मिर्ज़ापुर। देवगढ़ के नवनिर्मित श्रीरघुनाथ-मन्दिर में अयोध्या शोध संस्थान, संस्कृति विभाग उत्तरप्रदेश सरकार एवं प्रभाश्री ग्रामोदय सेवा आश्रम देवगढ़ के संयुक्त तत्वावधान में आदिकवि महर्षि वाल्मीकि की जयन्ती का आयोजन सोल्लास सम्पन्न हुआ। समारोह का शुभारम्भ आदिकवि महर्षि वाल्मीकि के सौष्ठव पूजन से हुआ। प्रख्यात ज्योतिर्विद् एवं यज्ञाचार्य पण्डित प्रभाशंकर पाठक ने वैदक मन्त्रों से भगवान् वाल्मीकि का अमृताभिषेक किया। सभाध्यक्ष नवगीतकार गणेश गम्भीर, मुख्य अतिथि पद्मश्री अजिता श्रीवास्तव एवं विशिष्ट अतिथि राजेन्द्र त्रिपाठी उपाख्य लल्लू तिवारी ने दीपदान के साथ समारोह का विधिवत् शुभारम्भ किया।
सर्वप्रथम द्वादशवर्षीया आर्या भव्यानी सिंह ने तुलसीकृत 'श्रीरामचन्द्र-स्तवन' की सस्वर प्रस्तुति से भक्तिमय वातावरण का सृजन किया। तदुपरान्त यज्ञाचार्य पण्डित प्रभाशंकर पाठक के नेतृत्व में आठ घण्टे तक वाल्मीकि रामायण का संगीतमय पाठ हुआ। भजनानन्दी साधकों के घरों में अधिकांशतः गोस्वामी तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस का अखण्ड पारायण होता है। वाल्मीकि रामायण का पाठ ग्रामीण अंचल के निवासियों के लिए सर्वथा दुर्लभ है, इसलिए रसिक श्रोता वाल्मीकि रामायण के पाठ का अनुश्रवण कर रोमांचित हुए बिना नहीं रह सके।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में विद्वत्पूजन एवं कविगोष्ठी का आयोजन किया गया। राजेन्द्र त्रिपाठी की वाणी-वन्दना से कविगोष्ठी का शुभारम्भ हुआ। डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह 'संजय' ने 'आदिकवि' शीर्षक रचना का पाठ कर भगवान् वाल्मीकि के प्रति अपनी भावप्रवण श्रद्धांजलि अर्पित की। कविवर अमरेशचन्द्र 'अम्बर' ने देश की वर्तमान परिस्थिति का चित्रांकन करते हुए अपनी कविताओं से कश्मीर-समस्या का स्थायी निदान सुझाया।
हास्य-व्यंग्य के सशक्त हस्ताक्षर डॉ. लालजी सिंह बिसेन ने क्षणिकाओं के माध्यम से जीवन के यथार्थ का अनुभव कराया। नवगीतकार डॉ.परमेश्वरदयाल श्रीवास्तव ने अपने नवगीतों से चिन्तन के नवीन आयाम प्रस्तुत किये। प्राचार्य गणेशदेव पाण्डेय 'ग्रामीण' ने भ्रष्टाचार, आतंक एवं ग़रीबी से जूझ रहे हिन्दुस्तान का यथार्थ चित्रण किया। सोनांचल के कविकुलकुलगुरु पण्डित रमाशंकर पाण्डेय 'विकल' ने 'कहे बरसे नयनवाँ तोर गोरिया, भीजे तोहरे अँचरवा के छोर गोरिया' का सस्वर पाठ करके श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध कर दिया।
मिर्ज़ापुर से आये गीत विधा के हीरक हस्ताक्षर राजेन्द्र त्रिपाठी उपाख्य लल्लू तिवारी ने हिन्दी-भोजपुरी के अनेक मनहर गीतों का पाठ करके समारोह को नूतन ऊँचाई प्रदान की। मुख्य अतिथि पद्मश्री अजिता श्रीवास्तव ने भगवान् श्रीराम को केन्द्र में रखकर अनेक गीतों की कर्णप्रिय प्रस्तुति दी। समारोह के अध्यक्ष नवगीतकार गणेश गम्भीर ने गीतों और ग़ज़लों से श्रोताओं का मन मोह लिया।
कार्यक्रम का संचालन गणेशदेव पाण्डेय 'ग्रामीण' ने तथा आगत-स्वागत एवं धन्यवाद-ज्ञापन संयोजक डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह 'संजय' ने किया। इस अवसर पर राजर्षि बाबू रामप्रसाद सिंह, बाबू महेन्द्रबहादुर सिंह, लेखपाल अवधेश दुबे, बाबू शंकरप्रसाद सिंह, धर्मेन्द्रकुमार सिंह, ज्ञानेन्द्रकुमार सिंह, जय श्रीवास्तव, अजय सिंह गहरवार, अरुण सिंह कौशिक, राजेन्द्रबहादुर सिंह, अरविन्द कुमार आदि की गरिमामय उपस्थिति रही।
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