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बुधवार, 19 नवंबर 2025

जीएसटी 2.0 पर्यटन पुनरुत्थान को गति दे रहा है राजकोषीय नीति से पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र को बढ़ावा


कम टैक्स, अधिक भरोसा और किफायती यात्रा में बढ़ोतरी, ये सभी भारतीयों के अपने देश को जानने-समझने के तरीके को फिर से तय कर रहे हैं

लेखक: ज्ञान भूषण और डॉ. प्रतीक घोष
       
भारत में पर्यटन हमेशा घूमने-फिरने से कहीं ज़्यादा रहा है: यह संस्कृतियों के बीच संवाद है, प्रदेशों के बीच एक पुल है और लाखों लोगों के लिए आजीविका का साधन है। फिर भी, दशकों तक, पर्यटन क्षेत्र पर अलग-अलग टैक्स, ज़्यादा लागत और असमान विकास का बोझ रहा। हालाँकि, हाल ही में पेश की गई वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की पुनर्संरचना इस गाथा को फिर से लिखने में मदद कर रही है।

होटल, परिवहन और सांस्कृतिक वस्तुओं की कम दर के कारण भारत के पर्यटन और आतिथ्य क्षेत्र के विकास बहुत बढ़ावा मिला है। इससे भी ज़रूरी बात यह है कि इसने आम यात्री को मज़बूत बनाया है, उनकी जेब में ज़्यादा पैसे आए हैं तथा इससे घूमने-फिरने, व्यवसाय और चिकित्सा पर्यटन पहले से कहीं ज़्यादा सस्ते हो गये हैं।

सरल टैक्स, मज़बूत यात्रा अर्थव्यवस्था 

सालों से, यात्रा ऑपरेटर, होटल और परिवहन सुविधा प्रदाता कई करों, जैसे सेवा कर, वैट और लग्ज़री कर के बीच संतुलन बनाए रखना पड़ता था; जो सभी राज्यों में अलग-अलग होता था। 2017 में जीएसटी आने से कुछ स्पष्टता आई, लेकिन 2025 का सुधार और आगे बढ़ गया है, जिसने सरलीकरण को प्रोत्साहन में बदल दिया है।    

₹7,500 से कम कीमत वाले होटल के कमरों पर जीएसटी को 12% से घटाकर 5% करना परिवर्तनकारी साबित हो रहा है। जैसा कि एक बड़े अखबार के लेख में बताया गया है, इस कदम से मध्य आय-वर्ग के परिवारों और बजट यात्रियों- जो भारत के घरेलू पर्यटन का आधार हैं- के लिए यात्रा काफी सस्ती हो गयी है। इसके अलावा, यह विदेशी यात्रियों के लिए भी काफी सुगम होगा, क्योंकि यात्रा लागतें अब दूसरे देशों के मुकाबले ज़्यादा प्रतिस्पर्धी हो गई हैं।

होटल और होमस्टे ज़्यादा बुकिंग, ज़्यादा समय तक रुकने और ज़्यादा स्थानीय खर्च की रिपोर्ट दे रहे हैं। छोटे उद्यमियों और होमस्टे मालिकों के लिए, कम अनुपालन लागत और एक जैसे टैक्स फ्रेमवर्क ने व्यवसाय व्यावहारिकता को बेहतर बनाया है और औपचारिक क्षेत्र को बढ़ावा दिया है, जो पैमाने और स्थायित्व की ओर एक शांत लेकिन शक्तिशाली बदलाव है।

किफायती आवागमन: समावेश का संचालक 

पर्यटन, परिवहन संपर्क-सुविधा पर फलता-फूलता है। इसीलिए यात्री परिवहन, खासकर 10 से ज़्यादा सीटों वाली बसों पर जीएसटी में 28% से 18% की कटौती, एक और गेम चेंजर है। इससे पता चलता है कि इस कदम ने तीर्थयात्रियों, छात्रों और परिवारों के लिए अंतर-शहरीय और समूह यात्रा को किस प्रकार ज़्यादा आसान बना दिया है। धार्मिक क्षेत्र से लेकर इको-पर्यटन पार्क और ग्रामीण इलाकों में घूमने की जगहों तक, किफायती आवागमन ने यात्रा को आसान बनाया है और स्थानीय अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया है। 

