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बुधवार, 29 अक्टूबर 2025

सह-अस्तित्व की राह पर निकला किसानों का कारवां, जीवन-विद्या सम्मेलन हेतु लखनऊ से सैकड़ों किसान बाँदा रवाना

🔘 सह-अस्तित्व की राह पर निकला किसानों का कारवां, जीवन-विद्या सम्मेलन हेतु लखनऊ से सैकड़ों किसान बाँदा रवाना

लखनऊ। जब धरती का पुत्र अपनी मिट्टी से संवाद करने निकलता है, तो वह केवल किसान नहीं, एक विचार बन जाता है। इसी विचार के संग लखनऊ से सैकड़ों किसानों का जत्था बुधवार को बाँदा के लिए रवाना हुआ, गंतव्य है 27वां जीवन-विद्या सम्मेलन, जहाँ खेती, संस्कृति और आत्मबोध का संगम होने जा रहा है।
यह ऐतिहासिक सम्मेलन 30 अक्टूबर से 2 नवम्बर तक बाँदा के बड़ोखर खुर्द गांव स्थित प्रेम की बगिया में आयोजित होगा। इस सम्मेलन की मेजबानी कर रहे हैं, आवर्तनशील खेती के प्रणेता, पर्यावरण-मित्र किसान प्रेम सिंह, जिनकी बगिया आज विश्व में “जीवित प्रयोगशाला” के रूप में प्रसिद्ध है। चार दिवसीय इस आयोजन में भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ नेपाल और ब्राजील से आए प्रतिनिधि ग्रामीण परिवेश में भारतीय संस्कृति, प्राकृतिक खेती और नागराज जी के मध्यस्थ दर्शन पर सह-अस्तित्व के सिद्धांतों का मंथन करेंगे। 

लखनऊ से प्रख्यात पर्यावरणविद् और ‘पेड़ वाले बाबा’ के नाम से जाने जाने वाले सुशील तिवारी, किसान नेता संतोष सिंह, सचिन तिवारी, सत्य प्रकाश मिश्र सहित सैकड़ों किसान चित्रकूट एक्सप्रेस से रवाना हुए। किसानों के चेहरों पर आत्मविश्वास, आँखों में धरती के प्रति प्रेम और दिलों में परिवर्तन की मशाल थी। यह केवल एक यात्रा नहीं एक चेतना यात्रा है, जो आधुनिकता के शोर में दबे ‘स्वाभाविक जीवन’ के स्वर को पुनः जगाने चली है। बाँदा की मिट्टी इस बार केवल पगचिह्न नहीं, बल्कि एक नई कृषि-दर्शन की गूंज सँजोएगी।

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