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सोमवार, 17 नवंबर 2025

Lmp. बंद क्रेशरों ने रोकी किसानों की सांस, 600 करोड़ के बकाये में दबा खामोश दर्द फूटा सड़कों पर!

लखीमपुर खीरी। गन्ने के हरे भरे खेतों में इस समय सिर्फ फसल की सरसराहट नहीं, बल्कि किसानों की चिंता भी लहलहा रही है। खण्‍डसारी विभाग के अधीन बंद पड़े क्रेशरों ने किसानों की उम्मीदों पर जैसे ताला जड़ दिया हो। इसी वेदना और विवशता की प्रतिध्वनि आज भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के ज्ञापन में जिलाधिकारी के समक्ष गूंज उठी।
संगठन ने बताया कि क्रेशरों के नहीं खुलने से किसान अपने गन्ने को बेचने तक से वंचित हैं। खेत की हर जरूरत, खाद हो या पानी, सिंचाई हो या बीज सबका खर्च आसमान छू रहा है। मजबूरी में किसान महंगे ब्याज पर उधार लेकर खेती का पहिया घुमा रहे हैं। ऊपर से लगभग 600 करोड़ रुपये गन्ना मूल्य का बकाया मानो उनकी पीठ पर और बोझ डाल रहा हो। बीकेयू ने स्पष्ट कहा कि यदि क्रेशर चालू करा दिए जाएँ, तो किसान अपना गन्ना बेचकर तत्काल नकद धनराशि प्राप्त कर सकेंगे। यही राशि उनकी खेती, बच्चों की पढ़ाई, घर गृहस्थी और आने वाले मौसम की तैयारियों का सहारा बन सकती है। कई किसान पहले ही आर्थिक तंगी से टूट चुके हैं, ऐसे में क्रेशरों के बंद होने का संकट उनके जीवन में नया अंधेरा घोल रहा है। ज्ञापन में जिलाधिकारी से अपील की गई है कि किसानों की पीड़ा को समझते हुए बंद क्रेशरों को तत्काल संचालन में लाया जाए, ताकि खेत खलिहान की मेहनत को न्याय मिले और किसान अपने हक का दाम पा सकें। यह सिर्फ मशीनें चालू कराने की मांग नहीं यह किसानों की जीवनरेखा को पुनः बहाल करने की पुकार है।

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