लखीमपुर। ज्योतिपर्व दीपावली एवं लोकआस्था के महापर्व छठ के शुभ अवसर पर पं. दीनदयाल उपाध्याय सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज (यू.पी. बोर्ड) के प्रांगण में एक अद्वितीय और विचारोत्तेजक संगोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वदेशीकरण, विकेंद्रीकरण और संस्कारीकरण पर गहन विमर्श हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यालय के प्राचार्य डॉ. योगेन्द्र प्रताप सिंह ने करते हुए कहा अर्थशास्त्र कोई आयातित विषय नहीं, यह हमारी सांस्कृतिक चेतना का अंग है। जब तक अर्थव्यवस्था का भारतीयकरण नहीं होगा, तब तक विकास आत्मीय नहीं होगा। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक को पुरुषार्थी, आत्मनिर्भर और दुर्व्यसन-मुक्त बनने की दिशा में प्रयत्नशील रहना चाहिए। प्रत्येक गांव में लघु एवं कुटीर उद्योगों का सशक्त तंत्र ही भारत की सच्ची आर्थिक रीढ़ बन सकता है। स्वदेशी जागरण मंच के सह प्रांत संयोजक रामू स्वदेशी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा हमें स्वदेशी विचार, स्वदेशी व्यवहार और स्वदेशी उत्पाद, इन तीनों का समन्वय करना होगा। अपने जीवन से ही हमें विदेशी निर्भरता का अंत करना चाहिए। वहीं जिले के प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता राजेश दीक्षित ने महान विचारक दत्तोपंत ठेंगड़ी के जीवन से प्रेरणा लेते हुए कहा सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। छोटे रास्ते चुनने की प्रवृत्ति ही व्यक्ति के व्यक्तित्व को छोटा कर देती है। उत्सर्ग और तप के बिना उत्कर्ष असंभव है। उन्होंने जीवन को ‘कठोर साधना की भट्ठी’ में तपा कर ही महानता प्राप्त करने का संदेश दिया। कार्यक्रम के समापन पर सभी आचार्यों, भैया-बहनों ने एक स्वर में स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग की शपथ ली।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ आचार्य सर्वेन्द्र कुमार अवस्थी ने ओजस्वी शब्दों में किया। दीपों के उजाले और विचारों के प्रकाश से प्रकाशवान यह आयोजन यह संदेश दे गया कि आर्थिक स्वतंत्रता ही सच्चे स्वराज की आधारशिला है।
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