लखीमपुर खीरी। कभी सपनों को आंखों में संजोना और उन्हें हकीकत में बदलना आसान नहीं होता, खासकर तब जब दृष्टि धुंधली हो और राहें कठिन। मगर हिम्मत और जज़्बा जब साथी बन जाएं तो हर चुनौती अवसर में बदल जाती है।
इसी अद्भुत मिसाल को रचा है गोला गोकर्णनाथ की ग्रामीण छात्रा मोनी वर्मा ने, जिन्होंने अपनी दृष्टि बाधा को कभी जीवन की रुकावट नहीं बनने दिया। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित मिरांडा हाउस से एमए और संस्कृत में पीएचडी कर रहीं JRF स्कॉलर मोनी को आज सीडीओ अभिषेक कुमार की पहल पर लखीमपुर खीरी का एक दिन का सीडीओ बनने का गौरव प्राप्त हुआ।
जब मोनी ने सीडीओ की कुर्सी संभाली, तो पूरा प्रशासनिक परिसर तालियों की गूंज से भर उठा। यह क्षण केवल मोनी का नहीं, बल्कि हर उस बेटी का था, जो परिस्थितियों से लड़कर अपनी राह खुद बनाना चाहती है।
मोनी ने साबित कर दिया कि “दृष्टि आंखों से नहीं, संकल्प से देखी जाती है।” उनका यह कदम समाज के लिए संदेश है कि बेटियां चाहे किसी भी परिस्थिति में हों, अगर आत्मविश्वास और शिक्षा की रोशनी साथ हो, तो वे प्रशासन की कुर्सी से लेकर जीवन के हर शिखर तक पहुंच सकती हैं।
मिशन शक्ति 5.0 का यह अनोखा अध्याय सिर्फ एक पहल नहीं, बल्कि एक प्रेरणादायी कहानी है, जो आने वाली पीढ़ियों को यह विश्वास दिलाता है कि हौसले के आगे अंधकार भी झुक जाता है।
मोनी वर्मा संघर्ष से सफलता तक का सफर, हर बेटी के लिए एक प्रेरणादाई मिसाल है।
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