🔘 केप टाउन में भारतीय वाणी बनी विश्व की प्रेरणा, डॉ. पी. के. मिश्रा ने दिया सामूहिक सुरक्षा का मंत्र
नई दिल्ली, 14 अक्टूबर। दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में इतिहास रचने वाला क्षण, जब जी-20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण (DRR) कार्य समूह ने सर्वसम्मति से मंत्रिस्तरीय घोषणा को अंगीकार किया, तब भारत की वाणी वहां के वातावरण में प्रेरणा बनकर गूंजी। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने विश्व को यह सशक्त संदेश दिया कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण कोई व्यय नहीं, यह आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षा का निवेश है। दक्षिण अफ्रीका की अध्यक्षता में आयोजित इस सम्मेलन में 13 अक्टूबर, अंतर्राष्ट्रीय आपदा जोखिम न्यूनीकरण दिवस के अवसर पर “सभी के लिए अनुकूलता: एकजुटता, समानता और स्थिरता के माध्यम से आपदा जोखिम न्यूनीकरण को सुदृढ़ बनाना” विषय पर घोषणा अपनाई गई।
डॉ. मिश्रा ने अपने ओजस्वी वक्तव्य में भारत की साझा मानवता और सामूहिक उत्तरदायित्व की भावना को प्रतिबिंबित करते हुए कहा कि भारत ने सदैव “विश्व बंधुत्व” के भाव से आपदाओं से निपटने की दिशा में कार्य किया है। उन्होंने बताया कि भारत न केवल बहु-खतरे वाली प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों को सशक्त कर रहा है, बल्कि पूर्वानुमानित वित्तपोषण और सार्वजनिक-निजी साझेदारी के माध्यम से अनुकूलता की वैश्विक मिसाल कायम कर रहा है। उन्होंने आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) के माध्यम से भारत की नेतृत्वकारी भूमिका को रेखांकित किया, जिसने अब तक 50 से अधिक देशों को तकनीकी सहयोग प्रदान कर सुरक्षित विकास के अंतर्राष्ट्रीय मानक स्थापित किए हैं। मंत्रिस्तरीय गोलमेज सम्मेलन में डॉ. मिश्रा ने भारत के एकीकृत आपदा प्रबंधन दृष्टिकोण की चर्चा की जिसमें जोखिम सूचना, वित्तपोषण रणनीति, नवाचार, स्थानीय निवेश और सहभागी शासन प्रणाली को समान रूप से जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि भारत ने अपने विकास के प्रत्येक स्तर पर अनुकूलता, समावेशिता और स्थिरता को सुनिश्चित किया है यही भारत का जीवंत डीआरआर मॉडल है। इस अवसर पर डॉ. मिश्रा ने दक्षिण अफ्रीका के मंत्री वेलेंकोसिनी हलाबिसा, ऑस्ट्रेलिया की मंत्री क्रिस्टी मैकबेन, और अन्य जी-20 प्रतिनिधियों से द्विपक्षीय संवाद कर वैश्विक साझेदारी और आपदा लचीलापन की दिशा में सहयोग को नया आयाम दिया। कार्यक्रम के समापन पर डॉ. मिश्रा ने भारत की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा हम केवल घोषणाओं तक सीमित नहीं, बल्कि धरातल पर क्रियान्वयन की दिशा में संकल्पित हैं। भारत अपने अनुभव और नवाचार से विश्व को आपदा से सुरक्षा और विकास से समृद्धि की दिशा में मार्गदर्शन देता रहेगा। विश्व मंच पर भारत की यह गूंज, न केवल एक राष्ट्र की आवाज़ थी, बल्कि मानवता के सुरक्षित भविष्य की प्रतिज्ञा भी थी।
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