आरबीआई के साइबर जागरूकता अभियान में ट्राईसिटी के सात विद्यालयों के 1,045 से अधिक विद्यार्थियों की सहभागिता
चंडीगढ़, 20 दिसंबर: भारतीय रिज़र्व बैंक, चंडीगढ़ ने अपनी उपभोक्ता संरक्षण पहलों के अंतर्गत उपभोक्ता शिक्षा एवं संरक्षण इकाई (सीईपीसी) के माध्यम से 15 से 19 दिसंबर, 2025 तक स्कूली विद्यार्थियों के लिए एक सप्ताह की साइबर जागरूकता कार्यक्रम श्रृंखला का आयोजन किया। इस अभियान का उद्देश्य विद्यार्थियों को साइबर सुरक्षा, साइबर धोखाधड़ी, जनरेशन-ज़ी से जुड़े डिजिटल जोखिमों तथा भारतीय रिज़र्व बैंक की शिकायत निवारण व्यवस्था के प्रति जागरूक करना था।
यह अभियान चंडीगढ़, मोहाली एवं पंचकूला स्थित सात विद्यालयों—एमिटी इंटरनेशनल स्कूल, मोहाली; सेंट ज़ेवियर्स स्कूल, चंडीगढ़; गुरु नानक पब्लिक स्कूल, चंडीगढ़; भवन विद्यालय, पंचकूला; सतलुज पब्लिक स्कूल, पंचकूला; द गुरुकुल, पंचकूला; तथा बनयान ट्री स्कूल, चंडीगढ़—में आयोजित किया गया। कक्षा आठवीं से बारहवीं तक के लगभग 1,045 विद्यार्थियों ने अपने शिक्षकों के साथ इन कार्यक्रमों में सहभागिता की। इसके अतिरिक्त, बाल निरीक्षण गृह (सेक्टर-25) एवं स्नेहालय फॉर गर्ल्स (सेक्टर-15), चंडीगढ़ में भी जागरूकता सत्र आयोजित किए गए।
ये आउटरीच कार्यक्रम भारतीय रिज़र्व बैंक की उपभोक्ता जागरूकता पहलों, विशेष रूप से “आरबीआई कहता है” जन-जागरूकता अभियान, तथा इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में ग्राहक संरक्षण एवं उपभोक्ता शिकायत निवारण से संबंधित बैंक के नियामक दिशानिर्देशों के अनुरूप आयोजित किए गए।
कार्यक्रमों के दौरान सामान्य साइबर धोखाधड़ी के प्रकारों, सुरक्षित डिजिटल लेनदेन हेतु आवश्यक सावधानियों, डिजिटल मंचों के जिम्मेदार उपयोग तथा भारतीय रिज़र्व बैंक की एकीकृत लोकपाल योजना के अंतर्गत उपभोक्ता अधिकारों एवं शिकायत निवारण माध्यमों के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई।
यह पहल भारतीय रिज़र्व बैंक, चंडीगढ़ के क्षेत्रीय निदेशक श्री विवेक श्रीवास्तव के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में आयोजित की गई। कार्यक्रम का समन्वय एवं मार्गदर्शन श्री नवनीत सिंह नागर, उप महाप्रबंधक, सीईपीसी, भारतीय रिज़र्व बैंक, चंडीगढ़ द्वारा किया गया। अभियान में कक्षा आठवीं एवं उससे ऊपर के विद्यार्थियों—अर्थात भावी नागरिकों—को लक्षित करते हुए उन्हें वास्तविक एवं डिजिटल दोनों परिवेशों में उचित आचरण के प्रति संवेदनशील बनाया गया। इस दौरान यह भी स्पष्ट किया गया कि ई-मेल आईडी, मोबाइल नंबर, जन्मतिथि तथा अन्य संवेदनशील व्यक्तिगत जानकारी कब और किन परिस्थितियों में साझा की जानी चाहिए अथवा नहीं।
ये जागरूकता सत्र गोवा निवासी अनुभवी बैंकर एवं साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ श्री मोहम्मद आरिफ अंसारी द्वारा संचालित किए गए। उन्होंने वास्तविक जीवन के उदाहरणों, व्यावहारिक प्रदर्शनों तथा संवादात्मक चर्चाओं के माध्यम से विद्यार्थियों को साइबर धोखाधड़ी की पहचान करने और डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र में सोच-समझकर निर्णय लेने हेतु सक्षम बनाया।
इन कार्यक्रमों को विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा संस्थागत प्रतिनिधियों से अत्यंत सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई। सभी ने युवा नागरिकों को डिजिटल संसार में सुरक्षित एवं जिम्मेदारीपूर्ण ढंग से आगे बढ़ने के लिए सशक्त बनाने हेतु भारतीय रिज़र्व बैंक के प्रयासों की सराहना की।
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