता है तथा दाँत मृत्यु तक सुदृढ बने रहते हैं । इस प्रयोग के बाद २ घंटे तक कुछ न खायें पियें । (नोट: वाग्भट्टाचार्यजी ने शास्त्र में तिल सेवन की मात्रा चार तोला (४५ ग्राम) लिखी है, जो उस युग के अनुरूप है।
🌷श्री भृगु ज्योतिष रिसर्च केन्द्र सूरजपुर🌷
✳️ *~ वैदिक पंचांग ~* ✳️
दैनिक पंचांग, राशिफल, व्रत-त्योहार, हिन्दू-धार्मिक आदि जानकारी पाने के लिए तथा जन्म कुण्डली में कुग्रह जनित दोषों के निराकरण एवं जीवन की कठिन समस्याओं के समाधान हेतु केन्द्र से सम्पर्क करें |
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
Post Comments