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सोमवार, 31 अक्टूबर 2022

देश भर मे हर्षोल्लास के साथ मनाया सूर्य उपासना का महापर्व छठ, ग्रेटर नोएडा वेस्ट में उठी अस्थायी छठ घाट बनाने की मांग, पढ़ें!

(सूर्य उपासना के महापर्व पर भगवान सूर्य को अर्ध्य देती प्रसिद्ध त्रिमूर्ति में से एक बिहटा निवासी दिलीप श्रीवास्तव की पत्नी)
✍️ अनिल कुमार श्रीवास्तव
लखीमपुर। पूरे देश मे लोक आस्था के चार दिवसीय महापर्व छठ का समापन आज उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देने के साथ किया। सूर्य उपासना के इस महाव्रत में पूर्व संध्या बेहद खास रही, नदियों, पोखरों, तालाब आदि किनारे आस्था केंद्र रूपी घाटों पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य देकर व्रतधारी एकत्रित हुए।
 उल्लेखनीय है कि पूर्वी प्रदेशों बिहार बंगाल व पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों से निकलकर वर्तमान में छठ महाव्रत की महिमा विश्व मे फैल रही है। इसे पूरे देश मे हर्षोल्लास से मनाया जाता है। खास तौर पर उत्तर भारत मे इस व्रत की दिव्यता व भव्यता देखते ही बनती है। दिल्ली, यूपी, बिहार, बंगाल आदि क्षेत्रों में तो सूर्य उपासना की यह पूजा महोत्सव की तरह होती है। यहां शासन व प्रशासन भी इस महापर्व छठ महोत्सव को सफल बनाने के लिए अपने अपने स्तर से प्रयत्नशील रहता है। इसी क्रम में इस बार भी प्रदेश सरकारों ने सक्रियता दिखाते हुए छठ पूजा घाटों को लेकर बड़ी गम्भीरता से सतर्कता बरती। प्रशासन ने छठ घाटों पर सुगमता के लिए कही कही भीड़भाड़ वाली जगहों के ट्रैफिक को डायवर्ट कर राह आसान बनाई। कहीं कही समाजसेवियों ने छठ घाटों पर व्रतधारियों के लिए पंडाल आदि लगाकर ठहरने का बंदोबस्त किया तो कहीं कहीं व्रतियों के परिजनों व सहयोगियों के लिये पेयजल की व्यवस्था भी की। 
कल की शाम इस पूजा के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। अस्तगामी सूर्य को अर्ध्य देने के दौरान बॉस की बनी टोकरी में पूजा प्रसाद सामग्री, फूल, फल आदि रखे। एक सूप में नारियल, पंच फल रखे। इस पूजा में ठेकुवा, चावल के लड्डू का विशेष महत्व होता है। अस्तगामी सूर्य भगवान को दूध, जल का अर्ध्य देकर पूजन सामग्री सहित तमाम व्रतधारी छठगीत गाते हुए घर वापस आ गयी और कुछ घाट पर ही पूरी रात रुक गयी जिनके रुकने, उजाले से लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम सरकार, प्रशासन व समाजसेवियों के सौजन्य से हुआ। 
नहाय खाय से शुरू आस्था का यह चार दिवसीय महापर्व व्रत के सभी दिनों में धार्मिक, सांस्कृतिक  व आध्यात्मिक सन्देश देता दिखाई देता है। नहाय खाय के दिन व्रत धारण करने वाली महिलाएं व पुरुष एक समय भोजन करके अपने मन को शुद्ध करते हैं। इस सादे भोजन में लौकी की सब्जी, चने की दाल, चावल व मूली खाते हैं। व्रत के दूसरे दिन को खरना कहते हैं इस दिन दिन भर उपवास शाम को भोजन करते हैं। खरने के प्रसाद में गन्ने के रस में बने चावल की खीर के साथ दूध, चावल का पिट्ठा, घी चुपड़ी रोटी बनाई जाती है। छठ का तीसरा दिन बेहद महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रतधारी अपने परिजनों के बांस की टोकरी में पूजन सामग्री व प्रसाद रख साथ छठ घाट आते हैं और अस्तगामी सूर्य को अर्ध्य देते हैं। इस पूजा व्रत का समापन भोर में उदीयमान सूरज को अर्ध्य देकर व पूजा के साथ किया जाता है।