एक ऐसे देश में, जहाँ पर्यटन क्षेत्रीय समानता के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करता है, वहाँ बस किराये में हुई हर बचत सशक्तिकरण का एक ज़रिया बन जाती है। सस्ते और स्वच्छ परिवहन विकल्प न सिर्फ़ पहुँच बढ़ाते हैं बल्कि प्राइवेट गाड़ियों के बजाय साझा यात्रा को बढ़ावा देकर भारत के सतत विकास लक्ष्यों में भी योगदान देते हैं।

सांस्कृतिक निवेश: शिल्पकारों को सशक्त बनाना

भारत की अपील सिर्फ़ उसके परिदृश्यों या स्मारकों में ही नहीं, बल्कि उसकी जीती-जागती परंपराओं में भी मौजूद है। इसे मान्यता देते हुए, सरकार ने कला और हस्तशिल्प उत्पादों पर भी जीएसटी को 12% से घटाकर 5% कर दिया। हाथ से बुनी हर कांचीपुरम साड़ी, नक्काशीदार चंदन की मूर्ति, या टेराकोटा लैंप एक कहानी कहता है और अब, हर एक शिल्प उत्पाद को सही दामों पर खरीदा जा सकता है।

यहां टैक्स कम करना सिर्फ़ एक आर्थिक इशारा नहीं है। यह एक सांस्कृतिक निवेश है। यह उस विविधता को बनाए रखता है, जो भारतीय पर्यटन की आत्मा है, साथ ही यह शिल्पकारों, जिनमें से कई महिलाएं और ग्रामीण उद्यमी हैं, को आजीविका का स्थायी साधन देता है।

संगठित क्षेत्र बनने के प्रति भरोसा 

जीएसटी के सबसे लंबे समय तक चलने वाले फायदों में से एक है– स्पष्टता और सही अनुमान। छोटे होटल, यात्रा ऑपरेटर और यात्रा एजेंसियां अब राज्य-विशेष टैक्स को समझने के बजाय एक ही राष्ट्रीय टैक्स फ्रेमवर्क के तहत काम करती हैं। संगठित क्षेत्र बनने के प्रति यह भरोसा ऋण, बीमा और डिजिटल भुगतान प्रणाली के दरवाज़े खोलता है जो उन छोटे व्यवसायों के लिए जीवनरेखा है,  जो कभी असंगठित तरीके से चलते थे। यह निवेशकों और उद्यमियों के बीच भरोसा भी बढ़ाता है, जिससे इको-लॉज और हेरिटेज स्टे से लेकर आरोग्य स्थल तक, यात्रा अनुभव में नवाचार होता है।

चिकित्सा पर्यटन: एक स्वस्थ प्रोत्साहन 

भारत का उभरता हुआ चिकित्सा पर्यटन क्षेत्र, जो पहले से ही एशिया में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाले क्षेत्रों में से एक है, नए जीएसटी दरों का एक और बड़ा लाभार्थी है। होटल और परिवहन पर कम टैक्स से उन अंतर्राष्ट्रीय मरीज़ों के लिए इलाज पैकेज का खर्च सीधे तौर पर कम हो जाता है जो सस्ती कीमतों पर विश्व-स्तरीय स्वास्थ्य देख-भाल के लिए भारत आते हैं। 

इलाज को आराम, पोषण और व्यापक देख-भाल के साथ जोड़कर एकीकृत उपचार अनुभव देने के लिए अस्पताल, आरोग्य केंद्र और आतिथ्य श्रृंखला तेज़ी से मिलकर काम कर रहे हैं। रहने की प्रतिस्पर्धी लागत और आसान यात्रा लॉजिस्टिक्स के साथ, भारत अफ्रीका, मध्य-पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के उन मरीज़ों के लिए और भी मज़बूत गंतव्य बन रहा है, जो पश्चिमी देशों की तुलना में पाँचवें हिस्से के खर्च में अच्छी चिकित्सा देख-भाल चाहते हैं।

