🔘 रामलीला मंच पर शब्दों ने रचा स्मृति स्मरण, स्व. विनोद गुप्ता की याद में सजी अखिल भारतीय काव्य संध्या
निघासन, खीरी। शब्दों की श्रद्धांजलि, भावों का दीप और स्मृतियों का प्रकाश, श्रीराम लीला मेला, नंदीश्वर बाबा के पावन मंच पर शुक्रवार की रात कुछ इसी तरह स्वर्गीय वरिष्ठ पत्रकार विनोद गुप्ता की स्मृति को समर्पित रही। उनके पुण्य स्मरण में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन ने साहित्य, संवेदना और सामाजिक चेतना का ऐसा संगम रचा कि श्रोता मध्यरात्रि तक तालियों की गूंज से वातावरण को जीवंत करते रहे।
झंडी रोड स्थित नंदीश्वर बाबा स्थान पर लगने वाले ऐतिहासिक मेले की कार्यक्रम श्रृंखला में सम्मिलित यह कवि सम्मेलन रात्रि साढ़े नौ बजे माँ सरस्वती की वाणी वंदना से आरंभ हुआ और भावनाओं की अविरल धारा के साथ रात्रि डेढ़ बजे तक अनवरत चलता रहा। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता दयाशंकर मौर्य ने की। आरंभ में सुप्रसिद्ध कवयित्री रंजना सिंह ‘हया’ ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत करते हुए पंक्तियाँ पढ़ीं “मात शारदे जरा दुलार दे मुझे एक बार,
नेह से निहार दे मुझे…” जिन्होंने मंच और मन दोनों को भक्तिभाव से भर दिया। लखनऊ से पधारे ओजस्वी कवि श्यामल मजूमदार ने अपनी व्यंग्यात्मक रचना के माध्यम से राजनीति पर करारा प्रहार किया “सियासत में आंधी कमाई न होती, तो चेहरे पर उनके लुनाई न होती…” जिस पर श्रोताओं ने मुक्त कंठ से सराहना की। लखीमपुर के प्रसिद्ध युवा कवि कुलदीप समर ने राष्ट्रभाव से ओत प्रोत पंक्तियाँ पढ़कर युवा चेतना को झकझोर दिया “संस्कार ठुकराने वाले वंदे मातरम् क्या जाने, केवल मौज उड़ाने वाले वंदे मातरम् क्या जाने…” वहीं संवेदनशील कवि प्रशांत पाण्डेय ने मानवीय पीड़ा और आशा के स्वर को शब्द दिए “नहीं कोठी, नहीं बंगला, नहीं कुछ चाहिए हमको, फसल है रक्त से सींची, इसे बस भाव ले लो…” कवि सम्मेलन का प्रभावी, सधे हुए और ऊर्जावान संचालन योगेन्द्र चतुर्वेदी ने किया, जिनकी वाणी ने पूरे कार्यक्रम को सूत्रबद्ध और प्रवाहमय बनाए रखा। इसके अतिरिक्त प्रियंका शुक्ला, प्रदीप दिहुलिया, संदीप मोहन, आलोक गंजरहा, राहुल सहित अन्य कवियों ने भी अपने काव्य पाठ से श्रोताओं को भावविभोर किया।
कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के नेता अनुराग पटेल, हिमांशु पटेल, सहित सुनील बत्रा, दयाशंकर मौर्य, विपिन एवं क्षेत्र के गणमान्य नागरिकों तथा साहित्य प्रेमियों की भारी उपस्थिति रही। यह कवि सम्मेलन केवल एक साहित्यिक आयोजन नहीं, बल्कि स्वर्गीय विनोद गुप्ता के निर्भीक, मूल्यनिष्ठ और समाज समर्पित पत्रकार जीवन को शब्दों में नमन करने का सशक्त माध्यम बना जहाँ कविता स्मृति बनी और स्मृति प्रेरणा।
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