शोषल मीडिया के इस मोबाइल युग मे समूचे भारत मे हो रही महाछठ की छटा व पूजा के दिव्य दर्शन कल अस्तगामी भगवान सूर्य को अर्ध्य देने के साथ ही शुरू हो गए थे। शोषल मीडिया के विभिन्न मंचो पर श्रद्धालुओं की अपडेट के मुताबिक पटना गंगा नदी किनारे, लखनऊ गोमती नदी किनारे, दिल्ली यमुना नदी किनारे श्रद्धालुओं का विशाल मेला जैसा लगा रहा। इसके अलावा उत्तर भारत के पूर्वी हिस्सो में सभी प्रमुख नदियों , पोखरों, तालाबों आदि किनारे बने घाटों पर छठ व्रतधारियों ने सूर्य उपासना की। 
लखीमपुर उल्ल नदी के तट पर  सेठघाट मन्दिर के सामने घाट पर श्रद्धालुओं ने हर्षोल्लास के साथ आस्थापूर्वक सूर्य उपासना की व अस्तगामी, उदीयमान भगवान सूरज को अर्ध्य दिया। इस दौरान सेठघाट मार्ग की रौनक देखते बनी। आगामी नगर पालिका चुनाव के दावेदारों के छठ शुभकामनाओं से भरे पोस्टर्स ने व्रतधारियों का खुले मन से स्वागत किया। प्रशासन की मुस्तैदी ने महापर्व को सफल बनाया। क्षेत्रीय ट्रैफिक प्रशासन ने ट्रैफिक डायवर्जन से श्रद्धालुओं का आस्था मार्ग सुगम किया। 
धूमधाम से सम्पन्न हुई ऐससिटी के सामने प्लाट पर छठपूजा, लोक आस्था के महापर्व पर श्रद्धालुओं की सुगमता के लिए प्राधिकरण से सेक्टर 1 व 2 में अस्थायी छठ घाट बनाने की मांग उठी :
ग्रेटर नोएडा, 31 अक्टूबर। लोक आस्था के महापर्व छठ पर ग्रेटर नोएडा वेस्ट की ऐससिटी सोसायटी के सामने खाली पड़े प्लॉट में अस्थायी घाट बनाकर क्षेत्रवासियों ने पारंपरिक तरीके से पूरे विधिविधान के साथ अस्तगामी सूर्य व उदीयमान सूर्य को अर्ध्य देकर सूर्य उपासना की। सूर्य उपासना के इस महापर्व छठ पर घाट पर क्षेत्रीय विधायक ने अपनी सक्रिय उपस्थिति दर्ज करवाते हुए छठी माई का आशीर्वाद लिया।
    सूर्य उपासना पर आधारित इस चारदिवसीय छठ व्रत की शुरुआत बीती 28 अक्टूबर को नहाय खाय के साथ स्वच्छता का धार्मिक सन्देश देते हुए हुई थी। इस व्रतियों ने दिन में एक समय भोजन शुद्ध व सादा प्रसाद रूपी भोजन किया। जिसमें चना दाल, लौकी सब्जी, चावल मूली आदि रहा। दूसरे दिन खरना जिसमे शाम के समय गन्ने के रस से बनी खीर, दूध घी चुपड़ी रोटी आदि प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। तीसरे दिन बांस की टोकरी में प्रसाद, पूजन सामग्री व सूप में पंच फल, नारियल आदि रखकर छठ घाट पहुंचे व्रतधारियों ने अस्त होते सूर्य को अर्ध्य दिया। आज सुबह उदीयमान भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर इस महाव्रत को पूरा किया गया। इस महाव्रत में ऐससिटी के अलावा आसपास की अन्य सोसायटियों व गांवों के व्रतियों ने पूरी आस्था के साथ भाग लिया और भगवान सूर्य व छठी माई की उपासना की।
ऐससिटी के निवासी व छठ महाव्रत की अगाध आस्था में सराबोर श्रद्धालू उदय शंकर पाठक, दीपक झा, अंजनी कुमार, सुमन, जितेंद्र कुमार, आत्माराम, राजीव व अन्य ने बताया कि इस अस्थायी रुप से बने छठ घाट पर आसपास के व्रती भारी संख्या में पूरी श्रद्धा के साथ आते हैं। अथारिटी से निवेदन किया गया है कि सेक्टर 1 व सेक्टर 2 के व्रतियों के लिए अस्थायी घाट का प्रबंध किया जाय ताकि उनकी उपासना में सुलभता व सुगमता हो सके। 
