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शुक्रवार, 26 दिसंबर 2025

तराई की गोद में पर्यटन का नया सूर्योदय : दुधवा, गौरीफंटा बस सेवा विस्तार से प्रकृति, रोमांच और शोध को मिली नई राह

🔘 तराई की गोद में पर्यटन का नया सूर्योदय : दुधवा, गौरीफंटा बस सेवा विस्तार से प्रकृति, रोमांच और शोध को मिली नई राह

लखनऊ/लखीमपुर खीरी, 26 दिसंबर 2025। तराई के घने साल वनों, हरे-भरे घास के मैदानों और दलदली सरोवरों के बीच दुधवा राष्ट्रीय उद्यान इन दिनों प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी उत्सव से कम नहीं। हाल ही में जन्मे एक सींग वाले गैंडे के नन्हे शावक ने इस जंगल की मुस्कान को और मोहक बना दिया है। बच्चों की उत्सुक आंखों से लेकर बड़ों की रोमांचित धड़कनों तक दुधवा अब केवल एक जंगल नहीं, बल्कि जीवंत अनुभव बन चुका है।

इसी बढ़ती आकर्षण शक्ति को नए पंख देते हुए लखनऊ के कैसरबाग बस स्टेशन से संचालित विशेष एसी 2×2 बस सेवा को अब दुधवा से आगे अंतरराष्ट्रीय सीमा के समीप स्थित गौरीफंटा तक विस्तारित कर दिया गया है। पहले यह सेवा केवल दुधवा तक सीमित थी, लेकिन अब यह विस्तार प्रकृति-आधारित पर्यटन, बेहतर कनेक्टिविटी और यात्रियों की सुविधा की दिशा में एक दूरदर्शी कदम साबित होगा।
ठंड के मौसम में दुधवा राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। बाघों की गर्जना, हाथियों की पदचाप, हिरणों की छलांग, बारहसिंगों की शोभा और तेंदुओं की रहस्यमय उपस्थिति के बीच गैंडे के शावक का दृश्य पर्यटकों के लिए अविस्मरणीय बन रहा है।

समय, सुविधा और सौंदर्य सब एक साथ नई व्यवस्था के अनुसार, बस सुबह 8:00 बजे कैसरबाग से रवाना होकर दोपहर 2:00 बजे गौरीफंटा पहुंचेगी। वापसी में 2:30 बजे गौरीफंटा से चलकर 3:00 बजे दुधवा और फिर 3:30 बजे दुधवा से लखनऊ लौटते हुए रात 9:00 बजे कैसरबाग पहुंचेगी। किराया लखनऊ से दुधवा ₹487 तथा लखनऊ से गौरीफंटा ₹536 निर्धारित किया गया है। यह सेवा दुधवा, कतर्नियाघाट और गौरीफंटा के जंगलों की ओर जाने वाले प्रकृति प्रेमियों के लिए वरदान सिद्ध होगी।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने इस पहल को उत्तर प्रदेश इको-टूरिज्म डेवलपमेंट बोर्ड की दूरदृष्टि और वन विभाग के समन्वय का परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि तराई का यह क्षेत्र जैव विविधता का अनमोल खजाना है और बस सेवा के विस्तार से पर्यटक दुधवा के जंगलों के साथ-साथ गौरीफंटा और उससे जुड़े प्राकृतिक इलाकों का भी सजीव अनुभव कर सकेंगे। यह सुविधा शोधकर्ताओं, छात्रों और प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष रूप से उपयोगी होगी।
दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एच. राजामोहन ने बताया कि ठंड के मौसम में दुधवा का आकर्षण अपने चरम पर होता है। गैंडे के शावक, घने जंगल, घास के विस्तृत मैदान और दलदली क्षेत्र इसे भारत के सबसे समृद्ध प्राकृतिक आवासों में स्थान दिलाते हैं। कतर्नियाघाट वाइल्डलाइफ सेंचुरी अपनी अनोखी पारिस्थितिकी, नदियों और दुर्लभ पक्षी प्रजातियों के कारण पर्यटकों के बीच विशेष लोकप्रिय है।
हाल ही में वन विभाग और विशेषज्ञों की टीम ने तीन दिवसीय अभियान के तहत नर गैंडा नकुल और मादा दीपिका के गले से रेडियो कॉलर हटाकर उन्हें जंगल की पूर्ण स्वतंत्रता लौटाई है। यह कदम इस बात का प्रतीक है कि संरक्षण और प्रकृति के बीच संतुलन सफलतापूर्वक स्थापित हो रहा है।

अब दुधवा तक पहुंचने वाला हर यात्री सहजता से गौरीफंटा की ओर भी बढ़ सकेगा जहां सीमा के समीप फैले जंगल, वेटलैंड्स और दुर्लभ प्रजातियां प्रकृति प्रेमियों और बर्ड वॉचर्स को नए अनुभवों का आमंत्रण देती हैं। यह बस सेवा केवल दूरी नहीं घटाती, बल्कि मनुष्य और प्रकृति के बीच की दूरी को भी कम करती है और यही इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।

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