वैश्विक प्रतिस्पर्धा और आर्थिक प्रभाव 

वैश्विक स्तर पर, किफ़ायती खर्च यात्रा के विकल्प तय करता है और हाल तक, भारत थाईलैंड, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धियों से पीछे था, जो कम होटल टैक्स और आसान उप-कर के लिए जाने जाते थे। नई जीएसटी प्रणाली इस अंतर को कम करती है। तर्कसंगत दरों के साथ, भारत अब आयुर्वेद रिट्रीट्स और इको-पर्यटन लॉज से लेकर लग्ज़री हेरिटेज होटलों तक, वैश्विक प्रतिस्पर्धी कीमतों पर विश्व-स्तरीय अनुभव देता है।

यह क्षेत्र अभी भारत की जीडीपी में लगभग 5% का योगदान देता है और 80 मिलियन से ज़्यादा लोगों को आजीविका देता है। लगातार टैक्स सुधार और अवसंरचना निवेश के साथ, विशेषज्ञों का अनुमान है कि यह योगदान 2030 तक दोगुना हो सकता है, जिससे रोजगार, उद्यमिता और महिला सशक्तिकरण के लिए फ़ायदे कई गुना बढ़ जाएंगे।

स्थानीय विकास, वैश्विक गाथा 

आम नागरिकों के लिए, इन सुधारों के फ़ायदे बहुत व्यक्तिगत हैं। एक परिवार, जो कभी ज़्यादा होटल खर्च के कारण छुट्टियां टाल देता था, अब यात्रा को किफायती पाता है। छात्र अध्ययन यात्रा कर सकते हैं, तीर्थयात्री आरामदायक यात्रा कर सकते हैं और दूर-दराज गांवों के कारीगर अपने उत्पाद उन पर्यटकों को बेच सकते हैं, जो उनकी कला की तारीफ़ करते हैं। 

सांस्कृतिक रूप से भरोसेमंद और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी भारत की ओर 
 
जीएसटी रेट में बदलाव, सिर्फ़ कागज़ पर लिखी संख्या के बारे में नहीं है। यह सशक्तिकरण के दर्शन को प्रतिबिंबित करता है कि हर नागरिक को भारत के व्यापक सांस्कृतिक परिदृश्य में यात्रा करने, सीखने और जुड़ने में सक्षम होना चाहिए। पर्यटन को ज़्यादा किफायती, आवागमन को ज़्यादा समावेशी, और उद्यम को ज़्यादा व्यावहारिक बनाकर, ये सुधार अर्थव्यवस्था को लोगों के करीब लाते हैं। ये स्थानीय विरासत से जुड़े रहते हुए वैश्विक प्रतिस्पर्धा के प्रति भारत की तैयारी का भी संकेत देते हैं।

यात्री के लिए, इसका मतलब है ज़्यादा छुट्टियां और बेहतर अनुभव। उद्यमी के लिए, इसका मतलब है ज़्यादा अवसर। भारत के लिए, इसका मतलब है, ऐसी प्रगति जो व्यक्तिगत लगे, जहाँ हर सफ़र एक ज़्यादा जीवंत, समान और भरोसेमंद देश की ओर एक कदम बन जाए।

Shri Gyan Bhushan, Senior Economic Advisor, Ministry of Tourism and Chief Executive Officer, National Council for Hotel Management and Catering Technology

लेखक: ज्ञान भूषण, (आई ई एस), वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार, पर्यटन मंत्रालय और मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राष्ट्रीय होटल प्रबंधन और खानपान प्रौद्योगिकी परिषद (एनसीएचएमसीटी), भारत सरकार
डॉ. प्रतीक घोष, विभागाध्यक्ष, डॉ. अंबेडकर इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट कैटरिंग एंड न्यूट्रिशन, चंडीगढ़ 

Dr. Pratik Ghosh, Head of Department, Dr. Ambedkar Institute of Hotel Management Catering & Nutrition, Chandigarh

(इस लेख में व्यक्त विचार लेखकों की निजी राय हैं)

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