कल इस घाट पर ऐससिटी वासियों व स्थानीय निवासियों ने पूजा की दृष्टि से सारे इंतजाम किए थे, एवं सुरक्षा व्यवस्था का पूरा ध्यान रखा गया था।
Must watch, on you tube ... दैनिक जनजागरण न्यूज :  https://youtu.be/2uI2mNtBskE

प्रयागराज के संगम पर :
भगवान सूर्य को अर्घ्य देने उमड़ा आस्था का सैलाब
प्रयागराज के संगम पर  छठ पर्व की छटा सूर्योपासना के लोकोत्सव के रूप में निखर कर हर किसी को निहाल कर गई। ढोल नगाड़े की गूंज के बीच गंगा जल के बीच खड़ी व्रती महिलाओं ने अखंड सुहाग,  संतान और समृद्धि की कामना से अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया।संगम से लेकर किला घाट तक कतारबद्ध वेदियों पर सौभाग्य का डाला सजाने के लिए दोपहर बाद से ही व्रती महिलाओं की भीड़ लगने लगी। पूजा के बाद सिर पर फलों, फूलों और पकवानों के प्रसाद से भरा डाला लेकर परिजन घरों से निकले। नए परिधानों में सज धज कर व्रतियों की भीड़ इसी तरह घाटों पर पहुंचती रही। वहां वेदियों पर गन्ने के मंडप के बीच दीप जलाकर भगवान भास्कर की आराधना शुरू हो गई।माथे पर अखंड सौभाग्य के रूप में सिंदूर का टीका लगाकर व्रती महिलाएं सूर्यास्त की प्रतीक्षा करती रहीं। रविवार की शाम सर्व मंगल की कामना के लिए गंगा-यमुना के तटों पर आस्था का सैलाब उमड़ा तो कुछ देर के लिए भक्ति का सागर इसी तरह उमड़ने-घुमड़ने लगा। भगवान भास्कर के अस्त होने से पहले ही संगम पर ढोल-नगाड़ों की गूंज के साथ आतिशबाजी होने लगी और डूबते सूर्य को अपनी-अपनी कामनाओं के अर्घ्य समर्पित किए जाने लगे।
छठी मइया की आराधना की गीतों के साथ लोक उत्सव की छटा निहारने के लिए तांता लगा रहा।इसी तरह रामघाट, दशाश्वमेध घाट, शंकर घाट के अलावा अरैल और झूंसी में भी गंगा-यमुना के तटों पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए व्रतियों की भीड़ लगी रही। एक तरफ अर्घ्यदान और दूसरी ओर ढोल-नगाड़ों पर व्रतियों के परिजन थिरकते नजर आए। तटों पर हर तरफ उत्सवी माहौल रहा।  प्रयागराज में बलुआ घाट पर अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जुटे श्रद्धालु। अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जुटे श्रद्धालु। सूर्य षष्ठी की आराधना के लोकोत्सव संगम पर भक्ति के रंग में खूब गाढ़ा हुआ। रविवार की शाम प्रथम अर्घ्य देने के बाद बड़ी तादाद में व्रती महिलाएं अपनी वेदियों पर अखंड दीप जलाकर रात भर आराधना में जुटी रहीं। इस दौरान जगह-जगह टेंट लगाकर व्रतियों ने परिजनों के साथ वेदियों पर कैंप किया। रात भर छठ माता की स्तुति होती रही और मंगल कामना के गीत गूंजते रहे। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। झूंसी के तीन घटों पर डाला छठ का पूजन किया गया। इसके लिए झूंसी के गंगा घाटों पर प्रशासन की ओर से विशेष तैयारियां की गईं थीं। इससे पहले छठ महापर्व के दूसरे दिन शनिवार को सिद्धयोग व तथा रवियोग में खरना के पूजा के बाद व्रतियों ने 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू किया था। खीर और रोटी का महाप्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती दो दिनों के लिए भगवान भास्कर के भक्ति में लीन हो गईं हैं।

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